टीएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजियोथेरेपी में इंट्रोडक्शन टू रिसर्च मेथोडोलॉजी पर वेबिनार
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजियोथेरेपी में इंट्रोडक्शन टू रिसर्च मेथोडोलॉजी पर आयोजित वेबिनार में ऋषिहुड यूनिवर्सिटी, सोनीपत के प्रोफेसर एवं रजिस्ट्रार डॉ. नितेश बंसल ने रिसर्च को ज्ञान की खोज बताते हुए कहा, रिसर्च का अर्थ है, किसी भी तथ्य को पुनःस्थापित करना और उसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना है। डॉ. बंसल बोले, फिजियोथेरेपी में रिसर्च के जरिए हम एविडेन्स बेस्ड प्रैक्टिस कर सकते हैं। इससे पेशेंट केयर को बढ़ाया जा सकता है। एविडेन्स बेस्ड प्रैक्टिस आज के समय की जरुरत है। किसी भी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल को लागू करने से पहले उसके इफेक्टिवनेस को जानने के लिए रिसर्च करना बहुत ही आवश्यक है, इसीलिए रिसर्च एकेडमिशियंस के लिए ही नहीं बल्कि क्लीनीसियंस के लिए भी बहुत जरुरी है।
रिसर्च डिज़ाइन पर प्रकाश डालते हुए हिस्टोरिकल, कैजुअल, कम्प्रेटिव रिसर्च पर भी विस्तार से बताते हुए डॉ. बंसल बोले, रिसर्च मेथोडोलॉजी पूरी तरह से रिसर्च डिज़ाइन के ऊपर ही निर्भर करती है, इसीलिए सही डिज़ाइन की जानकारी हमें एक इफेक्टिव रिसर्च की तरफ ले जाती है। उन्होंने रिसर्च सैंपलिंग- प्रोबेबिलिटी और नॉन प्रॉबेबिलिटी को समझाते हुए बताया, सैंपल का रिसर्च पॉपुलेशन का रिप्रेजेंटेटिव होना चाहिए। रिसर्च के दौरान पैरामेट्रिक और नॉन-पैरामेट्रिक टेस्टों के चयन का आधार और उनके बीच का अंतर भी विस्तार से बताया। डॉ. बंसल बोले, किसी भी रिसर्च का प्रभावशाली होने के लिए उसका वैलिड और रिलाएबल होना जरुरी है। रिसर्च करते समय हमें प्रोफेशनल और रिसर्च एथिक्स का भी ध्यान रखना चाहिए। वेबिनार में डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजियोथेरेपी की प्राचार्या डॉ. शिवानी एम कौल, डॉ. फरहान खान, डॉ. असमा आजम, डॉ. विवेक स्वरुप, डॉ. कृति सचान, डॉ. उज्मा सैय्यद के अलावा बीपीटी तृतीय वर्ष और एमपीटी के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। संचालन डॉ. शीतल मल्हान ने किया।