होम राज्य उत्तर प्रदेश आज जारी हो सकती है पंचायतों में आरक्षण की नई नीति,इस बार...

आज जारी हो सकती है पंचायतों में आरक्षण की नई नीति,इस बार 880 जगह नहीं होगा ग्राम प्रधान का चुनाव, ये रही वजह

  • यूपी में पंचायत चुनावों को लेकर इस समय जोरदार तैयारी चल रही है.
  • आज जारी हो सकती है पंचायतों में आरक्षण की नई नीति, क्‍या होंगे नियम?
  • उत्तर प्रदेश में इस साल 57,207 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर मंगलवार को बड़ा फैसला आ सकता है. शासन 19 जनवरी को वार्डों के आरक्षण की नई नीति जारी कर सकती है. जानकारी के मुताबिक, ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए चक्रानुक्रम आरक्षण लागू हो सकता है. बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण में बदलाव देखने को मिल सकता है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस साल 57,207 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे. इसके लिए आरक्षण की चक्रानुक्रम व्यवस्था लागू हो सकती है. दरअसल, साल 2015 में किए गए आरक्षण के प्रावधान को शून्य मानकर चक्रानुक्रम में आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. इस बार सरकार इस व्यवस्था को आगे बढ़ा सकती है. मतलब यह है कि 2015 में जो सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित थी, वह इस बार अनुसूचित वर्ग के लिए रिजर्व नहीं होगी. इसी तरह अगर कोई ग्राम पंचायत ओबीसी सदस्य के लिए रिज़र्व थी तो इस बार पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी.

ये होगा फॉर्मूला

इस बार आरक्षण के लिए हर ब्लॉक पर सभी वर्गों की आबादी को अंकित किया जाएगा. इसके बाद ग्राम पंचायतों की सूची तैयार की जा रही है. इसके तहत यह ध्यान रखा जाएगा कि 1995 में कौन सी ग्राम सभा किस वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी. एससी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों की आरक्षित वर्ग की संख्या उस ब्लॉक में अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के के अनुपात में गिरते हुए क्रम में आवंटित की जाएगी.

नए फॉर्मूले के तहत बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण में भी चक्रानुक्रम की पॉलिसी अपनाई जा सकती है. सिर्फ शर्त यह होगी की 1995 से 2015 के बीच जो भी सीट एससी और ओबीसी के लिए आरक्षित थी, वह इस बार रिज़र्व नहीं की जाएगी.

उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election 2021) को लेकर मंगलवार को बड़ा फैसला आ सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2015 में हुए उत्तर प्रदेश के त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार राज्य में ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो गये हैं.’ राज्य में विकास खण्डों की संख्या 821 से बढ़कर 826 हो गयी है. अब क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुख के पदों में 5 पदों का इजाफा हो गया है.

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में हुए पंचायत चुनाव में प्रदेश में कुल 59074 ग्राम प्रधानों के पद पर चुनाव हुए थे मगर इस बार हुए संक्षिप्त परिसीमन में 880 ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल कर लिये जाने की वजह से अब इस दफा प्रदेश में होने जा रहे पंचायत चुनाव में कुल 58194 ग्राम प्रधानों के पद पर ही चुनाव होंगे. ग्राम पंचायतों की संख्या कम होने के साथ ही ग्राम पंचायतों के वार्ड भी कम हो गये हैं. 2015 के पंचायत चुनाव में प्रदेश में कुल 744558 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर चुनाव हुए थे जबकि इस बार 731813 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर ही चुनाव होंगे.

पंचायतीराज निदेशालय ने सौंपा आंकड़ा

यह सारे आंकड़े उस रिपोर्ट के हैं जो प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत पंचायतीराज निदेशालय ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपे. बता दें कि प्रदेश के 71 जिलों में इस बार संक्षित परिसीमन हुआ जबकि गोण्डा, सम्भल, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर में पूर्ण परिसीमन करवाया गया क्योंकि 2015 के पंचायत चुनाव में कानूनी अड़चनों की वजह से इन चार जिलों में परिसीमन नहीं करवाया जा सका था.

आजमगढ़ में सर्वाधिक ग्राम पंचायत
इन नये आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सर्वाधिक 1858 ग्राम पंचायतों वाला जिला आजमगढ़ है, 2015 में इस जिले में कुल 1872 ग्राम पंचायतें थीं. दूसरे नम्बर पर सबसे ज्यादा ग्राम पंचायतें जौनपुर में 1740 हैं, 2015 के चुनाव में यहां 1773 पंचायतें थीं. प्रदेश में जिला पंचायत सदस्यों के पद भी कम हो गये हैं. 2015 के चुनाव में प्रदेश की कुल 75 जिला पंचायतों में 3120 वार्ड थे जबकि इस बार इनमें 69 वार्ड कम हो गये हैं, इस तरह से इस बार के चुनाव में कुल 3052 जिला पंचायत सदस्यों के पदों पर ही चुनाव होगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here