प्रदीप कुमार शर्मा,एडिटर इन चीफ
‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया”
मजरूह सुल्तानपुरी के इस शेर को बदायूँ के दो युवाओं ने चरितार्थ करके दिखाया है,बदायूँ शहर के दो युवाओं ने शहर की सड़कों पर रह रहे वेघर इंसानों व लाचार बीमार जानवरों की सेवा का बीड़ा उठाया है,इसके लिये उन्होंने शहर वासियों से सहयोग की अपील की शहर में कहीं भी किसी को कोई लाचार बीमार इंसान या जानवर दिखाई दे उसकी सूचना तत्काल जारी किए गए नम्बरों पर दें जिससे उनको सहायता मिल सके,उसकी दवाई से लेके खाने और कपड़ों तक का खर्च उठाएंगे दोनों।
इसके लिये दोनों युवाओं ने मिलकर एक संस्था “कारवां”बनाई है जिसके अध्यक्ष विकेंद्र शर्मा और उपाध्यक्ष अमन रस्तोगी हैं, दोनों युवाओं ने शहर में नई पहल करते हुए मानवता की मिशाल पेश की है उन्होंने शहर के सभी लोगों से अपील की है कि शहर के अंदर सड़कों पर आपको कोई भी इंसान या जानवर लाचार या जरूरतमंद दिखाई दे तो उसकी सूचना इनके नम्बरों पर दे हम उनकी हर सम्भव मदद करेंगे,इसके लिये उन्होंने लोगों से भी अपील की कि शहर के सम्पन्न लोग इस कारवांसे जुड़कर किसी भी रूप में अपनी सेवा दे सकते हैं।
सूचना/सहायता-संपर्क सूत्र:
विकेंद्र शर्मा : 9756041113
अमन रस्तोगी : 9760777900
पंजाबी चौक पर वेघर व्यक्ति को पहनने के कपड़े जूते मौजे कम्बल खाने पीने का सामान भी उपलब्ध कराते हुए वेघर व्यक्ति सहायता पाकर खुश दिखा बेसहारा बच्चों के साथ विकेंद्र शर्मा
शहर के किसी सज्जन पुरूष ने अपनी सज्जनता का परिचय देते हुए 5 पिल्लों को उनकी मां से अलग करते हुए प्रोफेसर कालोनी में प्रोफेसर क्वार्टर के पास छोड़ गया,प्रोफेसर क्वार्टर में रहने वाले परिवार ने अपने परिचित के माध्यम से इसकी सूचना विकेंद्र को दी रात्रि में ही सूचना मिलते ही विकेंद्र शर्मा उन बच्चों को उठाकर अपने घर ले आये है।
उन्होंने बदायूँ के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि कोई इन बच्चों को एडॉप्ट करना चाहे तो मेरे नम्बर सम्पर्क कर सकता है अथवा इनके वयस्क होने तक इनके भोजन दूध की व्यवस्था में कोई सहयोग करना चाहे तो उसका भी स्वागत है।