ऑस्ट्रेलिया के माउंट विंगेन में 6 हजार सालों से कोल माइंस में आग लगी हुई है. इस माउंटेन को बर्निंग माउंटेन भी कहा जाता है. कोल माइंस में आग लगना और जलते रहना आम बात है. धरती पर कई जगहों पर ऐसी माइंस हैं जिसमें लगातार आग जलती रहती है. भारत के झरिया कोलफील्ड में पिछले 100 सालों से आग लगी हुई है और वो लगातार जल रही है. मगर ऑस्ट्रेलिया की इस कोयले की खदान में जल रही आग को सबसे पुराना माना जाता है.बर्निंग माउंटेन’ कोयले (Coal) की खदान ऑस्ट्रेलिया की एक मात्र प्राकृतिक रूप से जलते रहने वाली खदान है. ऑस्ट्रेलिया की पौराणिक कथाओं के मुताबिक ये आग असल में एक महिला के आंसू हैं जिसे आसमान के देवता बायमानी ने पत्थर बना दिया था. शुरुआती वक्त में खोजकर्ताओं ने इसे ज्वालामुखी माना था लेकिन असल में ये धीरे-धीरे जलती कोयले की खदान है जो जमीन से 30 मीटर नीचे जल रही है
बर्निंग माउंटेन में कैसे लगी आग?
बर्निंग माउंटेन की जमीन के नीचे लगी आग धीरे-धीरे दक्षिण की ओर एक साल में एक मीटर की तेजी से बढ़ रही है. माना जाता है कि 6 हजार सालों में ये आग 6.5 किलोमीटर की दूरी पार कर चुकी है. कोई नहीं जानता कि आग कैसे लगी या उसकी शुरुआत कैसे हुई. वैज्ञानिकों का मानना है कि बिजली गिरने के कारण लगी या फिर झाड़ियों में आग लगी जिसने विक्राल रूप ले लिया. मगर ये भी माना जाता है कि ऑस्टेलिया के मूल निवासियों के द्वारा भी ये आग लगाई जाती रही होगी.
धीरे-धीरे जलने वाली इस आग से मिट्टी का रंग बदल चुका है वहीं पहाड़ पर सतह भी समतल नहीं रह गई है. जमीन के नीचे आज जलते रहने के कारण यहां खेती नहीं हो पाती है. यहां की जमीन भी बंजर हो चुकी है. इसके बावजूद हजारों पर्यटक बर्निंग माउंटेन को देखने हर साल यहां आते हैं.
6 हजार सालों से लगी है इस कोयले की खादान में लगी हुई है आग, लोग कहते ‘वार्निंग माउंटेन’