

दिल्ली/ उत्तर प्रदेश के बदायूं: जिले के कस्बा बिसौली निवासी तीन युवा व्यापारियों की हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इस हादसे में दिवंगत मोहित राज गुप्ता भी शामिल थे। उनकी असमय मृत्यु के बाद, बाबा ग्रुप के निदेशक एवं बिल्सी के पूर्व पालिकाध्यक्ष अनुज वार्ष्णेय ने मोहित राज की बेटी अनन्या वार्ष्णेय की शिक्षा का जिम्मा उठाने की घोषणा की थी।
हालांकि, इस घोषणा ने परिवार को आभार से अधिक आहत कर दिया। स्वर्गीय मोहित राज की पत्नी कविता गुप्ता ने एक पत्र जारी कर आरोप लगाया कि उनकी बेटी को विद्यालय में अन्य छात्रों और शिक्षकों के सामने अपमानित किया गया। उनका कहना है कि अनुज वार्ष्णेय ने बार-बार ‘फ्री शिक्षा’ और ‘दान’ देने की बात कहकर न केवल उनकी बेटी बल्कि उनके परिवार और उनके दिवंगत पति की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई।
कविता गुप्ता के अनुसार, उनकी बेटी अनन्या स्कूल देखने गई थी, लेकिन वहां उसे सबके के सामने लज्जित किया गया। स्कूल प्रबंधन ने इस घटना का प्रचार कर इसे एक विज्ञापन का रूप दे दिया, जिससे परिवार को ठेस पहुँची। कविता ने इस व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मदद के नाम पर किसी परिवार की आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाना उचित नहीं है।
उन्होंने अपील की कि भविष्य में कोई भी किसी जरूरतमंद की सहायता इस तरह न करे कि वह खुद को दीन-हीन महसूस करने लगे। उन्होंने कहा कि भगवान सब देखता है और ऐसा व्यवहार किसी के भी साथ नहीं होना चाहिए।
अब यह सवाल उठता है कि क्या किसी की सहायता को सार्वजनिक करके प्रचार करना सही है? क्या मदद के नाम पर किसी की गरिमा को ठेस पहुँचाना उचित है? यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर कर रही है कि दान और दिखावे के बीच की रेखा कहाँ खींची जाए।