
दिल्ली हाईकोर्ट ने आज (21 दिसंबर) को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए दिल्ली और केंद्र सरकार को तलब किया है। कोर्ट ने आदेश दिया- आधार कार्ड को प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स से जोड़ने की मांग करने वाली याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर फैसला लें। जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस गिरीश कथपालिया की बेंच ने मामले पर सुनवाई की।
बेंच ने कहा कि ये नीतिगत फैसले हैं और अदालतें सरकार से ऐसा करने के लिए नहीं कह सकतीं। हम सरकार को इस पर विचार करने के लिए समय देंगे।
यह याचिका BJP नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की थी। उन्होंने याचिका में कोर्ट की अपील की है कि वो नागरिकों के चल (मूवेबल) और अचल संपत्ति के दस्तावेज उनके आधार नंबर से जोड़ने के निर्देश दें।
प्रॉपर्टी आधार से लिंक हुई तो इकोनॉमी बढ़ेगी: याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है – अगर सरकार संपत्ति को आधार से जोड़ती है, तो इससे इकोनॉमी में 2% की एनुअल ग्रोथ होगी। इसके अलावा चुनाव प्रकिया में भी पार्दशिता आएगी और ब्लैक मनी, पॉलिटिकल पॉवर से निजी संपत्ती इकट्ठा करने जैसे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
बड़ी करेंसी के जरिए बेनामी लेनदेन का इस्तेमाल आतंकवाद, नक्सलवाद, जुआ, मनी लॉन्ड्रिंग जैसी अवैध गतिविधियों में होता है। वहीं, रियल एस्टेट और सोने की कीमत भी बढ़ जाती है। चल-अचल संपत्तियों को उसके मालिक के आधार नंबर से जोड़कर इन समस्याओं को रोका जा सकता है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से याचिका में संशोधन करने को कहा था
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट की पुरानी बेंच ने इस मामले में वित्त मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय को पक्षकार बनाया था। साथ ही मामले में दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए समय दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भी याचिका में संशोधन कर, मामले में संबंधित मंत्रालयों को जोड़ने के लिए कहा था।