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81% people are in favor of simultaneous elections in the country | 81% लोग देश में एकसाथ चुनाव के पक्ष में: एक देश-एक चुनाव पैनल को 21 हजार सुझाव मिले, 17 दलों ने भी राय दी

37 मिनट पहले

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देश के 81% लोगों ने एकसाथ चुनाव कराने के विचार पर सहमति जताई है। एक देश-एक चुनाव पैनल को देशभर से 21 हजार सुझाव मिले हैं। 17 राजनीतिक दलों ने भी इस पर राय दी है। कमेटी ने 46 दलों से राय मांगी थी। रविवार 21 जनवरी को एक आधिकारिक बयान में ये बात सामने आई है।

वन नेशन-वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 5 जनवरी को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें जनता से 15 जनवरी तक सुझाव मांगे गए थे। हालांकि, कांग्रेस और टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने वन नेशन-वन इलेक्शन का विरोध किया है।

वन नेशन-वन इलेक्शन कमेटी ने रविवार 21 जनवरी को अपनी तीसरी बैठक की थी। कमेटी ने बैठक के बाद कहा, कुल मिलाकर 20,972 सुझाव मिले हैं। बैठक में गुलाम नबी आज़ाद, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी शामिल हुए। बैठक में चुनाव आयोग के सुझावों को भी कमेटी ने नोट किया। अब 27 जनवरी को कमेटी की बैठक हो सकती है।

क्या है वन नेशन-वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

वन नेशन-वन इलेक्शन का खाका तैयार, सहमति बने तो 2029 से लागू करने का प्लान
वन नेशन-वन इलेक्शन पर विचार कर रही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी के पास इसका खाका तैयार है। विधि आयोग के इस प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से लागू होगा। इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।

मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम इसमें शामिल नहीं हैं, क्योंकि इन राज्यों में इसी महीने चुनावी नतीजे आए हैं। इसलिए इन विधानसभाओं का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाकर जून 2029 तक किया जाएगा। उसके बाद सभी राज्यों में एक साथ विधानसभा-लोकसभा चुनाव होंगे।

वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने के तीन स्टेज…पढ़ें पूरी खबर…

हर 15 साल में सिर्फ EVM पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे

देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अगर एक साथ कराए जाते हैं तो हर 15 साल में सिर्फ EVM पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इलेक्शन कमीशन ने 20 जनवरी को केंद्र सरकार को चिट्‌ठी लिखकर इस बात की जानकारी दी है।

चुनाव आयोग ने बताया कि EVM की शेल्फ लाइफ 15 साल ही होती है। यदि एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो मशीनों के एक सेट का इस्तेमाल तीन बार चुनाव कराने के लिए किया जा सकता है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग मशीनें लगेंगी।

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