होम राज्य उत्तर प्रदेश वीडियोग्राफी के बिना नहीं करूंगा पोस्टमार्टम, बदायूं में महिला के शव से...

वीडियोग्राफी के बिना नहीं करूंगा पोस्टमार्टम, बदायूं में महिला के शव से आंखें निकालने के मामले में दो डॉक्टरों को जेल भेजे जाने के बाद डरे डॉक्टर,

बदायूँ।बदायूं में महिला के शव से आंखें निकालने के मामले में दो डॉक्टरों को जेल भेजे जाने के बाद बरती जा रही एहतियात रविवार को दो परिवारों पर भारी पड़ गई। दो शवों का पोस्टमार्टम शुरू करने से पहले वीडियोग्राफी कराने पर डॉक्टर अड़ गए। उन्होंने तभी हामी भरी  जब वीडियोग्राफर वहां पहुंचा। चार घंटे तक पोस्टमार्टम का काम इस कारण रुका रहा, क्योंकि एक परिवार तो इतना गरीब था कि अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं थे। जैसे-तैसे इस परिवार ने इंतजाम किया।

रविवार को सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के अंतर्गत मीरा सराय निवासी पप्पू और आसफपुर निवासी अयोध्या प्रसाद के शवों का पोस्टमार्टम होना था। दोनों के शव शनिवार रात पोस्टमार्टम हाउस पर ले जाए गए थे। समय ज्यादा होने के कारण पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था। रविवार सुबह करीब दस बजे पोस्टमार्टम हाउस खुला। यहां डॉ. गौस मोहम्मद की ड्यूटी थी। वह जैसे ही पहुंचे, उन्होंने व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। 

अब बिना वीडियोग्राफी के पोस्टमार्टम नहीं’

डॉक्टर ने पूछा कि वीडियोग्राफी कराई जा रही है या नहीं, तो कर्मचारियों ने जवाब दिया कि ज्यादा संवेदनशील मामलों में ही वीडियोग्राफी कराई जाती है। इस पर डॉक्टर ने कहा कि कोई भी शव हो, वह बिना वीडियोग्राफी के पोस्टमार्टम नहीं करेंगे, उन्हें जेल नहीं जाना है। वीडियोग्राफी होगी तभी वह पोस्टमार्टम करेंगे। उनका इतना कहने पर मृतकों के परिवार वालों में खलबली मच गई, शवों के साथ आये रिश्तेदारों और परिवार वालों ने जब यह बात सुनी तो उन्होंने किसी तरह वीडियोग्राफर के लिए रुपयों का इंतजाम किया।

आपको बता दें इसमें पप्पू का परिवार बेहद गरीब था। उनके पास शव का अंतिम संस्कार करने तक के उनके पास पैसे नहीं थे। ऐसे में करीब चार घंटे बाद पप्पू के शव का पोस्टमार्टम हो सका। इसी प्रकार अयोध्या प्रसाद के शव का पोस्टमार्टम भी वीडियोग्राफी होने पर ही हो सका। दोनों परिवारों को 3500-3500 रुपये वीडियोग्राफर को देने पड़े।

प्रभारी सीएमओ डॉ. अब्दुल सलाम ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है। वैसे तो वीडियोग्राफी पुलिस की ओर से कराई जाती है। उसके पैसे कौन देता है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। अगर रुपये परिवार वालों से लिए जा रहे हैं तो यह गलत है। इस बारे में अधिकारियों से बात करेंगे।

सीओ सिटी आलोक मिश्रा का कहना है कि हर मामले में वीडियोग्राफी नहीं कराई जाती। यह नियम वर्षों से चला आ रहा है। जो मामले ज्यादा संवेदनशील होते हैं उनमें ही वीडियोग्राफी कराई जाती है। हम इस संबंध में जानकारी करेंगे।
पुलिस के अनुसार इन मामलों में ही होती है वीडियोग्राफी
पुलिस उन्हीं मामलों में वीडियोग्राफी कराती है जिनमें मौत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हो। जैसे कि हत्या, दहेज हत्या और किसी की संदिग्ध परिस्थितियाें में मौत हो जाने के मामले वीडियोग्राफी कराई जाती है। अगर पैनल से पोस्टमार्टम कराया जा रहा है तो भी वीडियोग्राफी कराई जाती है।
डॉक्टरों का यह कदम विगत दिनों हुई एक घटना से को देखते हुए अपने आप को बचाने के लिये तो सही ठहराया जा सकता है,लेकिन पुलिस के अनुसार सभी पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी का प्रावधान नहीं होना गरीब परिवारों के लिये मुसीबत का सबब हो सकती है, शासन प्रशासन को इस मामले का संज्ञान लेकर पूरे प्रदेश में सभी पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराने की व्यवस्था करना चाहिए,इस एक व्यवस्था से पोस्टमार्टम व्यवस्था पर उठने वाले सवालों पर ट्रांसपरेंसी कायम हो सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here