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maldives vs lakshadweep controversy boycott maldives pm modi | भास्कर ओपिनियन- मालदीव वर्सेज लक्षद्वीप: लक्षद्वीप पर आँख तरेरने से आख़िर नुकसान मालदीव का ही

7 मिनट पहले

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मालदीव और लक्षद्वीप का झमेला चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की है कि लोगों को लक्षद्वीप की सैर ज़रूर करनी चाहिए। मालदीव वाले बुरा मान गए। उन्होंने भारत और भारतीय प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी शुरू कर दी। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। आख़िर मालदीव को तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया।

सवाल यह है कि तैश में आकर गंभीर काम करना हमेशा और हर किसी को महँगा ही पड़ता है। सब जानते हैं मालदीव को हर संकट में सबसे पहले भारत ने ही बचाया है। चाहे राष्ट्रपति गयूम को तख्ता पलट से बचाना हो, चाहे सुनामी के वक्त मदद करना हो या कोविड के समय आर्थिक सहायता पहुँचाना हो, मालदीव के लिए हर वक्त भारत एक पैर पर खड़ा रहा।

बाएं से- मंत्री मरियम शिउना, डिप्टी मिनिस्टर्स अब्दुल्ला महजूम माजिद और माल्शा शरीफ। मालदीव सरकार ने इन्हें सस्पेंड किया है।

बाएं से- मंत्री मरियम शिउना, डिप्टी मिनिस्टर्स अब्दुल्ला महजूम माजिद और माल्शा शरीफ। मालदीव सरकार ने इन्हें सस्पेंड किया है।

भारत ही वह पहला देश था जिसने सबसे पहले अपने देश में निर्मित कोविड वैक्सीन मालदीव को भिजवाई थी। वैसे भी वहाँ हर छठा पर्यटक भारतीय ही होता है। यह भी एक तरह की बड़ी मदद है। सब जानते हैं मालदीव की आर्थिक व्यवस्था बहुत हद तक पर्यटन पर ही निर्भर है। यह सब जानते हुए भारत के खिलाफ बयानबाज़ी करना कौन सी चतुराई है।

दरअसल, जिनके अपने घर काँच के हों, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। हस्र ये हुआ कि भारत में मालदीव के खिलाफ सोशल मीडिया कैम्पेन चलने लगा। लोग मालदीव की अपनी ट्रिप कैंसिल कर रहे हैं। अब ज़्यादातर पर्यटक हो सकता है लक्षद्वीप की ओर रुख़ करें। हालाँकि लक्षद्वीप में फ़िलहाल रहने- खाने की फ़ाइव स्टार सुविधाएँ नहीं हैं। निकट भविष्य में यह सब भी हो ही जाएगा।

फिर मालदीव का क्या होगा? पर्यटन क्षेत्र में उसे भारी नुक़सान सहना पड़ सकता है। यही वजह है कि फ़िलहाल जो मालदीव वर्सेज़ लक्षद्वीप का झमेला चल रहा है, उसमें भारत के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। सारा खोना – पाना मालदीव के हिस्से में ही आने वाला है। इसलिए मालदीव को चुप रहकर चीजों को तुरंत ठीक करने में जुट जाना चाहिए।

हालाँकि इस वक्त मालदीव चीन के प्रभाव में दिखाई देता है और चीन को ही अपना सबकुछ मानता है। लेकिन भारत से दोस्ती तोड़ने की स्थिति में वह क़तई नहीं है। वहाँ की सेना की मदद के लिए भारतीय सेना के जवान आज भी मालदीव में तैनात हैं। वे भारतीय विमान और हेलिकॉप्टर के ज़रिए मरीज़ों को एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर ले जाने का काम करते हैं।

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