बदायूं। जनपद में गौवंशों पर हो रही क्रूरता की घटनाओं ने प्रशासन और सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी है। ग्राम सनाय, ब्लॉक सलारपुर में एक निर्दोष गौवंश सांड के पिछले पैरों को धारदार हथियार से काट दिया गया है। सांड इतनी बुरी हालत में है कि दो कदम भी चलने में असमर्थ है। यह घटना केवल एक झलक है कि किस तरह से निर्दोष जानवर प्रशासनिक लापरवाही और मानवीय क्रूरता के शिकार हो रहे हैं।



इसी प्रकार, ग्राम बदरपुर और ग्राम बुधयाई में खेतों में लगाए गए ब्लेड वाले तारों से कई गौवंश बुरी तरह घायल हो गए हैं। ये पशु अब जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों द्वारा कैद किए गए वीडियो और तस्वीरें किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा को झकझोरने के लिए काफी हैं। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि ये मासूम जीव खून से लथपथ, दर्द से कराहते हुए अपनी अंतिम सांसें गिन रहे हैं। यह नजारा केवल उनकी पीड़ा ही नहीं, बल्कि प्रशासन की असंवेदनशीलता को भी दर्शाता है।
प्रशासनिक लापरवाही – आदेश हवा में
बदायूं के जिलाधिकारी द्वारा 24 फरवरी 2023 को जारी आदेश (पत्रांक 1855) स्पष्ट रूप से कहता है कि किसानों द्वारा खेतों में लगाए जा रहे ब्लेड और कंटीले तारों को तुरंत हटाया जाए और पशुओं के अनुकूल बाड़ों का प्रयोग किया जाए। आदेश में यह भी निर्देश दिए गए थे कि गौवंशों की चिकित्सा के लिए जनपद स्तर पर 24 घंटे क्रियाशील पशु चिकित्सालय की व्यवस्था हो। बावजूद इसके, इन आदेशों का पालन कहीं भी होता नहीं दिख रहा है। किसान अब भी अपने खेतों में प्रतिबंधित ब्लेड वाले तारों का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे गौवंश गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं।
क्या प्रशासन को इन निर्दोष प्राणियों की पीड़ा दिखाई नहीं देती? क्या यह मान लिया जाए कि केवल कागजों में आदेश जारी करके प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है?
मुख्यमंत्री से सवाल – क्या पशुओं की सुरक्षा अब केवल एक चुनावी मुद्दा बनकर रह जाएगी?
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कई बार सार्वजनिक मंचों से गौवंशों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े वादे किए हैं। परंतु, बदायूं में जिस तरह से इन मासूम प्राणियों की दुर्दशा हो रही है, उससे यही सवाल उठता है – क्या ये वादे केवल चुनावी मंचों तक सीमित हैं? आज बदायूं में गौवंशों की जो हालत है, उसे देखकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा, परंतु प्रशासन की आंखें और कान इस दर्दनाक स्थिति से मूंदे हुए हैं। मुख्यमंत्री से अब ये उम्मीद की जा रही है कि वे खुद संज्ञान लेकर ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करें, जो इन मासूम जीवों की सुरक्षा करने में असफल रहे हैं।
कब मिलेगी राहत?
यदि समय रहते प्रशासन और सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो गौवंशों की यह पीड़ा और भी भयावह रूप ले लेगी। अब जरूरी है कि इन आदेशों का सख्ती से पालन करवाया जाए और दोषी अधिकारियों व किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वरना आने वाले समय में ये लापरवाही और क्रूरता जनपद के संवेदनशील समाज पर एक काला धब्बा बनकर रह जाएगी।
बदायूं के जिलाधिकारी और प्रशासन से सवाल – आखिर कब जागेंगे आप?
जब तक प्रशासन और अधिकारी इस गंभीर समस्या की तरफ ध्यान नहीं देंगे, तब तक गौवंशों की यह स्थिति बदतर होती रहेगी। जिलाधिकारी को चाहिए कि वे तत्काल एक्शन लें और सभी किसानों को ब्लेड वाले तारों को हटाने के निर्देश दें। यदि अब भी इस मुद्दे को अनदेखा किया गया, तो यह जनपद और राज्य सरकार की सबसे बड़ी असफलताओं में गिना जाएगा।
सवाल उठता है – क्या बदायूं के गौवंशों की आवाज प्रदेश सरकार और प्रशासन तक पहुंच पाएगी?
साभार: विकेंद्र शर्मा (पशु प्रेमी)