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JNU Hostel Freeloaders; Chancellor Santishree Pandit On Campus Problems | Delhi News | JNU की वाइस चांसलर बोलीं- यहां मुफ्तखोरों की समस्या: स्टूडेंट अपने कोर्स की अवधि से ज्यादा रुकते हैं, बिना अनुमति गेस्ट आते हैं

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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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VC ने कहा कि JNU में कुछ स्टूडेंट्स को सब कुछ मुफ्त और सब्सिडी पर चाहिए। JNU की कैंटीन लोकसभा की कैंटीन से सस्ती है। - Dainik Bhaskar

VC ने कहा कि JNU में कुछ स्टूडेंट्स को सब कुछ मुफ्त और सब्सिडी पर चाहिए। JNU की कैंटीन लोकसभा की कैंटीन से सस्ती है।

दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलीपुडी पंडित ने बताया कि यूनिवर्सिटी फ्रीलोडर्स यानी मुफ्तखोरों से परेशान है। यहां कई स्टूडेंट अपने कोर्स की अवधि पूरी होने के बाद भी हॉस्टल में रह रहे हैं, वहीं कई अवैध मेहमान भी यहां रुके हुए हैं।

VC पंडित ने ये बातें न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में कहीं। उन्होंने बताया कि हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन को सख्त हिदायत दी गई है कि किसी भी स्टूडेंट को पांच साल से ज्यादा हॉस्टल में न रहने दें।

पंडित से पूछा गया कि ऐसे आरोप लगते हैं कि JNU में टैक्सपेयर्स के पैसों पर कई मुफ्तखोर रह रहे हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ये बात बिल्कुल सही है। यूनिवर्सिटी में मुफ्तखोरों की संख्या बढ़ गई है।

JNU का एरिया करीब 1000 एकड़ है और यहां अलग-अलग कोर्स में 9000 स्टूडेंट्स हैं।

JNU का एरिया करीब 1000 एकड़ है और यहां अलग-अलग कोर्स में 9000 स्टूडेंट्स हैं।

VC बोलीं- जब मैं यहां स्टूडेंट थी, तब भी ऐसे स्टूडेंट हुआ करते थे
पंडित खुद इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ी हुई हैं। पंडित ने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से मास्टर्स करने के बाद 1985 से 1990 के बीच JNU से MPhil और PhD किया था। उन्होंने कहा कि जब मैं स्टूडेंट हुआ करती थी, ये समस्या तब भी थी, पर अब ये बढ़ गई है।

तब भी कई स्टूडेंट समय पूरा होने के बाद भी यहां रुकते थे, पर तब उनकी संख्या कम हुआ करती थी। JNU में कुछ स्टूडेंट्स को सब कुछ मुफ्त और सब्सिडी पर चाहिए। JNU की कैंटीन लोकसभा की कैंटीन से सस्ती है, पर हमारे समय में टीचर्स काफी स्ट्रिक्ट हुआ करते थे।

जब मैं पीसचडी कर रही थी, तो मेरी रिसर्च को सुपरवाइज करने वाले प्रोफेसर ने कहा था कि अगर तुमने साढ़े चार साल में अपनी रिसर्च पूरी नहीं की, तो तुम्हें यहां से जाना पड़ेगा। मुझे पता था कि प्रोफेसर मेरी फेलोशिप को एक्सटेंड करने की एप्लिकेशन पर साइन नहीं करेंगे। तब से अब तक हालात काफी बदल गए हैं। कई प्रोफेसर अब इस तरह के एक्सटेंशन की इजाजत दे रहे हैं। इसलिए मुफ्तखोरों की संख्या बढ़ गई है।

VC ने कहा कि अब कई प्रोफेसर स्टूडेंट्स को अपनी रिसर्च एक्सटेंड करने की इजाजत दे रहे हैं। इससे मुफ्तखोरों की संख्या बढ़ गई है।

VC ने कहा कि अब कई प्रोफेसर स्टूडेंट्स को अपनी रिसर्च एक्सटेंड करने की इजाजत दे रहे हैं। इससे मुफ्तखोरों की संख्या बढ़ गई है।

UPSC की तैयारी करने वाले लोग यहां रुकते हैं
पंडित ने कहा कि कैंपस में ऐसे लोग भी हैं जो अवैध गेस्ट हैं, जो JNU के स्टूडेंट नहीं हैं, पर यहां रह रहे हैं। वे या तो UPSC की तैयारी कर रहे हैं, या किसी और एग्जाम की। ऐसे लोगों के लिए JNU रहने की सबसे सस्ती जगह है। जबकि साउथ-वेस्ट दिल्ली में आपको रहने की ऐसे कई जगहें मिलेंगी, जहां हरियाली हो और ऐसे ढाबे हों जहां सस्ता खाना मिलता हो।

स्टूडेंट्स के लिए ID कार्ड रखना अनिवार्य किया गया है
VC ने कहा कि हम इस परेशानी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। रूम के अंदर जाना तो हमारे लिए बहुत मुश्किल है, पर हम नियमों का पालन करते हुए किसी के रूम में दाखिल होते हैं। हम स्टूडेंट की अच्छाई पर भी यकीन करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अगर वे किसी गेस्ट को लेकर आते हैं तो कम से कम हमें सूचना दें।

उन्होंने कहा कि हमने हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन को भी सख्त हिदायत दी है कि किसी स्टूडेंट को पांच साल से ज्यादा समय लिए रहने न दें। हम ID कार्ड को अनिवार्य कर रहे हैं। हम स्टूडेंट्स से कह रहे हैं कि वे अपना ID कार्ड पूरे समय अपने साथ लेकर चलें और जब मांगा जाए, तो ID दिखाएं। हम स्टूडेंट्स से भी कह रहे हैं कि वे हमें मुफ्तखोरों के बारे में बताएं, क्योंकि कई स्टूडेंट्स भी ऐसे लोगों को पसंद नहीं करते हैं।

VC ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगर स्टूडेंट्स किसी गेस्ट को लेकर आते हैं तो कम से कम हमें सूचना दें।

VC ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगर स्टूडेंट्स किसी गेस्ट को लेकर आते हैं तो कम से कम हमें सूचना दें।

2019 में फीस वृद्धि के बाद हुए थे विरोध प्रदर्शन
2019 में JNU ने हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स के मेस के 2.79 करोड़ रुपए के बकाया का मुद्दा उठाया था। तब स्टूडेंट यूनियन ने इस मुद्दे पर आपत्ति जताई थी और JNU के कदम को स्टूडेंट को धमकाने वाला बताया था। 2019 में जब यूनिवर्सिटी ने फीस बढ़ाई थी, तब भी बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।

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