निर्मल मन ही प्रभु की प्राप्ति का मार्ग है’–कथा व्यास धनवंतरी महाराज,

बदायूं। आदर्श नगर स्थित एक मैदान में चल रही सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा में पंचम दिवस पर धार्मिक उल्लास और श्रद्धा की बयार बहती रही। कथा स्थल श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा रहा। लोगों ने झूमकर भजन कीर्तन और प्रवचनों का रसपान किया।
सुबह की बेला में महालक्ष्मी यज्ञ का आयोजन हुआ, जिसका संचालन आचार्य सुरेंद्र कुमार भारद्वाज (नरवर वाले) के दिशा-निर्देशन में हुआ। यज्ञ में मुख्य यजमान आर. के. शर्मा (उझानी) और धर्मेंद्र कुमार शर्मा (प्रेम नगर) रहे। इसके बाद दोपहर से लेकर देर रात तक बाल कृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन कथा में किया गया।
इस मौके पर शिक्षाविद एवं समाजसेवी आयुष भारद्वाज के पाँच माह के पुत्र सात्विक भारद्वाज को बाल रूप श्रीकृष्ण के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिनका भव्य जन्मोत्सव मनाया गया। बधाई गीतों के साथ श्रद्धालुओं ने झूमकर श्रीकृष्ण जन्म को उत्सव का रूप दे दिया। हर तरफ “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की” की गूंज रही।
वृंदावन धाम से पधारे कथा व्यास धनवंतरी महाराज ने कहा कि,
“मन ही समस्त पापों की जड़ है। जब मन की चंचलता समाप्त हो जाती है, तभी आत्मा को परम शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति अपनी कमियों को स्वीकार कर लेता है, उसे कभी भी दुख नहीं सताता।”
उन्होंने श्रीकृष्ण और शिशुपाल प्रसंग के माध्यम से यह संदेश दिया कि,
“हर व्यक्ति वही देता है, जो उसके भीतर होता है। इसलिए संतुलित और शुद्ध मन बनाना ही ईश्वर भक्ति की पहली सीढ़ी है।”
कथा में राधा-कृष्ण के बचपन की नोकझोंक, कृष्ण की बाल लीलाएं, गोवर्धन पूजा, और छप्पन भोग अर्पण के माध्यम से जनमानस को भक्ति भाव से सराबोर कर दिया गया। अंत में सभी भक्तों को प्रसाद वितरण कर कथा का समापन हुआ।
गोपाल शर्मा ने समस्त धर्मप्रेमियों से 26 अप्रैल तक प्रतिदिन शाम 6 से रात्रि 10 बजे तक कथा स्थल पर पहुंचकर धार्मिक लाभ उठाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से
सत्यम मिश्रा, मदन शर्मा, जगदंबा सहाय सक्सेना, अवधेश शंखधार, सचिन गुप्ता, गुलशन कश्यप, देव, रविंद्र उपाध्याय, ज्ञानेंद्र कश्यप, दिनेश शर्मा, कामेश पाठक, कमलेश गुप्ता सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।