होम राज्य उत्तर प्रदेश अखिलेश की नरमी के बीच शिवपाल ने दिखाए तेवर, कहा- झुककर नहीं...

अखिलेश की नरमी के बीच शिवपाल ने दिखाए तेवर, कहा- झुककर नहीं करेंगे गठबंधन ?

प्रदीप कुमार शर्मा,एडिटर इन चीफ

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की नरमी के बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अकेले लड़ेगी चुनावशिवपाल यादव ने अकेले लड़ने का किया ऐलानकिसी से झुककर गठबंधन नहीं करेंगे-शिवपाल
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की नरमी के बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं करेगी.शिवपाल यादव ने ऐलान किया है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी 2022 में किसी से झुककर अलायंस नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि हम छोटे-छोटे दलों को जोड़ेंगे और किसी एक बड़े दल के साथ गठबंधन करेंगे.

शिवपाल यादव ने यह भी दावा किया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बिना प्रदेश में कोई सरकार नहीं बनेगी. उन्होंने कहा कि हम अगली सरकार में आएंगे और जब हम अगली सरकार में शामिल होंगे तो किसानों की समस्या खत्म होगी. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का चुनाव चिह्न चाबी छाप रहेगा.

असल में, अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को अपने साथ समायोजित करने और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन सपा प्रमुख की इस पेशकश को शिवपाल यादव ने ठुकरा दिया. उन्होंने अपना अलग गठबंधन बनाने और चुनावी बिगुल फूंकने का ऐलान किया है.

छोटे दलों पर अखिलेश की नजर, सपा की साइकिल पर बैठ सकता है कौन-कौन
कांग्रेस और बसपा के साथ हाथ मिलकर भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब बड़े दलों की बजाय छोटे दलों के साथ गठबंधन कर 2022 के विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही है. ऐसे में सवाल उठता है कि अखिलेश की नजर सूबे कि किन छोटे दलों पर हैं, जिनके सहारे वह सत्ता में वापसी का सपना संजो रहे हैं.

सपा के मौजूदा सहयोगी दल
अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि बड़ी पार्टियों से गठबंधन को लेकर हमारा बुरा अनुभव रहा है, इस वजह से हम इस बार छोटे दलों के साथ गठबंधन करेंगे. सपा प्रमुख यह बात पिछले एक साल से लगातार कह रहे हैं. हाल में ही सपा ने महान दल के साथ हाथ मिलाया है, जिसका राजनीतिक आधार बरेली-बदायूं और आगरा इलाके के शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य समुदाय के बीच है. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में जनवादी पार्टी के संजय चौहान, सपा के चुनाव निशान पर चंदौली में चुनाव लड़कर हार चुक‍े हैं और वह भी अखिलेश यादव के साथ सक्रिय हैं.

यूपी में पिछले दिनों उपचुनाव में सपा ने राष्‍ट्रीय लोकदल के लिए एक सीट बुलंदशहर की छोड़ी थी. इसके यह संकेत हैं कि आगे भी वह अजित सिंह के साथ तालमेल कर सकते हैं, लेकिन सपा के साथ हाथ मिलाने के बाद भी आरएलडी यहां पांचवें नंबर पर रही थी और उसे महज 7132 वोट मिल सके थे.

सपा के सामने क्या विकल्प
अखिलेश यादव के साथ फिलहाल तीन छोटी पार्टिया साथ हैं, लेकिन शिवपाल यादव की नजर भी छोटी पार्टियों पर है और अनुप्रिया पटेल पहले से बीजेपी के खेमे में है. ऐसे में रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) के साथ अखिलेश यादव के छत्तीस के आंकड़े हैं. वहीं, शिवपाल के साथ राजा भैया के संबंध बेहतर है, जिसके चलते दोनों के साथ आने की संभावना है. अय्यूब अंसारी की पीस पार्टी अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की कवायद में है, जिसके लिए उनकी नजर किसी बड़े दल के साथ है. ऐसे में सपा के साथ पीस पार्टी के आने की संभावना बन सकती है, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM सपा से ज्यादा बसपा के साथ गठबंधन करने की कवायद में है. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली इसके संकेत भी दे चुके हैं.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव की नजर ओम प्रकाश राजभर की पार्टी पर है, लेकिन वे अपना अलग राजनीतिक गठजोड़ बनाने में जुटे हैं और हाल ही में उन्होंने शिवपाल यादव के साथ मुलाकात भी की है. ऐसे में देखना है कि राजभर क्या सपा के साथ आते हैं या फिर अपनी राजनीतिक ताकत अपने छोटे सहयोगी दलों के साथ आजमाते हैं. वहीं, संजय निषाद की निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ हैं. संजय निषाद के बेटे बीजेपी से सांसद हैं और वो सपा के साथ पहले रह चुके हैं, जिसके चलते उनके साथ आने का कोई विकल्प नहीं बन रहा है. हालांकि, अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ हैं, लेकिन मोदी कैबिनेट में इस बार उन्हें जगह नहीं मिली है. ऐसे में उनका सियासी फैसला काफी अहम साबित हो सकता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here