अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में पति-पत्नी के विवाद का एक अनोखा मामला सामने आया है। पत्नी महीने में सिर्फ 2 वीकेंड पर पति के घर आती थी तो पति ने फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पति ने कोर्ट से मांग की है कि वह पत्नी को उसके साथ रहने के निर्देश दे। जज ने नोटिस जारी कर 25 जनवरी तक पति से जवाब मांगा है।
महिला उसने सवाल किया है कि क्या महीने में दो वीकेंड अपने पति से मिलने जाना उसके वैवाहिक दायित्वों को पूरा करने के बराबर है या नहीं। दरअसल पति की ओर से पारिवारिक अदालत में मुकदमा दायर करने के बाद महिला ने इस महीने की शुरुआत में गुजरात हाईकोर्ट में अपनी याचिका दायर की। इससे पहले पिछले साल सूरत में महिला के पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 का इस्तेमाल करते हुए अपनी पत्नी को रोजाना उसके साथ रहने का निर्देश देने की मांग की थी।
दरअसल पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी बेटे के जन्म के बाद भी काम के बहाने अपने माता-पिता के साथ रहती रही है। वह केवल दूसरे और चौथे वीकेंड में उससे मिलने आती है। ऐसा करके वह अपनी शादी की जिम्मेदारियों की उपेक्षा करती रही। इससे कथित तौर पर उनके बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।
जवाब में पत्नी ने पारिवारिक अदालत में आपत्ति दर्ज कराई। इसमें कहा गया कि वह महीने में दो बार अपने वैवाहिक घर जाती है। वह पति को छोड़ने के दावे को चुनौती देती है। पारिवारिक अदालत ने मामले का फैसला करने के लिए पूर्ण सुनवाई की जरूरत का हवाला देते हुए इस साल 25 सितंबर को उनकी आपत्ति खारिज कर दी।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि धारा 9 वैवाहिक दायित्वों को पूरा करने के निर्देश की अनुमति देती है। यदि कोई व्यक्ति पति/पत्नी के समाज से अलग हो गया है। हर दूसरे वीकेंड में उसके नियमित आने-जाने को देखते हुए पत्नी का तर्क है कि वह रिश्ते निभागने में पीछे नहीं हटी है।
कोर्ट ने मांगा जवाब
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस वीडी नानावटी ने पूछा कि अगर पति अपनी पत्नी को अपने साथ आने और रहने के लिए कहता है तो इसमें गलत क्या है? क्या उसे मुकदमा करने का अधिकार नहीं है? जज ने नोटिस जारी कर 25 जनवरी तक जवाब मांगा है।