बिल्सी, गुधनी स्थित यज्ञ तीर्थ में आर्य समाज के तत्वावधान में स्थानीय प्रज्ञा यज्ञ मंदिर में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सामवेद के मंत्रों से आहुतियां दी गईं और प्राणी मात्र के कल्याण के लिए बलिवैश्वदेव यज्ञ का आयोजन भी किया गया।
यज्ञ के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने अपने प्रवचन में कहा, “पुरुषार्थ के चार चरण होते हैं—धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष। जो मनुष्य मोक्ष प्राप्त करना चाहता है, उसे पहले धर्म को धारण करना होगा। अर्थात्, जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलकर धन कमाता है, उसकी सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं और वह अंततः मोक्ष को प्राप्त करता है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मोक्ष प्राप्ति का प्रथम साधन धर्म है, जो किसी मत, मजहब या संप्रदाय का नाम नहीं है, बल्कि वे सद्गुण हैं जिन्हें धारण कर व्यक्ति सदाचारी, परोपकारी, दानी, सेवाभावी, ईमानदार और चरित्रवान बनता है। आचार्य ने कहा, “भगवान कृष्ण हमें यही प्रेरणा देते हैं कि हम धर्म के मार्ग पर चलें, क्योंकि जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी भी रक्षा करता है।”
इस अवसर पर कुमारी तृप्ति शास्त्री ने वेद पाठ किया और भजन सुनाए। कार्यक्रम में मास्टर साहब सिंह, पंजाब सिंह, श्रीमती मुन्नी देवी, श्रीमती संतोष कुमारी, श्रीमती कमलेश रानी, श्रीमती सुराजावती देवी, प्रिंस कुमार, कौशिकी, कुमारी इशा आर्य सहित कई अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।