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Lok Sabha Election Expenditure 2019-2024 Vs US Election 2020 Comparison | एक्सपर्ट का दावा-इस चुनाव में 1.35 लाख करोड़ खर्च अनुमानित: 2019 चुनाव में 60,000 करोड़ खर्च हुए; 2020 US इलेक्शन में 1.2 लाख करोड़ खर्च

नई दिल्ली35 मिनट पहले

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लोकसभा चुनाव-2024 में 1.35 लाख करोड़ खर्च हो सकते हैं। ये दावा सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) के प्रमुख एन भास्कर राव ने किया है। CMS बीते 35 साल से चुनाव में खर्च का लेखा-जोखा रख रहा है।

न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में राव ने बताया, भारत में इस बार 96.6 करोड़ वोटर हैं। इस लिहाज से प्रति मतदाता खर्च करीब 1,400 रुपए अनुमानित है।

2019 लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। वहीं, एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन OpenSecrets.org के मुताबिक, 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 1.2 लाख करोड़ (14.4 बिलियन डॉलर) खर्च हुए थे। वॉशिंगटन स्थित OpenSecrets.org अमेरिकी नेताओं के कैंपेन खर्च और लॉबिंग पर नजर रखता है।

चुनाव में खर्च के अनुमान पर राव कहते हैं कि इसके लिए चुनाव से जुड़े प्रत्यक्ष और परोक्ष सभी तरह के खर्चों को शामिल किया गया है। इसमें राजनीतिक दलों और संगठनों, उम्मीदवार, सरकार और चुनाव आयोग की तरफ से किया जाने वाला खर्च भी शामिल है।

राव ने बताया कि हमने इस चुनाव में पहले 1.2 लाख करोड़ खर्च का अनुमान लगाया था। बाद में जब इलेक्टोरल बॉन्ड की बात सामने आई तो इसे 1.35 लाख करोड़ कर दिया। हमारा ये आकलन चुनाव तारीखों के ऐलान से 3-4 महीने पहले का है। राव ने बताया कि चुनावी प्रक्रिया में इलेक्टोरल बॉन्ड से इतर कई जगहों से पैसा आता है।

एक्सपर्ट्स बोले- मेटा, गूगल भी कैंपेन में अहम भूमिका निभाते हैं

एक लीडिंग एडवरटाइजिंग एजेंसी डेंट्सू क्रिएटिव के CEO अमित वाधवा कहते हैं- राजनीतिक दल आजकल कॉर्पोरेट्स ब्रांड्स के जैसे बर्ताव करते हैं। वे प्रचार के लिए प्रोफेशनल एजेंसीज को हायर करते हैं, ताकि उनकी बेहतर ब्रांडिंग हो। इसमें डायरेक्ट और इनडायरेक्ट डिजिटल कैंपेन शामिल होता है।

एक टॉप एजेंसी के ऑफिशियल के मुताबिक, किसी राजनीतिक विचारधारा से न जुड़ा वोटर, जिन्हें बाड़ पर बैठा व्यक्ति (fence-sitters) कहा जाता है, इन पर पार्टियों की नजर होती है। वहीं, मेटा और गूगल जैसे सोशल मीडिया दिग्गज भी पॉलिटिकल कैंपेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ADR ने कहा था- भारत में पॉलिटिकल फंडिंग में पारदर्शिता का अभाव
हाल ही में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने कहा था कि भारत में होने वाली पॉलिटिकल फंडिंग में ट्रांसपेरेंसी की कमी है। ADR ने दावा किया था कि 2004-05 से 2022-23 तक भारत की 6 बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों को कुल फंडिंग की 60% रकम मिली। ये रकम 19,083 करोड़ थी। ये पैसा अघोषित सूत्रों से आया।

हालांकि, ADR ने लोकसभा चुनाव में खर्च को लेकर किसी तरह का अनुमान जारी नहीं किया

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