- पिता, माता, भाई के चुनावों की रहीं हैं कुशल रणनीति कार,
- राजनीति के साथ साथ समाज सेवा में रहती हैं सक्रिय,
- चुनाव विश्लेषकों की नजर में सभी पार्टियों के प्रत्याशियों में सबसे मजबूत प्रत्याशी
- अनीता का प्रत्याशियों की लिस्ट में नाम न होने से सपा में थी खुशी।सपा की नजर में सभी संभावित प्रत्याशी लग रहे थे कमजोर कड़ी।
- सूत्रों के अनुसार सपा के उम्मीदवार भी थे अनीता का टिकट कटवाने में प्रयासरत
- अनीता मौर्य हैं,ग्रुप ए अधिकारी की पत्नी व पूर्व राज्यमंत्री भगवान सिंह शाक्य की बेटी
यूँ तो बदायूँ अपनी गौरवशाली धरोहरों,सूफी संतों की धरती,सामाजिक सांस्कृतिक संस्कृति के लिये विख्यात,बड़े बड़े महापुरुषों की जननी,के साथ साथ बृज क्षेत्र की पावन धरती का गौरव लिये,माँ गंगा अपने उदगम स्थल से लेकर सागर में समाहित होने के मार्ग में बदायूँ की धरती को पवित्र होने का भी गौरव प्राप्त है, हरे-भरे उपजाऊ मैदानी इलाकों के लिये पहचाना जाता है बैसे तो राजनीति के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाला बदायूँ में इन दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की विसात बिछ चुकी है। जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पिछड़ी जाति महिला के लिए आरक्षित हो जाने के बाद से इस पर कब्जा पाने के लिए भाजपा, सपा, बसपा व कांग्रेस काट-छांट की राजनीति में जुट गई है। जिला पंचायत के अब तक हुए चुनावों पर गौर फरमाएं तो इस कुर्सी पर नारी शक्ति का ही दबदबा रहा। अभी तक चुनावों में एक पुरुष लेकिन पांच महिलाओं ने कुर्सी हथियायी है।,लेकिन इनमें पहली महिला जिलापंचायत अध्यक्ष होने का गौरव प्रेम लता यादव को हासिल है, जो बदायूँ के पूर्व सांसद/विधायक करन सिंह यादव की पत्नी हैं,उसके बाद चेतना सिंह, पूनम यादव,मधु चंद्रा प्रीति सागर के नाम शामिल हैं।
इस बार के चुनाव के आरक्षण चक्र के चलते फिर से यह सीट पिछड़ी जाति महिला के लिये आरक्षित हुई है,जिसके चलते इस बार भी महिला ही जिला पंचायत अध्यक्ष चुना जाना तय है।
पिछड़ी जाति महिला सीट आरक्षित होते ही सत्ता पक्ष के नेताओं में शह-मात का खेल शुरू हो गया है।सत्तापक्ष में पिछड़ी जाति के कुछ नेताओं ने इसके लिये अपनी धर्मपत्नी को जिलापंचायत अध्यक्ष बनाने के उद्देश्य से लाम्बिंग भी शुरू दी थी।इसमें प्रमुख नाम जो सामने आने लगे थे उसमें सबसे मजबूत नाम पूनम यादव पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष का था उसके बाद जितेंद्र यादव पूर्व एमएलसी की पत्नी ने भी धीरे से अपनी दावेदारी पेश कर दी थी, इसी क्रम में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे हरीश शाक्य ने भी इस सीट को हासिल करने के लिये दावा ठोंक दिया,वहीं राजेश्वर सिंह पटेल ने भी अपनी पत्नी को इस पद का दावेदार घोषित कर दिया है।
इन सभी दावेदारों से हटके एक नाम और जो सामने आया है वोह है अनीता मौर्य का,इस नाम के सामने आने से बाकी सभी दावेदारों के हौसले पस्त होते नज़र आने लगे हैं इसका कारण अनिता के परिवार की जिले में सबसे पुरानी और सबसे मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है,जहां उनके पिता भगवान सिंह शाक्य जनसंघ घटक दल से चुनाव लड़कर विधायक बने थे,जो जनपद से तीन बार विधानसभा के लिये चुने जा चुके हैं,व एक बार प्रदेश में राज्यमंत्री भी रहे हैं,इसके अलावा भगवान सिंह शाक्य गन्ना बीज विकास निगम के चेयरमैन भी रहे हैं,
इस परिवार के जनाधार को भाजपा 1984 के चुनावों में देख चुकी है उस समय भाजपा ने भगवान सिंह शाक्य को बदायूँ से सांसद का चुनाव लड़ाया था जिसमें भाजपा को पूरे देश में दो सीटें मिलीं थी,लेकिन बीजेपी के लिये यूपी में संतोष गंगवार (बरेली) और बदायूँ में भगवान सिंह शाक्य को पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट इन दो सीट पर ही मिले थे।
