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मकर संक्रांति नजदीक आने के साथ ही चीनी मांझे की बिक्री बढ़ने लगी है। प्रतिबंधित चीनी मांझे की बिक्री करने वाले दुकानदारों ने पुलिस से बचने के लिए दुकानदारी का तरीका बदल दिया है। चीनी मांझे के लिए कभी चर्चित रही दालमंडी और हड़हा सराय इलाका अब सन्नाटे में हैं। इन क्षेत्रों से पतंग और चीनी मांझे की दुकान अब घनी आबादी वाली दूसरे क्षेत्रों में चली गई हैं, जबकि गोदाम जिले के बॉर्डर पर बनवाया गया है।
ट्रांसपोर्ट और निजी बसों के जरिये माल गोदाम तक पहुंच रहा है। दालमंडी के एक दुकानदार ने बताया कि प्रतिबंधित चीनी मांझे की बिक्री कम हो गई है, पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए दुकानदार अब माल नहीं मंगाते हैं। हालांकि कुछ दुकानदार चोरी छिपे चीनी मांझे की बिक्री कर रहे हैं।
कतुआपुरा, काशीपुरा, लल्लापुरा, औरंगाबाद, चेतगंज, बलुआवीर, खोजवां, पांडेयपुर, रामनगर आदि क्षेत्रों में चीनी मांझे की बिक्री हो रही है। नई दिल्ली, बरेली, आगरा समेत पश्चिमी प्रदेश के अन्य जिलों से चीनी मांझे की खेप वाराणसी पहुंचती है। यहीं से पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों में चीनी मांझे की बिक्री होती है।