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Sonam Wangchuk broke her fast on the 21st day | सोनम वांगचुक ने 21वें दिन अनशन तोड़ा: बोले- आंदोलन खत्म नहीं हुआ, अब महिलाएं भूख हड़ताल करेंगी; लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग

लेह13 मिनट पहले

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लद्दाख के लोगों की मांगों को लेकर सोनम वांगचुक 6 मार्च से भूख हड़ताल कर रहे थे। - Dainik Bhaskar

लद्दाख के लोगों की मांगों को लेकर सोनम वांगचुक 6 मार्च से भूख हड़ताल कर रहे थे।

सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने मंगलवार (26 मार्च) को 21वें दिन अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी। वे लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 6 मार्च से अनशन पर थे।

भूख हड़ताल खत्म करने के बाद सोनम वांगचुक ने कहा- ये आंदोलन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। कल से महिलाएं भूख हड़ताल करेंगी। अपनी मांगों को लेकर हमें जब तक आंदोलन करना पड़े, हम करेंगे।

सोनम वांगचुक और लद्दाख के लोग पूर्ण राज्य बनाने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

वांगचुक बोले- PM मोदी चुनावी वादे पूरे करें
इससे पहले मंगलवार सुबह वांगचुक ने एक वीडियो मैसेज जारी किया था। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने चुनावी वादे पूरे करने की अपील की थी। वांगचुक ने कहा था- PM मोदी भगवान राम के भक्त हैं। उन्हें राम की ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ की शिक्षा का पालन करना चाहिए।

सोनम वांगचुक ने कहा- भारत लोकतंत्र की जननी है। हम किंगमेकर हैं। हम किसी सरकार को अपने तरीके बदलने के लिए मजबूर कर सकते हैं। अगर वह काम नहीं करती है तो सरकार को भी बदल सकते हैं।

आर्टिकल 370 हटने के बाद शुरू हुआ आंदोलन
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना। लेह और कारगिल को मिलाकर लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बना था।

इसके बाद लेह और कारगिल के लोग खुद को राजनीतिक तौर पर बेदखल किया हुआ महसूस करने लगे। वे तभी से केंद्र के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। बीते दो साल में लोगों ने कई बार विरोध-प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिलता था।

4 मार्च को केंद्र ने मांगें मानने से इनकार किया था
इस साल की शुरुआत में बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह स्थित एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) के बैनर तले हाथ मिलाया। इसके बाद लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन और भूख हड़ताल होने लगीं।

केंद्र ने मांगों पर विचार करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत सफल नहीं हुई। 4 मार्च को लद्दाख के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और बताया कि केंद्र ने मांगें मानने से इनकार दिया है। इसके दो दिन बाद वांगचुक ने लेह में अनशन शुरू किया था।

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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा दिए जाने की मांग को लेकर 4 फरवरी) को प्रदर्शन हुआ था। लेह में कड़कड़ाती ठंड के बीच हजारों लोगों ने सड़कों पर मार्च निकाला।

इससे पहले 3 फरवरी को लद्दाख में बंद का ऐलान किया गया था। प्रदर्शन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने किया। पूरी खबर पढ़ें…

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