भाजपा जिले के सबसे मजबूत जनाधार वाले इसी परिवार की महिला और भगवान सिंह शाक्य की पत्नी शांति देवी शाक्य को दो बार सांसद का चुनाव लड़ा चुकी है,और दोनों ही बार वार वो दो नम्बर पर रहीं,आज इसी परिवार से भगवान सिंह शाक्य के पुत्र धर्मेंद्र शाक्य विधायक हैं।जो खुद भी 2005 के सपा शासन में जिलापंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके हैं,जो भितरघात के चलते सपा के उम्मीदवार से मात्र दो वोटों से पराजित हो गए थे।
अनीता मौर्य को राजनीति तो विरासत में मिली है लेकिन समाजसेवा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना,दीन दुखियों की मदद करना,उनके स्वभाव में शामिल है।अपने पिता,माता व भाई के कई चुनावों में कुशल,प्रबंधन व रणनीतिकार के रूप में कार्य करने का अनुभव है।अपने अनुभव के चलते पूरे जिले में हर क्षेत्र के जातिगत व धार्मिक समीकरणों का बारीकी से ज्ञान है,अनीता मौर्य की पहचान केवल इस परिवार की बेटी के रूप में ही नहीं है,बल्कि अपने मिलनसार व्यवहार और लोगों के सुख दुख में सहयोगी की भूमिका में रहना उनको सम्मान दिलाता है।उनके परिवार की बात करें उनके तो पति ग्रुप-ए के अधिकारी हैं लेकिन समाज सेवा में सदा अनीता मौर्य के साथ सहयोगी की भूमिका में नजर आते हैं।
आज जगत क्षेत्र की जनता के बार बार अनुरोध पर अनीता मौर्य ने जिलापंचायत सदस्य पद के लिये नामांकन दाखिल कर दिया है जिससे जनता में जबरदस्त खुशी का माहौल है।बहीं भाजपा के समर्थित प्रत्याशी के रूप में मनोज मोदी ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।
पार्टी के नेताओं की नजर में
पार्टी के नेताओं की नजर में अभीतक दाखिल नॉमिनेशन में इस क्षेत्र में सबसे जमीनी मजबूत पकड़ रखने वाली जिताऊ प्रत्याशी के रूप में अनीता मौर्य नजर आ रही हैं वहीं अनीता मौर्य के नॉमिनेशन के साथ ही जिलापंचायत अध्यक्षी की तैयारी में लगे सभी विरोधी पार्टियों के सम्भावित प्रत्याशियों की नींद उड़ गई है।इसका प्रमुख कारण कोई और नहीं बल्कि राजनीति के क्षेत्र की उनको लम्बी समझ व अनुभव, कुशल नेतृत्व क्षमता,व चुनावों में कुशल प्रबंधन का अनुभव किसी अन्य प्रत्याशियों में नहीं देखा जा रहा है।साथ ही इस चुनाव में जिन रणनीतियों की जरूरत होती है उन सबसे अनीता मौर्य पूरी तरीके से वाकिफ हैं।भाजपा अगर जिलापंचायत में सपा के गढ़ को ढहाना चाहती है तो निश्चित ही जिला कमेटी को इस चुनाव में व्यक्तिगत आकांक्षाओं को साइड कर हर तरीके से मजबूत प्रत्याशी पर दांव लगाना चाहिए।भाजपा को 2005 के जिलापंचायत के चुनाव को भी ध्यान में रखना चाहिए जब प्रदेश में सत्ता न होने के बाद भी यह परिवार मात्र दो वोटों से चुनाव हारा था।
पार्टी के कई पुराने नेताओं ने दबी जुबान से कहा कि अगर सत्ता रहते इस परिवार के सदस्य पर पार्टी दांव लगाती है तो सपा के इस मजबूत किले को ढहाने से कोई नहीं रोक पायेगा।पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने स्वदेश केसरी को बताया कि इस चुनाव में अनिता शाक्य ने भी भाजपा से जिला पंचायत सदस्य के लिये भाजपा समर्थित उम्मीदवार बनने के लिये आवेदन किया था लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने अध्यक्षी का अपना रास्ता साफ करने के लिये इस लिस्ट से अनिता शाक्य का नाम ही गायब करा दिया।लिस्ट में अनिता का नाम न होने से क्षेत्र की जनता में भारी रोष है इसी रोष के चलते ,जनता ने अनिता से चुनाव में उतरने के दबाब बनाते हुए उनके निवास पर डेरा डाल दिया।बार बार समझाने के बाद भी उनके समर्थक मानने को तैयार नहीं थे,अनिता ने समर्थकों के अनुरोध पर अपनी शर्त के साथ आज नामांकन दाखिल कर दिया जिसमें उन्होंने साफ कह दिया कि अगर उनकी पार्टी या परिवार उनको जो आदेश देगा वो में मानूंगी।
स्वदेश केसरी ने नामांकन के बाद उनसे जिलापंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने उसे हसके टालते हुए कहा कि में और मेरा परिवार पार्टी के वफादार और कर्मठ सिपाही हैं में पार्टी और परिवार के निर्देशों का पालन करूंगी।