
समस्तीपुर के पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) में 1904 में सिर्फ 1 व्यक्ति मैट्रिक पास था। 1934 में 2 और 1940 में 5 लोग मैट्रिक पास हुए थे। इनमें एक कर्पूरी जी थे।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। वे पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे। 24 जनवरी को ही उनकी जयंती है।
कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के CM और एक बार डिप्टी CM रहे। वे बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। उन्होंने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। 1967 में कर्पूरी ठाकुर ने डिप्टी CM बनने पर बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया।

यह तस्वीर 19 जनवरी 1979 की है। तब दिल्ली में नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल की मीटिंग हुई थी। इसमें बिहार के तब के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (सबसे बाएं) के अलावा हरियाणा के सीएम चौधरी देवीलाल और उस वक्त पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल भी शामिल थे।
1940 में सिर्फ पांच लोग मैट्रिक पास हुए
समस्तीपुर के पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) में 1904 में सिर्फ 1 व्यक्ति मैट्रिक पास था। 1934 में 2 और 1940 में 5 लोग मैट्रिक पास हुए थे। इनमें एक कर्पूरी ठाकुर थे। वे 1952 में विधायक बने। वे ऑस्ट्रिया जाने वाले डेलीगेशन में चुने गए। उनके पास कोट नहीं था। एक दोस्त से मांगा। कोट फटा था। कर्पूरी जी वही कोट पहनकर चले गए। वहां युगोस्लाविया के मार्शल टीटो ने देखा कि उनका कोट फटा है। उन्हें नया कोट गिफ्ट किया।

कर्पूरी ठाकुर को समता पार्टी के जॉर्ज फर्नांडिस (बाएं) और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (बीच में) के आदर्श रहे।
जेपी, लोहिया और नरेंद्र देव उनके आदर्श थे
सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन में कर्पूरी के आदर्श जेपी, लोहिया और आचार्य नरेंद्र देव थे। कर्पूरी के पहले समाजवादी आंदोलन को खाद उच्च वर्ग से ही मिलती थी। कर्पूरी ने पूरे आंदोलन को उन लोगों के बीच ही रोप दिया जिनके बूते समाजवादी आंदोलन हरा होता था। वह 1970 में जब सरकार में मंत्री बने तो उन्होंने आठवीं तक की शिक्षा मुफ्त कर दी। उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया। पांच एकड़ तक की जमीन पर मालगुजारी खत्म कर दी।

सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन में कर्पूरी के आदर्श जेपी, लोहिया और आचार्य नरेन्द्र देव थे। कर्पूरी के पहले समाजवादी आंदोलन को खाद उच्च वर्ग से ही मिलती थी।
देश के गरीब को पेंशन मिलती तो बड़ी बात होती
इंदिरा गांधी ने सांसदों-विधायकों को प्रलोभन देते हुए मासिक पेंशन का कानून बनाया था। तब कर्पूरी ठाकुर ने कहा था- मासिक पेंशन देने का कानून ऐसे देश में पारित हुआ है, जहां 60 में 50 करोड़ (तब की आबादी) लोगों की औसत आमदनी साढ़े तीन आने से दो रुपए है। यदि देश के गरीब लोगों के लिए 50 रुपए मासिक पेंशन की व्यवस्था हो जाती, तो बड़ी बात होती।

कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। 1967 में कर्पूरी ठाकुर ने डिप्टी CM बनने पर बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया।
जानिए, कर्पूरी ठाकुर के वे फैसले जो देश में मिसाल बने
- देश में पहली बार OBC आरक्षण दिया था।
- 1977 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मुंगेरीलाल कमीशन लागू किया। इसके कारण पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण मिला।
- देश के पहले मुख्यमंत्री जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त की थी।
- बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिया था।
- 1967 में पहली बार उपमुख्यमंत्री बनने पर अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म की थी।
- गैर लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स को बंद किया था।
- मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने फोर्थक्लास वर्कर पर लिफ्ट का यूजन करने पर रोक हटाई।
- आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों और महिलाओं लिए आरक्षण का दिया।