उझानी। माघ पूर्णिमा पर शनिवार पूरे दिन कछला गंगाघाट आस्था से सराबोर रहा। करीब चार लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने के अनुमान के बीच घाट पर हर-हर गंगे की गूंज रही। श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाने के बाद पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दिया, फिर मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया। संतों समेत पुरोहितों को दक्षिणा भी भेंट की गई।
गंगाघाट पर शनिवार तड़के से ही बदायूं, बरेली, कासगंज, मथुरा और एटा जिले के अलावा राजस्थान के श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। निजी वाहनों, रोडवेज बसों और ट्रेन के जरिये घाट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाने के बाद पूजा-अर्चना की। पुरोहितों से मंत्रोच्चार कराया। कई श्रद्धालुओं ने घाट पर ही हवन में आहुतियां अर्पित कर गंगा मइया सुख और शांति की कामना की। सबसे ज्यादा भीड़भाड़ कासगंज जिले के छोर वाले घाट पर देखने को मिली। उस ओर जुटे श्रद्धालुओं ने आश्रमों में धार्मिक अनुष्ठान कराए। घाट के इस तरफ भी आश्रमों में संतों के अनुयाइयों ने पूजन कराया। भंडारे में प्रसाद भी वितरित किया गया। श्रद्धालुओं ने खानपान का भी लुत्फ उठाया। इसके अलावा घाट पर मेला में महिलाओं ने घरेलू सामान की खरीदारी की। श्रृंगार का सामान भी खरीदा गया।
कल्पवास पूरा होने पर कराए अनुष्ठान
– माघ महीना में गंगाघाट पर कल्पवासियों की संख्या हालांकि अधिक नहीं थी, लेकिन आसपास इलाके के जिन संतों और श्रद्धालुओं ने कल्पवास शुरू किया था, उसके पूरे होने पर आस्था की डुबकी लगाने के बाद हवन-पूजन कराया गया। कल्पवासियों में कासगंज के चंद्रमोहन ने बताया कि उन्होंने पूरे महीना गंगा किनारे आश्रम में रहकर प्रत्येक दिन संकीर्तन किया था। गंगा मइया की विशेष कृपा बताकर उन्होंने कल्पवास पूरा किया है। इसी तरह घाट किनारे ही झोपड़ियों में भी कल्पवास के लिए श्रद्धालु रहे थे।
भीड़ बढ़ी तो कम पड़ गए चेंजरूम
– कछला गंगाघाट पर नगर पंचायत प्रशासन ने महिलाओं की सुविधा के लिए एक दर्जन से अधिक स्थानों पर अस्थायी चेंजरूम की व्यवस्था की थी। सुबह में तो स्थिति सामान्य रही। प्रात: करीब 10 बजे से श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ तो महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए प्रसाद विक्रेताओं की झोपड़ियों का सहारा लेना पड़ गया। कुछेक स्थानों पर छुट्टा पशुओं ने श्रद्धालुओं को परेशानी में डाल दिया। छुट्टा पशु उनका प्रसाद ही बिखेर गए।