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Hearing in Delhi HC on Sunhari Bagh Masjid case | सुनहरी बाग मस्जिद केस पर दिल्ली HC में सुनवाई: 172 साल पुरानी मस्जिद तोड़ने का प्रस्ताव, 100 मी दूर राष्ट्रपति भवन, PMO ऑफिस भी पास

नई दिल्ली4 मिनट पहले

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दिल्ली हाईकोर्ट में आज सुनहरी बाग मस्जिद केस पर सुनवाई होनी है। दिल्ली नगरपालिका परिषद ने 24 दिसंबर को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें 172 साल पुरानी मस्जिद को डिमोलिश करने का प्रस्ताव दिया गया था।

तर्क दिया गया कि इसके चलते ट्रैफिक जाम हो जाता है। मस्जिद के इमाम ने 30 दिसंबर को इस प्रस्ताव के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 8 जनवरी की तारीख तय की थी।

दिल्ली में ये मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह में बनी है। मस्जिद एक गोलचक्कर पर है, जहां मौलाना आजाद मार्ग, मोतीलाल नेहरू मार्ग, सुनहरी बाग मार्ग और रफी मार्ग मिलते हैं। यहां से 100 मीटर दूर राष्ट्रपति भवन है। प्रधानमंत्री कार्यालय भी पास में है।

दिल्ली में ये मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह में बनी है। मस्जिद एक गोलचक्कर पर है।

दिल्ली में ये मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह में बनी है। मस्जिद एक गोलचक्कर पर है।

जानिए क्या है पूरा मामला…

22 जून को एडिशनल CP ने लिखा था लेटर
सुनहरी बाग गोलचक्कर पर ट्रैफिक समस्या के बारे में जोन-2 के एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (ट्रैफिक) आर सत्यसुंदरम ने 22 जून, 2023 को दिल्ली नगर निगम, यानी NDMC को लेटर लिखा था। लेटर में एडिशनल CP ने बताया था कि गोलचक्कर पर ट्रैफिक ज्यादा हो गया है। ऐसे में इस गोलचक्कर को रीडिजाइन करें।

लेटर मिलने के बाद NDMC ने ट्रैफिक पुलिस, लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी के अफसरों के साथ 28 जून, 2023 को इंस्पेक्शन किया था। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जुलाई, 2023 को पिटीशनर दिल्ली वक्फ बोर्ड के साथ जॉइंट इंस्पेक्शन करने का आदेश दिया। 12 जुलाई, 2023 को ये जॉइंट इंस्पेक्शन किया गया।

VIPs का काफिला गुजरता, सिक्योरिटी में दिक्कत आती
वक्फ बोर्ड के साथ जो इंस्पेक्शन हुआ, उसमें टीम ने अपनी रिपोर्ट दी कि सुनहरी बाग गोलचक्कर पर ट्रैफिक काफी ज्यादा है। पास में ही मेट्रो स्टेशन भी है। यहां से VIPs का काफिला भी गुजरता है। मस्जिद के यहां होने से सिक्योरिटी में भी परेशानी आती है।

देश की आजादी के लिए यहीं से दुआ मांगी गई : जामा मस्जिद इमाम
नई दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम मोहिब्बुल्लाह नदवी का कहना है, ये मस्जिद भारत की आजादी के सन्दर्भ में भी महत्वपूर्ण है। फ्रीडम फाइटर और इस्लामिक स्कॉलर हसरत मोहानी जो सांसद भी रहे हैं, वे भी हमेशा इसी मस्जिद में नमाज अदा करते हैं।

मौलाना आजाद भी यहीं नमाज पढ़ते थे। उन्होंने देश की आजादी के लिए भी यहीं से दुआ मांगी थी। क्या हम अपने फ्रीडम फाइटर्स की निशानी को मिटाने में लगे हैं?

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- मस्जिद को हटाने से विरासत को नुकसान
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 28 दिसंबर को NDMC को लेटर लिखकर सुनहरी मस्जिद हटाने के प्रस्ताव का विरोध किया था। उन्होंने लिखा कि इतनी पुरानी मस्जिद हटाई जाती है, तो इससे भारत की विरासत को नुकसान पहुंचेगा।

ओवैसी ने लिखा है कि मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व है। NDMC का काम विरासत को संरक्षित करना है, लेकिन वो अपने काम की अनदेखी कर रहा है। सांसद दानिश अली और कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी NMDC के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है।

सुनहरी मस्जिद में रहते थे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा देने वाले हसरत मोहानी
अपने दौर के मशहूर शायर और आजादी की लड़ाई में शामिल रहे हसरत मोहानी जब भी दिल्ली आते थे, सुनहरी मस्जिद में ही रुकते थे। मोहानी ने ही 1921 में ‘इंक़लाब ज़िंदाबाद’ का नारा दिया था। हसरत मोहानी UP से संविधान सभा के सदस्य चुने गए थे।

इतिहासकार राना सफवी ने लिखा है कि इस मस्जिद में मौलाना हसरत मोहानी संसद सत्र में भाग लेने के दौरान रुकते थे। उन्होंने सरकारी घर और सांसदों को मिलने वाले वेतन-भत्ते लेने से इनकार कर दिया था। राना सफवी के मुताबिक, मॉन्यूमेंट ऑफ दिल्ली (1919) की किताब में भी इस मस्जिद का जिक्र है।

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