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ISRO Fuel Cell Testing | Polymer Electrolyte Membrane Fuel Cell | ISRO ने फ्यूल सेल का सफल परीक्षण किया: इससे अंतरिक्ष में बिजली और पानी बन सकेगा, कार-बाइक को ऊर्जा देने में भी सक्षम

बेंगलुरु2 घंटे पहले

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1 जनवरी को इसरो ने PSLV-C58 रॉकेट से फ्यूल सेल पेलोड को स्पेस में टेस्टिंग के लिए भेजा था। - Dainik Bhaskar

1 जनवरी को इसरो ने PSLV-C58 रॉकेट से फ्यूल सेल पेलोड को स्पेस में टेस्टिंग के लिए भेजा था।

भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO ने शुक्रवार को फ्यूल सेल तकनीक का सफल परीक्षण किया। यह तकनीक इसरो के फ्यूचर मिशन और डाटा इकट्ठा करने के लिहाज से बेहद अहम है। इससे अंतरिक्ष में बिजली और पानी बन सकेगा। इस फ्यूल सेल को स्पेस स्टेशन के लिए बनाया गया है।

स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी प्रयोगशाला है जहां इंसान रहते हैं। इंसान को अंतरिक्ष में रहने के लिए बिजली के साथ ही पानी की भी जरूरत होती है। इसरो का नया फ्यूल सेल दोनों जरूरतों को पूरा करेगा। यह स्पेस स्टेशन को ऊर्जा देने के लिए बिजली पैदा करेगा। इसके साथ ही इससे पानी भी निकलेगा जो इतना साफ होगा की अंतरिक्ष यात्रियों के काम आएगा।

फ्यूल सेल पेलोड जिसे PSLV-C58 रॉकेट से स्पेस में टेस्टिंग के लिए भेजा गया है।

फ्यूल सेल पेलोड जिसे PSLV-C58 रॉकेट से स्पेस में टेस्टिंग के लिए भेजा गया है।

फ्यूल सेल से पैदा हुई 180W बिजली
1 जनवरी को इसरो ने PSLV-C58 रॉकेट लॉन्च किया था। यह 4 स्टेज वाला रॉकेट है। रॉकेट की चौथी स्टेज ने XPOSAT सैटेलाइट को 650 Km की कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद इस स्टेज को पृथ्वी की 300 Km की कक्षा में एक्सपेरिमेंट के लिए लाया गया था। इस स्टेज में कुल 10 पेलोड लगे हैं।

इसी में से एक पेलोड 100W क्लास पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल आधारित पावर सिस्टम (FCPS) था। इसी फ्यूल सेल की टेस्टिंग इसरो ने की। टेस्ट के दौरान फ्यूल सेल के हाई प्रेशर वेसल्स में स्टोर की गई हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों से 180W बिजली पैदा हुई।

इस टेस्ट के दो मकसद थे:

  • स्पेस में पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल ऑपरेशन का आकलन करना।
  • फ्यूचर मिशन्स के सिस्टम को डिजाइन करने के लिए डेटा कलेक्ट करना।
तस्वीर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में रखे PSLV-C58 रॉकेट की है।

तस्वीर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में रखे PSLV-C58 रॉकेट की है।

ISRO के फ्यूल सेल से उत्सर्जन नहीं होगा
इसरो ने बताया कि फ्यूल सेल सीधे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों से बिजली का उत्पादन करते हैं। यानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों के मिलने से बिजली तैयार होती है और शुद्ध पानी भी मिलता है। इस फ्यूल सेल से बाई प्रोडक्ट के रूप में सिर्फ साफ पानी निकलता है। किसी प्रकार की हानिकारक गैस नहीं निकलती। यह पूरी तरह से उत्सर्जन-मुक्त है।

भविष्य में यह फ्यूल सेल सड़क पर चलने वाली कारों और बाइकों को ऊर्जा दे सकता है। यह फ्यूल सेल गाड़ियों को आम इंजन की तरह ज्यादा रेंज देगा। इसके लिए फ्यूल सेल को आम लोगों के इस्तेमाल लायक सस्ता करना होगा। ऐसा हो सका तो गाड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकेगा।

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