बदायूँ।कारगिल विजय दिवस के अवसर पर बदायूँ क्लब बदायूँ में ‘कविता के स्वर शहीदों के नाम’ गोष्ठी का आयोजन कर,कारगिल शहीदों को कविताओं के माध्यम से दी गई श्रद्धांजलि,कारगिल युद्ध के शहीद हरिओम सिंह की धर्मपत्नी एवं कैप्टन आर. पी. शर्मा का सम्मान किया गया।
आयोजन में कवियों द्वारा अपनी कविताओं से शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी शान में काव्यपाठ किये गए।कार्यक्रम में बदायूँ जनपद से कारगिल युद्ध में शहीद हुये एकमात्र सैनिक वीर लांसनायक स्व. हरिओम सिंह की धर्मपत्नी जो हाल ही में सम्पन्न हुए चुनाव मे बजीरगंज ब्लाक प्रमुख के पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुयी श्रीमती गुड्डो देवी एवं भारतीय सेना में अनेक वर्षों से सेवा प्रदान करने वाले सेवानिवृत्त कैप्टन आर. पी. शर्मा का माल्यार्पण कर व शॉल उड़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सुभारम्भ आरपी शर्मा, गुड्डो देवी एवं क्लब पदाधिकारियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। काव्य गोष्ठी का आरंभ मां सरस्वती की वंदना से हुआ। काव्य गोष्ठी में ओज के वरिष्ठ कवि कुलदीप अंगार ने कहा, बैरी का सीमा पर फैला वो तामझाम सब हटा दिया, मां का मस्तक ऊंचा करके अपना मस्तक कटा दिया। क्लब के सचिव एवं कवि डॉ. अक्षत अशेष ने कहा, शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ हो ना जाये कही, हो सके तो कोई इंतजाम कर लीजिए, जां देके जिन्होंने बचाई भारत की शान, एक बार उनको प्रणाम कर लीजिए। उझानी की कवियत्री अंजलि श्रीवास्तव ने कहा, अमर इतिहास का देखो, गजब सबकी कहानी है, दिलों में छप गये हैं सब, यहां किसे बतानी है, उभर पड़ती है आंखो यादों में निशानी अब, जहां वीरों ने लड़कर के गवां डाली जवानी है। कलान के युवा कवि आकाश अम्बर ने कहा, घर से जब भी पांव हमारे निकलेंगे, केवल बुझते दीप जलाने निकलेंगे। मिथलेश गौतमी ने कहा, सरहद पर आज हर्ष की बेला छाई है, दूर मेरे गांव से मेरी चिट्ठी आई है। अन्विता कृति ने कहा, बैरी के समक्ष रणभूमि में कान्हा का रुप धर आते हैं, फिर ढूंढ ढूंढकर नागों के विषदंत उखाड़े जाते हैं। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामबहादुर व्यथित ने कहा, लश्कर हमसे टकराया तो खैर नहीं है, हम सोये बबर शेर, किसी से बैर नहीं है, अमर के फरिश्ते को न छेड़िये साहिब, हम जो नींद से उठ बैठे तो खैर नहीं है। बजीरगंज के युवा कवि अखिलेश ठाकुर ने कहा, बात आई देश पर शीश पर दान देने की तो, दिखलाया शौर्य शीश दान कर बेटों ने, शत्रुओं को देके मात, फहराया घ्वज रुपी हिन्दुस्तान बेटों ने। संचालन कर रहे युवा कवि अभिषेक अनंत ने कहा, देश सेवा का ले मन में प्रण दिव्य तन दिव्यतम जिनका मन जो जिये और मरे देश हित, भव्यतम आज उनको नमन। मयंक चौहान ने कहा, घने कोहरे सी अगम्य मेरी भावना पाले की बूंद से टपकटे ख्बाब मेरे, लू के शुष्क बंजरो सी उमंगे लालसा की सेज पर लटकते पांव मेरे।
इस अवसर पर क्लब उपाध्यक्ष डॉ. एस. के. गुप्ता, दीपक सक्सेना, कुलदीप रस्तोगी, अनूप रस्तोगी, संजय रस्तोगी, मनीष सिंघल, शिवम सिंह, राजीव रायजादा, अमित पाठक, राहुल चौबे, सुमित मिश्रा, नरेश चन्द्र शंखधार, पंकज शर्मा, इकबाल असलम आदि उपस्थित रहे। संचालन सांस्कृतिक सचिव श्री रविन्द्र मोहन सक्सेना एवं कवि अभिषेक अनंत ने किया। क्लब सचिव डॉ. अक्षत अशेष ने अन्त में सभी का आभार व्यक्त किया।