
बंगाल सफारी पार्क में एक शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखा गया था, जिसके खिलाफ VHP ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। (फाइल फोटो)
कलकत्ता हाईकोर्ट ने शेरनी का नाम सीता और शेर का अकबर रखने पर आपत्ति जताई है। साथ ही बंगाल सरकार को विवाद से बचने के लिए दोनों का नाम बदलने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने सीता और अकबर नाम देने को लेकर बंगाल सरकार से जवाब भी मांगा है।
कोर्ट ने कहा कि किसी भी जानवर का नाम किसी हिंदू भगवान, मुस्लिम पैगंबर, ईसाई, महान पुरस्कार विजेताओं, राष्ट्र नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर न रखें। इससे विवाद पैदा होता है।
दरअसल, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखा गया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) की बंगाल इकाई ने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताया। 16 फरवरी को इसके खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका लगाई। मामले की सुनवाई जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की बेंच ने की। याचिकाकर्ता की मांग थी कि शेरों के जोड़े का नाम बदला जाए।

कोर्ट में जस्टिस सौगत भट्टाचार्य और बंगाल सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) के बीच बातचीत ….
जस्टिस सौगत: क्या आपके पास पालतू कुत्ते हैं? नाम क्या हैं?
एएजी: मेरे पास तीन हैं। टॉफी, ट्रफल और थियो।
कोर्ट: अच्छे नाम दिए हैं। नहीं तो अगली खबर आती कि एडवोकेट जनरल राष्ट्रीय नायकों के नाम पर कुत्तों का नाम रखते हैं।
एएजी: शेर के जोड़े को त्रिपुरा से लाया गया है। वहीं से इनका नाम सीता और अकबर था। बंगाल सरकार इनके नाम बदलने पर विचार कर रही थी, लेकिन विवाद पैदा करने के लिए इनके नाम की खबर वायरल की गई।
जस्टिस सौगत: मिस्टर काउंसिल, क्या आप खुद अपने पालतू जानवर का नाम किसी हिंदू भगवान या मुस्लिम पैगंबर के नाम पर रखेंगे। क्या हममें से कोई रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर किसी जानवर का नाम रखने के बारे में सोच सकता है?
इस देश का एक बड़ा वर्ग सीता की पूजा करता है। मैं शेर का नाम अकबर के नाम पर रखने का भी विरोध करता हूं। वह एक कुशल, सफल और धर्मनिरपेक्ष मुगल सम्राट थे। आप इसका नाम बिजली या ऐसा कुछ रख सकते थे। अकबर और सीता, ऐसे नाम क्यों रखें गए?
एएजी: जानवरों का जन्म 2016 और 2018 में हुआ था। 5 साल तक किसी ने भी इन नामों को चुनौती नहीं दी, लेकिन एक बार जब वे पश्चिम बंगाल आए, तो उन्होंने इस विवाद को शुरू कर दिया।
जस्टिस सौगत: धार्मिक देवता या ऐतिहासिक रूप से सम्मानित व्यक्तित्वों के नाम पर शेरों का नाम रखना अच्छा नहीं है। राज्य पहले से ही कई विवादों को देख रहा है। यह विवाद एक ऐसी चीज है, जिससे बचा जा सकता है।
त्रिपुरा के जूलॉजिकल पार्क से लाया गया था जोड़ा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस शेर-शेरनी के जोड़े को हाल ही में त्रिपुरा के सेपाहिजला जूलॉजिकल पार्क से लाया गया था। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने शेरों का नाम नहीं बदला है। 13 फरवरी को यहां आने से पहले ही उनका नाम रखा जा चुका था।
विहिप का कहना है कि शेरों का नाम राज्य के वन विभाग द्वारा रखा गया था और ‘अकबर’ के साथ ‘सीता’ रखना हिंदू धर्म का अपमान है। हम इनका नाम बदलने की मांग करते हैं। इस मामले में राज्य के वन अधिकारियों और सफारी पार्क डायरेक्टर को पक्षकार बनाया गया है।
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