
IIT के दो स्टूडेंट्स के सुसाइड मामले में दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार 1 फरवरी को सुनवाई की। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा- IIT स्टूडेंट्स को यह समझाने की कोशिश करें कि एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाना जरूरी है लेकिन जीवन में यही सबसे ज्यादा जरूरी नहीं। कोर्ट ने कहा कि बेस्ट परफॉर्मेंस के दबाव के आगे झुके बिना भी अपना बेस्ट दिया जा सकता है।
मामले की सुनवाई जस्टिस रजनीश भटनागर कर रहे थे। उन्होंने कहा कि युवाओं की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देने पर जोर देना चाहिए। इससे जब वो अपने स्टूडेंट लाइफ में होगें तो उन्हें हर चुनौती का सामना करने करने का कॉन्फिडेंस मिलेगा।
दरअसल IIT- दिल्ली के दो SC कैटेगरी के स्टूडेंट्स ने पिछले साल सुसाइड कर लिया था। इसके बाद स्टूडेंट्स के माता-पिता ने इंस्टीट्यूट पर जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए थे और इसके खिलाफ FIR दर्ज की थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से निष्पक्ष जांच के लिए आदेश देने की मांग की भी थी।
स्टूडेंट्स पर एग्जाम में पास होने का दबाव था
पुलिस ने इस मामले पर इन्वेस्टिगेशन करने के बाद कहा कि इंस्टीट्यूट में जातिगत भेदभाव के कोई सबूत नहीं मिले है लेकिन यह पाया गया कि स्टूडेंट्स कई विषयों में फेल हो रहे थे और उन पर एकेडमी में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव था।
कोर्ट में जस्टिस भटनागर ने कहा स्टूडेंट्स के माता-पिता ने जो आरोप लगाए है, उनकी पुष्टि नही हो सकी इसलिए जातिगत भेदभाव के मामले में किसी भी प्रकार की जांच के लिए आदेश नही दिया जा सकता।
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