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सिद्धपीठ श्री बालाजी धाम में ऐतिहासिक आयोजन देश-विदेश से जुटे श्रद्धालु, पूरी बिल्सी हनुमान जन्मोत्सव के रंग में रंगी, भव्य शोभायात्रा और 156 व्यंजनों से भोग ने किया सबको अभिभूत,

बिल्सी। शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर सिद्धपीठ श्री बालाजी धाम, बिल्सी में ऐसा दृश्य देखने को मिला जो बरसों तक नगरवासियों के हृदय में बसा रहेगा। पूरा नगर भगवामय हो उठा और श्री बालाजी महाराज के जयकारों से गूंज उठा। कार्यक्रम की भव्यता और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।

पवित्र स्नान और दिव्य श्रृंगार से हुई शुरुआत

सुबह भोर में भगवान श्री बालाजी महाराज को हरिद्वार, काशी, प्रयागराज, और गंगासागर से लाए गए पावन गंगाजल से स्नान कराया गया। इसके पश्चात चोला चढ़ाकर दिव्य श्रृंगार किया गया। मंदिर भवन को फूलों, झंडियों और सजीव लाइटिंग से सजाया गया था। संपूर्ण धाम आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हो उठा।

108 दीपों की दिव्य आरती और सिद्ध दीपों का वितरण

दोपहर 11:45 पर 108 दीपों से आठ आरतियों के साथ भगवान बालाजी की महाआरती उतारी गई। इस आरती में सीओ बिल्सी संजीव कुमार सिंह ने विशेष रूप से भाग लिया। श्रद्धालुओं को सिद्ध दीपों का वितरण किया गया, जिन्हें आरती उपरांत अपने घर ले जाकर दीप प्रज्वलन के माध्यम से मनोकामनाएं पूर्ण करने की मान्यता है।

156 व्यंजनों का विशेष भोग

आरती के बाद भगवान श्री बालाजी को 156 विविध व्यंजनों का भव्य भोग अर्पित किया गया। व्यंजनों की दिव्यता और भावनात्मक समर्पण ने भक्तों को भावविभोर कर दिया।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था, महंत ने जताया आभार

इस विशाल आयोजन को शांतिपूर्वक सम्पन्न कराने के लिए बिल्सी, मुजरिया, उघैती, इस्लामनगर थानों की पुलिस बल, महिला पुलिस और PAC की टीम मुस्तैद रही। कोतवाल राजेन्द्र सिंह पुंडीर, इंस्पेक्टर बीके मौर्य, सिटी इंचार्ज, SI इंतज़ार हुसैन अपनी पूरी टीम के साथ तैनात रहे। महंत श्री मटरूमल शर्मा ने प्रशासन व पुलिस का आभार व्यक्त किया।

शोभायात्रा ने किया नगर भ्रमण

भव्य शोभायात्रा की शुरुआत बाबा पंडित रामचंद्र शर्मा महाविद्यालय से हुई। यात्रा सम्राट अशोक चौराहा, अंबियापुर, साहबगंज थाना मोड़, जैन मार्केट, बड़ी सब्ज़ी मंडी, अटल चौक, लोहा मंडी, सर्राफा बाज़ार, बालाजी तिराहा होते हुए सिद्धपीठ श्री बालाजी धाम पहुंचकर सम्पन्न हुई। यात्रा के अंतिम झांकी में श्री राम दरबार और श्री बालाजी का डोला चल रहा था, जिससे प्रसाद वितरण किया गया।

नगरवासियों और व्यापारियों ने किया स्वागत

नगर के विभिन्न स्थानों पर व्यापारियों द्वारा पेयजल, शरबत, मिठाई, लस्सी, जलजीरा आदि की सेवा की गई। जगह-जगह पुष्प वर्षा कर भगवान का स्वागत किया गया।

महंत परिवार और प्रमुख जन रहे मौजूद

महंत श्री मटरूमल शर्मा का पूरा परिवार शोभायात्रा में सहभागी रहा – पुत्रगण: प्रदीप शर्मा, संजीव शर्मा, राजीव शर्मापौत्र-पौत्रियाँ: आयोजित शर्मा, डॉ. वैष्णवी शर्मा, यश शर्मा, यति शर्मा दामाद: राजीव शर्मा पुत्री: रेखा शर्मा

उल्लेखनीय उपस्थिति

शोभायात्रा में नगर के गणमान्यजन और श्रद्धालु भी भारी संख्या में मौजूद रहे: जहां नेपाल,मारीसिश, दिल्ली, देहरादून, नैनीताल, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल, गुजरात आदि प्रांतों से आये श्रद्धालूओं ने बड़े ही भक्ति भाव से जन्मोत्सव मे सहभागिता की, कार्यक्रम मे मुख्यरूप से
डॉ. तेजस्विन झा, डॉ. अमित, डॉ. विभोर, स्वतंत्र राठी, पुष्किन माहेश्वरी, जितेन्द्र वार्ष्णेय (जित्तू), चारु सोमानी, सौरभ सोमानी (मिंटू), डिंपल सोमानी, रंजन माहेश्वरी, निशांत, राजेश माहेश्वरी, अनुज सोमानी, प्रांजल सोमानी, कुशाग्र माहेश्वरी, प्रवीण वार्ष्णेय, दीपू माहेश्वरी, अनूप माहेश्वरी, मोहित देवली, बैभव बिड़ला, मुनीश गिरी, गिरीश गिरी, लोकेश नागर, आकाश वार्ष्णेय, नीरज माहेश्वरी, अक्षय माहेश्वरी, बाबर हुसैन, रामू, रोहित माहेश्वरी, टिंकू वार्ष्णेय, देव वार्ष्णेय, दिव्यांश माहेश्वरी, आशीष माहेश्वरी रेडा, मुकेश गुप्ता, मयंक माहेश्वरी कंटू, अमित माहेश्वरी टैना, राहुल वार्ष्णेय (रहड़िया), जीतू (दिल्ली), डॉ. अक्षत अशेष, पराग गुप्ता, सुनील माहेश्वरी** आदि।

सजावट, प्रसाद एवं आतिशबाजी ने रचाई दिव्यता

  • आतिशबाजों ने आसमान मे विखेरी सुनहेरी छटा फरीदपुर, पीलीभीत, दिल्ली से आकर आकाश को रंगीन रोशनी से नहला दिया।
  • नगर और बालाजी धाम मे लाईटिंग: रामगोपाल (बदायूं), बाबर हुसैन (बिल्सी), पियूष माहेश्वरी उर्फ बिट्टू द्वारा की गई,
  • भंडारा और प्रसाद को*: विवेक कैटरर्स द्वारा तैयार किया गया।
  • बालाजी धाम की सजावट: मुकेश प्रजापति द्वारा की गई।
    यह आयोजन बिल्सी नगर के लिए न केवल एक धार्मिक पर्व था, बल्कि बिल्सी की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का साक्षी बन गया। सिद्धपीठ श्री बालाजी धाम ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि श्रद्धा, सेवा और समर्पण से बढ़कर कोई आयोजन नहीं होता।

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