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बदायूं में बिना पर्ची गन्ना खरीद कर पेराई करने में फंसी यदु चीनी मिल में सल्फर की खपत भी कागजों में गन्ना पेराई से मेल नहीं खाई। कमिश्नर सौम्या अग्रवाल के आदेश पर जांच करने पहुंची टीम ने सल्फर की अधिक खपत देख कर गन्ना पेराई का अनुमान लगाया और शीरा उत्पादन के आंकड़े से तुलना कर असल घोटाला पकड़ लिया।
यदु चीनी मिल में चीनी बनाने के दौरान सल्फर का प्रयोग होता है। कितनी पेराई पर कितनी सल्फर खपत होगी, यह सब एक नियम के अनुसार होता है। चीनी मिल में गन्ना पेराई से लेकर शीरा उत्पादन, सल्फर खपत सब अलग-अलग दर्ज होता है। जब कमिश्नर की जांच कमेटी यदु चीनी मिल में छानबीन करने पहुंची तो बहुत से आंकड़े बताए ही नहीं गए।
कंप्यूटर तो दिखाया ही नहीं था और न ही जांच में कोई सहयोग किया था। इससे कमेटी को जांच करना मुश्किल हो रहा था लेकिन इसी दौरान कमेटी को सल्फर खपत का रजिस्टर प्राप्त हो गया। फिर क्या पूरा चीनी मिल का घोटाला सामने आ गया और कमेटी अपनी जांच पड़ताल करती चली गई। सारे अनुमान आसानी से लगा लिए गए।