रिसौली।मोहनपट्टी रिसौली में 6 दिनों से निरंतर चल रही अयोध्या मे भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा को समर्पित श्री रामकथा महोत्सव के आज सातवे दिन सामाजिक संत रवि जी समदर्शी महाराज
ने बताया कि इस कलयुग में श्री रामकथा कल्प वृक्ष है सभी के मनोरथो को पूर्ण करती है ,कथा व्यास ने आज भगवान श्री राम को विस्वामित्र लेकर राजा जनक जी के यहां पहुंचने के प्रसंग को सुनाते हुए कहते हैं



राजा जनक विश्वामित्र जी से कहते हैं ये दोनों बालक कौन है क्या किसी राजा के बेटे राजकुमार है या मुनि कुल से हैं,मुझे तो लगता है कि पृथ्वी पर साक्षात ब्रह्म मनुष्य रुप में आ गया है इन्हें देख कर मेरे मन में अनुराग जागा,जनक जी ने जानकी जी वाले कक्ष में राम लक्ष्मण और विश्वामित्र को सौप दिया,भगवान तो भक्ति के भवन में ही निवास करते हैं। भोजन विश्राम की बाद भगवान ने कहा गुरदेव से कहा लखन जनकपुरी देखना चाहते गुरुजी आज्ञा दी,सारे नगर में दो सुंदर राजकुमार आए हे ऐसा समाचार चारो तरफ़ फैल गया सब ने अपने काम धाम छोड़कर भगवान के दर्शन के लिये दौड़ लगा दी ऐसा लगता है जनकपुर वासी कुछ लूटने के लिए आए हों ।गरीब को निधि मिल गई होड़ लगी है दर्शन करने की एक सखी कहती है यह दोनों दशरथ के बेटे हैं लखन ने कहा प्रभु यह तो हमारे पिताजी को जानती हो भगवान ने का हमारे पिताजी चक्रवर्ती हैं उन सब जानते हैं आगे बढ़े इतने कहा इनकी माता का नाम कौशल्या है और जो पीछे सुंदर से राजकुमार हैं उनकी मां का नाम सुमित्रा है लखन जी बोले प्रभु ये सखी तो अपनी तरफ कि लगती है थोड़ा इससे बात करते हैं भगवान ने कहा लखन यहां पर माया का बहुत प्रभाव इसलिए विना इधर उधर देखे चलते रहो l सब दर्शन करना चाहते हैं रामजी की लेकिन भगवान अपना मुह नीचे किए हुई चलते हैं तब जनकपुरी की गोपिकाओ भगवान के ऊपर सुमन अर्पित किए अर्थात सुंदर मन,भगवान ने कहा इस अवतार में एक पत्नी व्रत लेकर आया हूं द्वापर में आप सबकी मन इच्छा पुरी होगी l भगवान वापस गुरुदेव के पास आए सयन के बाद प्रातः उठे और गुरुदेव की पूजा के लिए पुष्प लेने अशोक वाटिका में गए माली चाचा को प्रणाम किया से आगे लेकर पुष्प तोड़ने लगे इस समय पुष्प वाटिका में जानकी जी का प्रवेश होता है जो पार्वती जी का पूजन करने आई थी साथ में कुछ सहेलियां है जैसी उन्हें पता चलता है की दो राजकुमार वाग देखने आए हैं जिनकी चर्चा सारे नगर में है,जानकी जी भी देखने को उत्सुक हैं सहेलियों के साथ चल दी,भगवान ने जानकी को देखा जानकी ने भगवान को देखा और हृदय में बसा लिया अपना पति स्वरूप मान लिया लेकिन फूल तोड़ते हुए भगवान को देखा उनके चेहरे पर पसीने की बूंदे थी घबराई घबराई सोचने लगी की जिन्हें फूल तोड़ने में पसीना आता है वह धनुष कैसे तोड़ पाएंगे,आगे बढ़े तो मोर ने प्रभु के दर्शन कर सारे पंख छोड़ दिए भगवान को समर्पित हो गया भगवान ने मोर का पंख सीस पर लगा लिया, तब से मेरा है मेरा है कहकर सब प्रेम करने लगे, नाम ही मोर हो गया, आगे उन्होंने शिवधनुष को तोड़ने से लेकर राम जानकी विवाह ,भगवान परशुराम का राम लक्ष्मण से संवाद भी सुनाया।
आज सातवे दिन की कथा में विपिन सिंह,योगेश बजाज, आदेश सोलंकी,भानू चौहान,सतीश कश्यप,अवधेश महेश्वरी,अवधेश पाली,राजेश पाली,धर्मेंद्र महेश्वरी,दिनेश पाली,रिंकू चौहान,राजू चौहान,दुष्यंत सोलंकी,राजेंद्र शर्मा,राजेश सिंह,अतुल सोलंकी ,सुनील सोलंकी,सुनील सिंह, राजीव राणा,नितिन शर्मा,संजीव सिंह,आदि सैकड़ों राम भक्तों ने कथा सुन आरती प्रसाद प्राप्त कर पुन्य लाभ अर्जित किया।