साहित्यिक संस्था ‘शब्दिता’ के तत्वावधान में कविता गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में काफी संख्या मे सदस्यों ने प्रतिभाग किया।सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आरंभ हुआ।
सभी सदस्याओं ने स्त्री जीवन के विविध पक्षों पर आधारित विषय पर अपनी अपनी रचनाएँ सुनाईं।
कार्यक्रम में सबसे पहले संस्था की वरिष्ठ सदस्य रमा भट्टाचार्य ,उषा किरण रस्तोगी के दामाद एवं डॉ. निशि अवस्थी के दो भाइयों के आकस्मिक निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की गई एवं 2 मिनट का मौन रखा गया।
तदुपरांत गोष्ठी प्रारम्भ हुई गोष्ठी का विषय था ‘उड़ान’
इस अवसर पर कवयित्री, लेखिका दीप्ति जोशी गुप्ता ने एक मार्मिक कहानी का पाठ किया कहानी का शीर्षक था-
“स्वीकार किया मैंने”
कवयित्री सरिता चौहान ने कहा-
कोई केशव नहीं देखते
आज कृष्णा की लाचारियां
आंसू अंगार बन जायेंगे
जग गईं जो ये चिगारियां
समाजसेविका चंचल मिनोचा ने कहा –
देश में हैं पिशाच बहुतेरे,जो नारी को न जीने देते
ऐसे नर पिशाच दानव को फांसी पर लटकाना होगा ,
मांग के नहीं छीन कर हमको अधिकारों को पाना होगा
श्रीमती मधु राकेश ने एक मार्मिक गीत पढ़कर सबके कंठ अवरुद्ध कर दिए-
नारी जीवन झूले की तरह इस पार कभी उस पार कभी
मधु अग्रवाल जी ने बहुत प्रभावशाली वक्तव्य दिया,उन्होंने कहा-
नारी बिन सब अधूरे
सीता बिन राम राधा बिन कृष्ण
कवयित्री ,संचालिका डॉ शुभ्रा माहेश्वरी ने काव्य पाठ करते हुए कहा-
धधकती ज्वाला का संताप लेकर आई हूं ।
मन में उठता ज्वार ले कर आई हूं ।
मन का गुबार अब तो मानता ही नहीं,
आज फिर वेदना का परिताप लेकर आई हूं।
कथाकार अंजली शर्मा ने एक बहुत सुंदर और भावपूर्ण कहानी प्रस्तुत की।कहानी का शीर्षक था-‘सास का बक्सा’।
संस्था की वरिष्ठ सदस्या, लेखिका ममता नौगरिया ने पढ़ा-
नारी तू क्यों घबराए
दृढ़ शक्ति का पैगाम लिए
तू आगे बढ़ती जाए
संस्था की सबसे छोटी सदस्या कशिश गुप्ता ने पढ़ा-
तुम क्या-क्या करोगे?
कितने दयावान बनोगे?
तुम क्या समझोगे कमज़ोर!
उठा ले हथियार, जो अपने हाथों में,
महाकाल भी कांप उठे, हमारी दहाड़ से।
शब्दिता संस्था की संस्थापिका डॉ. सोनरूपा विशाल ने पढ़ा-
अंधेरों को गुज़र करने न दूँगी
मैं अपनी रौशनी बुझने न दूँगी
भले ही दौड़ में नफरत हो आगे
मुहब्बत को मगर थकने न दूँगी
काव्य गोष्ठी का संचालन दीप्ति जोशी गुप्ता ने किया।
इस अवसर पर मंजुल शंखधार,कुसुम रस्तोगी,शारदा बवेजा,रीना सिंह,पूनम रस्तोगी,रेनू अग्रवाल,पूनम रस्तोगी,याशिका बावेजा उपस्थित रहीं।
अंत में डॉ सोनरूपा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
सादर
सोनरूपा विशाल