
जरांगे आंदोलन के दौरान मीडिया से बातचीत करने के बाद गुस्से में आ गए थे। ये तस्वीर उसी समय की है।
मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आंतरवाली सराटी गांव में आंदोलन को लेकर रविवार (25 फरवरी) को बैठक बुलाई थी। इसके बाद उन्होंने कहा- अकेले देवेंद्र फड़णवीस ही मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा- फडणवीस अगर आपको मेरी बलि चाहिए तो मैं तैयार हूं। अगर आप मुझे मारने की साजिश रच रहे हैं, तो मैं भूख हड़ताल पर मरने के बजाय आपकी चौखट पर मरने के लिए तैयार हूं। ये लोग मराठाओं को ख़त्म करना चाहते हैं। इसमें CM शिंदे के लोग हैं और अजित दादा के दो विधायक हैं। ये देवेन्द्र फडणवीस की साजिश है। मैं आपका जीना मुश्किल कर दूंगा।
आज कई नेता बीजेपी में क्यों आ रहे हैं। छगन भुजबल, अजित पवार कभी भी NCP नहीं छोड़ सकते थे। एकनाथ शिंदे कभी भी शिवसेना नहीं छोड़ सकते थे। अशोक चव्हाण कभी कांग्रेस नहीं छोड़ सकते थे। जरांगे ने कहा कि फड़णवीस के कपट की वजह से इन नेताओं को पार्टी छोड़नी पड़ी। फडणवीस पर गंभीर आरोप लगाने के बाद जरांगे गुस्से में आ गए थे।

जरांगे बोले- फडणवीस का सुपड़ासाफ होगा
फडणवीस मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर मांगी जा रही है। अगर पूरे प्रदेश में मेरे खिलाफ औरतों के छेड़छाड़ की कोई शिकायत आती है तो आप जो कहेंगे मैं करने को तैयार हूं। जरांगे ने कहा- आप किसी व्यक्ति के निजी जीवन में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। मैं भूख हड़ताल पर मरने के बजाय आपकी चौखट पर मर जाऊंगा।
जरांगे बोले- जहर देने की कोशिश की जा रही है
मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि मुझे सलाइन से जहर देने की कोशिश की जा रही है, इसलिए मैंने सलाइन लेना बंद कर दिया। बीजेपी को खड़ा करने वाली मुंडे घराने को क्या हो गया है। उनका दम घुट रहा है। धनंजय मुंडे फिलहाल चुप हैं। अगर फडणवीस के मन में यह बात होती तो तुरंत सगेसोयरे का फैसला ले लिया होता।


मराठा आरक्षण का इतिहास
मराठा खुद को कुनबी समुदाय का बताते हैं। इसी के आधार पर वे सरकार से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की कैटेगरी में रखा गया है। कुनबी समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ का मिलता है।
मराठा आरक्षण की नींव पड़ी 26 जुलाई 1902 को, जब छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति शाहूजी ने एक फरमान जारी कर कहा कि उनके राज्य में जो भी सरकारी पद खाली हैं, उनमें 50% आरक्षण मराठा, कुनबी और अन्य पिछड़े समूहों को दिया जाए।
इसके बाद 1942 से 1952 तक बॉम्बे सरकार के दौरान भी मराठा समुदाय को 10 साल तक आरक्षण मिला था। लेकिन, फिर मामला ठंडा पड़ गया। आजादी के बाद मराठा आरक्षण के लिए पहला संघर्ष मजदूर नेता अन्नासाहेब पाटिल ने शुरू किया। उन्होंने ही अखिल भारतीय मराठा महासंघ की स्थापना की थी। 22 मार्च 1982 को अन्नासाहेब पाटिल ने मुंबई में मराठा आरक्षण समेत अन्य 11 मांगों के साथ पहला मार्च निकाला था।
उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस (आई) सत्ता में थी और बाबासाहेब भोसले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। विपक्षी दल के नेता शरद पवार थे। शरद पवार तब कांग्रेस (एस) पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दिया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इससे अन्नासाहेब नाराज हो गए।
अगले ही दिन 23 मार्च 1982 को उन्होंने अपने सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद राजनीति शुरू हो गई। सरकारें गिरने-बनने लगीं और इस राजनीति में मराठा आरक्षण का मुद्दा ठंडा पड़ गया।

20 जनवरी को जरांगे ने जालना से मुंबई तक निकाला था विरोध मार्च
मनोज ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी। 26 जनवरी को जरांगे और लाखों की संख्या में उनके समर्थक नवी मुंबई के वाशी पहुंचे। जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी थी। इस बीच महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों की टीम रात करीब 10 बजे वाशी पहुंची और जरांगे से मुलाकात की।
अगली सुबह 27 जनवरी को सीएम एकनाथ शिंदे नवी मुंबई पहुंचे और मनोज जरांगे से मुलाकात की। उन्होंने जरांगे की आरक्षण से जुड़ी सभी मांगें मान ली और उन्हें जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया। पूरी खबर पढ़ें

ये तस्वीर 27 जनवरी की है, जब CM शिंदे ने नवी मुंबई में मनोज जरांगे को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म कराया था।
पिछले आंदोलन के दौरान 9 दिन में 29 लोगों ने सुसाइड की थी
इससे पहले 25 अक्टूबर 2023 को मनोज जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में भूख हड़ताल शुरू की थी। मांग वही, मराठा समुदाय को OBC का दर्जा देकर आरक्षण दिया जाए। 9 दिनों में आंदोलन से जुड़े 29 लोगों ने सुसाइड कर लिया।
इसके बाद राज्य सरकार के 4 मंत्रियों धनंजय मुंडे, संदीपान भुमरे, अतुल सावे, उदय सामंत ने जरांगे से मुलाकात कर भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने स्थायी मराठा आरक्षण देने का वादा किया। इसके बाद 2 नवंबर 2023 को मनोज जरांगे ने अनशन खत्म कर दिया। साथ ही सरकार को 2 जनवरी 2024 तक का समय दिया था।