तेजी से बढ़ रहे कोरोना के कारण अस्पतालों में बेड फुल हो गए हैं। दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी बीमारियों या दूसरे कारणों से हुई मौतों में भी श्मशान घाट में अंत्येष्टि के लिए जगह नहीं मिल रही है। शवों को भी श्मशान घाट में लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ रहा है
सूरत के श्मशान गृह से जो तस्वीरें आई हैं वो डराने वाली हैं। जहां कोविड से मरने वाले मरीजों के शव के अंतिम क्रिया के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है, वहीं अन्य कारणों से हुई मौत के शव भी कतारबद्ध हैं और अंतिम क्रिया का इंतजार कर रहे हैं।
कोरोना के प्रकोप के बीच मरीजों से भरे अस्पतालों में जिस तरह की भयावह स्थिति है ऐसा ही कुछ हाल शहर के श्मशान घाटों का है, जहां मौत के बाद भी इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। रिश्तेदार शवों के साथ कई घंटो श्मशान में अंतिम क्रिया के लिए अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार मौतों का चाहे जो भी आंकड़ा बताए, लेकिन स्थिति विकट है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार सूरत में रोज कोरोना से 3 से 8 माैतें हो रही हैं। अश्विनी कुमार श्मशान भूमि में रोज 80 शव आ रहे हैं। इसी तरह जहांगीरपुरा स्थित कुरुक्षेत्र श्मशान भूमि में 30 से 35 शव आ रहे हैं। हालांकि इनमें सभी शव कोरोना मरीजों के नहीं हैं। अश्विनी कुमार श्मशान भूमि में पहले रोज 30-35 शव आते थे। इसी तरह कुरुक्षेत्र श्मशान भूमि में पहले रोज 10-15 शव आते थे। श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार के लिए मृतकों के परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है।
अश्विनी कुमार श्मशान भूमि के मंत्री प्रशांत काबरा ने बताया कि पहले से अब शवों की संख्या बढ़ी है। पहले रोज लगभग 30 शव आते थे, अब 80 तक आ रहे हैं। आंकड़ा इससे ज्यादा भी बढ़ सकता है। अभी तक तो अंतिम संस्कार में ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन आगे हो सकती है।
जहांगीरपुरा स्थित कुरुक्षेत्र श्मशान भूमि के अध्यक्ष कमलेश सेलर ने बताया कि अब रोज आने वाले शवों की संख्या दोगुनी हो गई है। सभी का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के मुताबिक हो रहा है। पहले रोज लगभग 15 शव आते थे, जबकि अब 30 से 35 शव आ रहे हैं।