कोरोना से लड़ने के लिए युवा संकल्प सेवा समिति परिवार हवन का सहारा ले रहा है. महामारी को भगाने के लिए समिति ने दुर्गा मंदिर निकट पुरानी चुंगी में हवन सैनिटाइजेशन शुरू किया है. और लोगों को अध्यात्म तरीके से जड़ी बूटियों के माध्यम से वायरस भगाने की सलाह दे रहे हैं.
- देश-प्रदेश के लोगों को कोरोना से बचाने की कामना
- अगर,तगर,जटामांसी,हाउबेर , नीम पत्ती या छाल,तुलसी, गिलोय,कालमेघ,भुई आंवला, जायफल, जावित्री आदि जड़ी बूटियों से किया यज्ञ
- लोगों से भ्रम और अफवाहों से सचेत रहने को कहा
बदायूँ- दुर्गा मंदिर निकट पुरानी चुंगी पर युवा संकल्प सेवा समिति परिवार की तरफ से कोरोना से बचाव के लिए हवन यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें समिति सदस्यों ने वैदिक मंत्र उच्चारण के बीच हवन कुंड में आहुति डाली। मुख्य यज्ञमान के रुप समिति के सचिव पुनीत कुमार कश्यप एडवोकेट रहे ।सुबह 9 बजे से लेकर 11 बजे तक हवन किया गया,संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप ने कहा कि कोरोना वायरस से डर कर नहीं, बल्कि लड़कर जीत हासिल करनी है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण स्वच्छता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के अनुसार हवन यज्ञ भी करना चाहिए. हवन की महक से कई प्रकार की वायरस आस पास भी नहीं आते है. उसी को लेकर दुर्गा मंदिर में हवन यज्ञ का आयोजन किया.मुनीश कुमार ने कहा कि हवन की अग्नि से वातावरण शुद्ध होता है। मनुष्य को प्रभावित करने वाली शक्तियां यज्ञ की अग्नि व धुएं से ही समाप्त हो जाती हैं। उन्होंने अग्नि से देशवासियों की सुरक्षा व स्वास्थ्य लाभ की कामना की। वहीं योगेन्द्र सागर ने कहा कि भारत सरकार गंभीरता से कोरोना वायरस को लेकर उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि लोग भ्रम व अफवाहों से सचेत रहें। उन्हें अफवाहों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।दुर्गा मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष राजाराम कश्यप ने सभी बदायूँ वासियों से अपील करते हुए कहा कि हर परिवार अपने- अपने घर में हवन करें ताकि फैल रहे इस वायरस से लोगों को निजात मिल सके।
पंडित त्रिलोक शास्त्री ने बताया कि यज्ञोपैथी से कोरोना का उपचार, जानें कितना असरदार प्राचीन भारतीय संस्कृति में दिनचर्या का शुभारंभ हवन, यज्ञ, अग्निहोत्र आदि से होता था। तपस्वी और ऋषि-मुनियों से लेकर सद्गृहस्थों, वटुक-ब्रह्मचारियों तक नित्य प्रति यज्ञ किया करते थे। प्रातः और सायं यज्ञ करके संसार के विविध रोगों का निवारण करते थे। ब्रह्मवर्चस शोधसंस्थान की किताब ‘यज्ञ चिकित्सा’ में बताया गया है कि यज्ञों का वैज्ञानिक आधार है।यज्ञों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ उठाया जा सकता है और विभिन्न रोगों से छुटकारा भी पाया जा सकता है
शारीरिक रोगों के साथ ही मानसिक रोगों मनोविकृतियों से उत्पन्न विपन्नता से छुटकारा पाने के लिए यज्ञ चिकित्सा से बढ़कर अन्य कोई उपयुक्त उपाय-उपचार होम्योपैथी आदि की तरह सफल सिद्ध हुई है। ब्रह्मवर्चस ने लिखा है, ‘भिन्न भिन्न रोगों के लिए विशेष प्रकार की हवन सामग्री प्रयुक्त करने पर उनके जो परिणाम सामने आए हैं, वे बहुत ही उत्साहजनक हैं। यज्ञोपैथी में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि आयुर्वेद में जिस रोग की जो औषधि बताई गई है, उसे खाने के साथ ही उन वनौषधियों को पलाश, उदुम्बर, आम, पीपल आदि की समिधाओं के साथ नियमित रूप से हवन किया जाता रहे, तो कम समय में अधिक लाभ मिलता है।
हवन सामग्री
अगर, तगर,जटामांसी,हाउबेर , नीम पत्ती या छाल,तुलसी, गिलोय,कालमेघ,भुई आंवला, जायफल, जावित्री, आज्ञाघास, कड़वी बछ, नागरमोथा,सुगध बाला,लौंग, कपूर, कपूर तुलसी, देवदारु,शीतल चीनी,सफेद चंदन, दारुहल्दी, इन ओषधियों को समान मात्रा में मिला कर हवन सामग्री का उपयोग किया गया।यज्ञ में जुगेन्द्र पाडे, योगेन्द्र सागर, मुनीश कुमार, नरेश कश्यप शंकर लाल, नितिन कश्यप, आदि उपस्थित रहे।