होम राज्य उत्तर प्रदेश टीएमयू की रिसर्च में एक और लम्बी छलांग,श्याम सुंदर भाटिया-एक्सक्लूसिव

टीएमयू की रिसर्च में एक और लम्बी छलांग,श्याम सुंदर भाटिया-एक्सक्लूसिव

नई खोज : तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के सीनियर फैकल्टी प्रदीप कुमार गुप्ता ने किया इन्नोवेटिव सोलर चूल्हे का आविष्कार, अब सोलर स्टोव को खुले आसमां में इस्तेमाल करने की दरकार नहीं, रिसर्च की बड़ी उपलब्धि है- अब सोलर चूल्हे पर रोटी पकाना भी मुमकिन,आम आदमी के दर्द के प्रति है संजीदा श्री गुप्ता, सीनियर फैकल्टी की झोली में आधा दर्जन खोजें, टीएमयू में श्री गुप्ता दस साल से हैं सीनियर फैकल्टी अब तक के इन्नोवेशन : बिजली जनरेट करने वाला पार्क गेट, साइकिल पैडल इलेक्ट्रिक जनरेटर, कूड़े व कचरे से आरसीसी ईंटों का निर्माण, नॉन फोगिंग सर्जिकल मास्क, आधा दर्जन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस

श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद की सीनियर फैकल्टी श्री प्रदीप गुप्ता ने एक अनूठे सोलर स्टोव का ईजाद किया है। लकड़ी के चूल्हों पर रोटी बनाने वालों के लिए यह वरदान से कम नहीं है। इस रिसर्च की सबसे बड़ी दो उपलब्धियां हैं – यह दुनिया का पहला सोलर स्टोव होगा, जिसका प्रयोग रसोईघर में किया जा सकेगा। इस चूल्हे पर रोटी सेंकना संभव होगा। इससे पहले सोलर स्टोव केवल खुली धूप में ही प्रयोग होते थे। इन स्टोवों पर केवल पानी और भोजन को गर्म करने का विकल्प था। यह आविष्कार ग्रामीण महिलाओं के लिए किफायती होने के साथ ईको फ्रेंडली भी है। अब सोलर स्टोव इस विकसित डिज़ाइन में भूनना, तलना, छौंकना और सेंकना आदि सब संभव हैं।

ऐसा होगा अब नया सोलर स्टोव

पुराने सोलर स्टोव के चेहरे- मोहरे में आमूल-चूल परिवर्तन हो गया है। नया सोलर स्टोव इंटरनल और एक्सटर्नल दो भागों में विभाजित होगा। इसका एक्सटर्नल हिस्सा छतरी के रूप में छत पर लगा होगा। छतरी में 100+ छोटे लेंस लगे होंगे जो सूरज की ऊर्जा एकत्र करेंगे। यह ऊर्जा पीवीसी पाइप के माध्यम से रसोई में लगे इंटरनल भाग तक पहुंचेगी। इसका इंटरनल भाग एक चूल्हे की शक्ल का होगा, जिसमें भोजन और बर्तन के अनुसार किरणों को एडजस्ट करने के लिए नोब के जरिए कंट्रोल होंगे। गैस के चूल्हे की मानिंद ऑन या ऑफ़ करने की सुविधा भी होगी। एक्सटर्नल भाग से आने वाली सौर किरणें एक समान्तर किरण के रूप में कई दर्पणों से टकराकर चूल्हे तक पहुंचेगी। चूल्हे तक पहुंचने के बाद एक लेंस और कंट्रोल के माध्यम से यह किरण फ़ैलकर बर्तन के बराबर हो जाएगी। कुकिंग का काम खत्म होने के बाद भी यह स्टोव उपयोगी रहेगा। ऑफ़ करने के बाद यह सौर ऊर्जा को पानी गर्म करने के उपयोग करता रहता है। इस गर्म पानी का उपयोग नहाने, बर्तन धोने और अन्य कार्यों के लिए किया जा सकता है।

खेल-खेल में आया यह इन्नोवेटिव आइडिया

श्री गुप्ता को यह इन्नोवेटिव आइडिया एक खेल के जरिए उस वक्त आया, जब बच्चे धूप में बैठकर लेंस के जरिए कागज जला रहे थे। इसी प्रक्रिया को बार-बार दोहरा कर उन्होंने इस चूल्हे को विकसित किया। एक चूल्हे के डिज़ाइन को डवलप करने में करीब एक वर्ष का समय लगा। इस चूल्हे को विकसित करने में उनकी टीम में श्री रत्नेश शुक्ला, श्री विकास वर्मा, श्री आलोक सिंह सेंगर, श्री प्रियांक सिंघल, श्री मनीष जोशी, श्री अमित कुमार और श्री अनुभव गुप्ता का भी विशेष योगदान है। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, एमजीबी श्री अक्षत जैन, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एसोसिएट डीन डॉ. मंजुला जैन ने कहा, हमें यूनिवर्सिटी की सीनियर फैकल्टी श्री प्रदीप कुमार गुप्ता की इस उपलब्धि पर नाज है। उन्होंने इस इन्नोवेटिव आइडिया विकसित करने वाले श्री गुप्ता और उनकी टीम को हार्दिक बधाई दी। एफओईसीइस के निदेशक प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने कहा, श्री गुप्ता की यह रिसर्च दुनिया में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने आम आदमी के दर्द खासकर ग्रामीण महिलाओं का दर्द समझा है। यह सोलर चूल्हा राजस्थान, गुजरात और लद्दाख सरीखे तेज धूप वाले सूबों और केंद्र शासित प्रदेश की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकता है। इसकी लागत भी अत्यंत कम है। राज्यों सरकारों और केंद्र सरकार के अनुदान देने पर इसे जन सुलभ बनाया जा सकता है।

एक और पेटेंट आएगा झोली में

श्री गुप्ता अपने आप में ही इन्नोवेटिव हैं। 2017 से आम आदमी की जरुरत के प्रति संजीदा हैं। कहते हैं, जहां चाह, वहां राह। श्री गुप्ता की उच्च शिक्षा वनस्पति विज्ञान में है, लेकिन उनके आविष्कार विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों- इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिक, ऑप्टिक्स इंजीनियरिंग में हैं। चार बरसों में उनके रात-दिन चिंतन के केंद्र में आम आदमी ही रहा है। वह अब तक करीब एक दर्जन इन्नोवेटिव प्रोजेक्ट्स में जुटे हैं, जैसे- बिजली जनरेट करने वाला पार्क गेट, साइकिल पैडल इलेक्ट्रिक जनरेटर, कूड़े-कचरे से आरसीसी ईंटों का निर्माण, नॉन फोगिंग सर्जिकल मास्क, आधा दर्जन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस आदि। इनमें बिजली जनरेट करने वाला पार्क गेट के प्रोजेक्ट को तो केंद्र सरकार के नेशनल रिसर्च पर डवलपमेंट कॉरपोर्रेशन ने वित्तीय मदद प्रदान की है। पब्लिकेशन के बाद यह परीक्षण के दौर में है। उम्मीद है, इस वर्ष में पेटेंट अवार्ड हो जाएगा। इसके अलावा कूड़े-कचरे से आरसीसी ईंटों का निर्माण प्रोजेक्ट भी परीक्षण के दौर में है। सोलर स्टोव के पेटेंट का भी भारतीय बौद्धिक सम्पदा विभाग की वेबसाइट में प्रकाशन हो चुका है। कोविड काल में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के लिए यह बड़ी उपलब्धि के तौर पर शुमार होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here