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सियासत में अहम भूमिका निभा रहीं रुहेलखंड की दो लोकसभा सीटें पीलीभीत और बदायूं देश के बड़े नेताओं और राजनीतिक घरानों का आश्रय स्थल भी हैं। स्थानीय मतदाताओं की पसंद की वजह से आजादी के बाद से ही ये सीटें बाहरी नेताओं की कर्मभूमि बनी हुई हैं।
वर्तमान में दोनों सीटों के सांसद वहां के स्थानीय निवासी नहीं हैं। इन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की शुरुआत कर दी है। सपा ने इटावा के मूल निवासी पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव को बदायूं और बरेली निवासी भगवत सरन गंगवार को पीलीभीत से मैदान में उतारा है।
इससे पहले भी बदायूं और पीलीभीत सीट से जनता दल के दिग्गज नेता शरद यादव, गांधी परिवार की मेनका गांधी और वरुण गांधी, मुलायम सिंह यादव के परिवार से धर्मेंद्र यादव, प्रयागराज के रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी सहित कई नेताओं ने संसद का सफर तय किया है। सबसे अहम बात यह है कि बाहरी प्रत्याशी सांसद बनने के बाद यहां टिके भी रहे।
बात बदायूं की करें तो सबसे पहले यहां प्रयागराज से आकर वर्ष 1984 में सलीम इकबाल शेरवानी कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। वर्ष 1989 में बिहार निवासी शरद यादव जनता दल से सांसद चुने गए। उन्होंने यहां दोबारा भी भाग्य आजमाया था, लेकिन उन्हें मूल रूप से गोंडा के निवासी स्वामी चिन्मयानंद ने शिकस्त दे दी थी।