
आम चुनाव के रिजल्ट सामने आने के बाद संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से लेकर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार तक ने बीजेपी पर निशाना साधा है। वहीं इंद्रेश कुमार ने इशारों-इशारों में भाजपा को अहंकारी बता दिया। इंद्रेश कुमार ने आगे कहा कि प्रभु राम सभी के साथ न्याय करते हैं। आइए जानते हैं कि आरएसएस नेताओं ने भाजपा को लेकर क्या-कुछ कहा है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी भाषण में जो इशारा किया था, इंद्रेश कुमार ने अपना वक्तव्य से उसे पूर्ण आकार दे दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में भाजपा की प्रभावशाली भूमिका को लेकर संघ परिवार असहज स्थिति है. भागवत से लेकर इंद्रेश कुमार अपने बयानों में यही इशारा कर रहे हैं. सवाल यह भी है कि क्या आरएसएस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है और क्या इस पूरे एपिसोड में जो दिख रहा है बात उससे कहीं कुछ ज्यादा है?
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा, “2024 में राम राज्य का विधान देखिए, जिनमें राम की भक्ति थी और धीरे-धीरे अहंकार आ गया, उन्हें 240 सीटों पर रोक दिया. जिन्होंने राम का विरोध किया, उनमें से राम ने किसी को भी शक्ति नहीं दी, कहा- तुम्हारी अनास्था का यही दंड है कि तुम सफल नहीं हो सकते.”कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी लोकसभा परिणाम के कारणों का विश्लेषण करते हुए एक बयान दिया था.उन्होंने कहा, “जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है. गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है.”समझा जाता है कि उन्होंने बीजेपी के कथित अहंकार को लेकर ये बात कही थी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पहिए दशकों से एक लय में एक गति से चल रहे हैं. जब नए इलाकों में पैर जमाने की बात आई तो संघ हमेशा आगे रहा. यहां RSS ने पहले जमीन तैयार की, फिर बीजेपी वहां पहुंची और राजनीतिक रूप से स्वयं को समृद्ध किया. अगर दोनों संगठनों के बीच ऐसा सहज समन्वय और सामंजस्य है तो संघ परिवार की ओर से फिर असहमति के स्वर क्यों? ये असंतोष के बुदबुदाहट क्यों? और बुदबुदाहट ही क्यों इंद्रेश कुमार ने तो अब खुली घोषणा कर दी है- अहंकारियों को प्रभु राम ने रोक दिया है.
आखिर आरएसएस के बयान से बीजेपी इतनी असहज और असहाय क्यों नजर आ रही है? इधर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने, उधर अगले ही दिन से आरएसएस और बीजेपी के बीच मनभेद और मतभेद की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. वजह है RSS की टॉप लीडरशिप और संघ की पत्रिका में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन को लेकर की गई सार्वजनिक टिप्पणी और लेख में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर की गई समीक्षा.
आरएसएस और बीजेपी के बीच मतभेद और मनभेद को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान, संघ की पत्रिका में लिखे गए लेख और संघ के बड़े नेता इंद्रेश कुमार के बयान के मायने तलाशे जा रहे हैं. आज बहुत लोगों के मन में कई तरह के सवाल घूम रहे हैं कि आखिर मोहन भागवत ने क्यों ऐसा कहा और इंद्रेश कुमार ने क्यों बयान दिया. साथ ही पत्रिका में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन पर जो लेख लिखा गया, उसका मतलब क्या है? क्या मोदी और शाह की अगुवाई में बीजेपी की वर्किंग स्टाइल से संघ खुश नहीं है. क्या संघ की तरफ से इशारे-इशारे में बीजेपी की टॉप लीडरशिप पर निशाना साधा गया है? ऐसे ही सवालों के जवाबों को तलाशने की कोशिश की गई है कि BJP और RSS के बीच अंदरखाने आखिर चल क्या रहा है.
इस समय मोहनभगगवत 4 दिवसीय गोरखपुर दौरे पर हैं इस बार के लोकसभा चुनावों में यूपी में बीजेपी को भारी शिकस्त खानी पड़ी है.इस दौरे पर पूरी मीडिया के साथ भाजपा भी नज़र गड़ाए हुए है, इस दौरे से बीजेपी अंदर से काफी असहज है लेकिन बाहर से यह दिखाने का प्रयास जरूर कर रही है कि सब ठीक चल रहा है,?
स्वदेश केसरी से प्रदीप कुमार शर्मा की रिपोर्ट