दिल्ली/लखनऊ।उत्तर प्रदेश में भाजपा के लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा सांसद उसके अपने सर्वे में ही फेल हो गए हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले अपने सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही है जिसके बाद बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव में अपने कई बड़े चेहरों का टिकट काट सकती है।उत्तर प्रदेश से वर्तमान लोकसभा की 80 सीटों में से बीजेपी के सहयोगियों के पास 66 सांसद हैं और इस बार तो बीजेपी ने अपने लिए ‘मिशन-80’ का लक्ष्य तय किया है। पार्टी को भी पता है कि ये लक्ष्य इतना आसान नहीं है। केंद्र और राज्य दोनों जगह दूसरे टर्म की सरकार के बाद एंटी-इन्कमबेंसी फैक्टर को भी नकारा नहीं जा सकता। इसलिए पार्टी लगातार अपने सांसदों का आंतरिक सर्वेक्षण करवा रही है।
आंतरिक सर्वे में करीब 30 फीसदी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड बहुत ही कमजोर है। सर्वे रिपोर्ट बताती है कि ये सांसद पासिंग मार्क्स से नीचे हैं और इनके भरोसे 2024 लोकसभा चुनाव में ‘मिशन-350’ और यूपी में ‘मिशन-80’ की नैया पार नहीं लगाई जा सकती।
सर्वे में बीजेपी के सांसदों के काम को 3 श्रेणी – ‘खराब’, ‘औसत’ और ‘अच्छी’ में बांटा गया है।
भाजपा ने पहला सर्वे फरवरी-मार्च में कराया – दूसरा सर्वे मई-जून 2023 के बीच कराया गया। इन दोनों ही सर्वे के बाद भाजपा ने सांसदों की एक लिस्ट तैयार की और इसके बाद अब तीसरा सर्वे हाल ही के अगस्त-सितंबर महीने में कराया है।तीसरे सर्वे में सबसे अहम मुद्दा यह पता लगाना था कि सांसदों के कामकाज से उनके लोकसभा क्षेत्र की जनता कितनी संतुष्ट है। इसी के आधार पर अब सांसदों की तीन श्रेणी में लिस्ट तैयार की गई है।
BJP के तीसरे आंतरिक सर्वे में करीब 20 सांसदों के नाम ‘खराब’ श्रेणी में शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण के पुत्र और एटा से सांसद राजवीर सिंह उर्फ़ राजू भैया, सपा में जाकर लगातार अपने बयानों से विवादों में बने रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य, भोजपुरी एक्टर-सिंगर और आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, निषाद पार्टी से सुप्रीमो और योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद के बेटे और संत कबीर नगर के सांसद प्रवीण निषाद और मोहनलालगंज के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर, हरदोई के सांसद जयप्रकाश रावत, बाराबंकी के सांसद उपेंद्र रावत, कुशीनगर के सांसद विजय दुबे, सीतापुर के सांसद राजेश वर्मा, धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा, प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता, फूलपुर सांसद केसरी देवी पटेल, फर्रुखाबाद सांसद मुकेश राजपूत, बांदा सांसद आरके पटेल, भदोही के सांसद डॉक्टर रमेश चंद बिंद, अकबरपुर के सांसद देवेंद्र सिंह भोले, मिश्रिख सांसद अशोक कुमार रावत, फिरोजाबाद सांसद डॉक्टर चंद्र जादौन और हाथरस सांसद राजवीर दिलेर जैसे नाम भी शामिल है।
‘औसत’ श्रेणी वाले सांसदों की संख्या ‘खराब’ श्रेणी वाले सांसदों से कम है। इस श्रेणी में 16 सांसदों के नाम शामिल हैं। यही नहीं, इस श्रेणी में भी कुछ बड़े नाम शामिल हैं। इनमें मुजफ्फरनगर के सांसद डॉक्टर संजीव कुमार बालियान, कैराना सांसद प्रदीप कुमार, फतेहपुर की सांसद और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, आंवला सांसद धर्मेंद्र कुमार कश्यप, डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, शाहजहांपुर सांसद अरुण सागर, बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी, झांसी के सांसद अनुराग शर्मा, इटावा के सांसद डॉ राम शंकर कठेरिया, कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक, हमीरपुर के सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, बुलंदशहर के सांसद भोला सिंह, देवरिया के सांसद रमापति राम त्रिपाठी जैसे नाम भी शामिल हैं
‘अच्छी’ श्रेणी में आने वाले सांसदों की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है जो वाराणसी के सांसद हैं।उसके बाद लखनऊ के सांसद और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का नाम इस लिस्ट में है। वहीं, अमेठी सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का नाम भी इस लिस्ट में है। इनके अलावा केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज के सांसद पंकज चौधरी का भी नाम अच्छी श्रेणी में है। गौतम बुद्ध नगर के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा, आगरा के सांसद और केंद्र सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, जालौन के सांसद और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा का भी नाम ‘अच्छी’ श्रेणी वाली लिस्ट में है।
इस सर्वे में उन सांसदों का भी नाम शामिल है जिनकी उम्र 75 पार कर गई है या उसके आसपास है। इसमें बरेली सांसद संतोष गंगवार की उम्र 76 वर्ष, मेरठ से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल की उम्र 73 वर्ष ,कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी की उम्र 77 वर्ष, बहराइच सांसद अक्षयवर लाल गौड़ की उम्र 77 वर्ष, प्रयागराज सांसद रीता बहुगुणा जोशी की उम्र 75 वर्ष, मथुरा सांसद हेमा मालिनी की उम्र 76 वर्ष और बताई गई है।
इस आंतरिक सर्वे के बाद अब लोकसभा चुनाव होने में करीब छह महीने का समय बचा है ऐसे में खराब व औसत श्रेणी वाले सांसदों को अपने लोकसभा क्षेत्रों में छवि सुधारना पहाड़ खोदने के समान होगा,जिसके चलते पार्टी मिशन 80 को सफल बनाने के लिये भारी संख्या में सांसदों के टिकट काट सकती है।