“मोदी मैन” अरविंद शर्मा को यूपी सरकार में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश: भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले गुजरात कैडर के IAS अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा ने गुरुवार को BJP का दामन थाम लिया है। एके शर्मा यूपी के मऊ जिला के रहने वाले हैं और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं। पीएम मोदी ही उन्हें गुजरात से दिल्ली लाए थे।
अरविंद कुमार शर्मा का रिटायरमेंट साल 2022 था, लेकिन उन्होंने अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेकर सभी को चौंका दिया। शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अति विश्वसनीय अधिकारियों में से एक रहे हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें विधान परिषद भेज सकती है।

यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और दिनेश शर्मा की मौजूदगी में अरविंद कुमार शर्मा ने बीजेपी की सदस्यता ली। इस दौरान उन्होने कहा कि मैं मऊ के एक पिछड़े गांव का का रहने वाला हूं। मेरे जैसे शख्स को पार्टी में लाना, जिसका कोई राजनीतिक अनुभव ना, ऐसा काम केवल मोदी जी और बीजेपी पार्टी ही कर सकती है। तो वहीं अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा के पार्टी में आने से पार्टी और संगठन को मजबूती मिलेगी।
आपको बता दें कि अरविंद कुमार शर्मा 1988 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने 2001 से लेकर 2013 तक गुजरात में नरेंद्र मोदी के साथ विभिन्न पदों पर काम किया है। ऐसे में नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली आए तो अरविंद शर्मा भी उनके साथ पीएमओ आ गए थे। मौजूदा समय में वो प्रधानमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर थे।
स्वदेश केसरी के विश्वस्त सूत्रों के हवाले से खबर है कि अरविंद कुमार शर्मा “नेताओं के लिए तो चुनौती है ही. मंत्रियों के परफ़ॉर्मेंस से पीएम मोदी बहुत प्रसन्न नहीं हैं, यह सबको पता है. अरविंद शर्मा राजनीति में भले ही नहीं रहे हैं लेकिन प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ वो क़रीब बीस साल से नरेंद्र मोदी के साथ हैं तो राजनीतिक रूप से अनुभवहीन नहीं हैं. ऐसा लगता है कि नौकरशाही और राजनीति के बीच समन्वय की भूमिका के लिए ही उन्हें यहाँ भेजा जा रहा है. दूसरे मुख्यमंत्री योगी के लिए भी उनकी वजह से यह समझने में आसानी होगी कि प्रधानमंत्री को क्या पसंद है और क्या नहीं.”
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कहते हैं कि अरविंद शर्मा सरकारी सेवा में रहते हुए भी गुजरात और अपने गाँव में भी सामाजिक रूप से काफ़ी सक्रिय रहे हैं.उनके मुताबिक़, “उनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी की है और बीजेपी का भी यही इतिहास है. हमारा नेतृत्व ऐसे ही नेताओं ने किया है जो ईमानदारी की प्रतिमूर्ति रहे हैं. देश में राजनीतिक दल बहुत होंगे लेकिन हमारे नेताओं के ऊपर कोई दाग़ नहीं लगा सकता. अरविंद शर्मा जी ने आज उसी पार्टी का झँडा थामा है. अच्छे अधिकारी और ईमानदार लोग पार्टी में आते हैं तो पार्टी का भी क़द बढ़ता है और ऐसे लोगों का भी क़द बढ़ता है.”
बीजेपी के कुछ नेताओं को पहले यही लग रहा था कि शायद उन्हें कहीं राज्यपाल बना दिया जाएगा या फिर किसी सलाहकारी भूमिका में सरकार के साथ जुड़ेंगे लेकिन पार्टी में शामिल होने के बाद सरकार और पार्टी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर कोई आशंका नहीं रह गई.
विधानसभा चुनाव से पहले किसी दूसरी पार्टी से बीजेपी में शामिल हुए एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर स्वदेश केसरी को बताया कि सरकार और पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व की ही एक तरह से चलती है लेकिन अब सीधे तौर पर पीएमओ के अधिकारी को राज्य की राजनीति में भेजने का साफ़ मतलब है कि राज्य नेतृत्व की रही-सही भूमिका पर भी नकेल लग जाएगी.
लेकिन राज्य बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में अरविंद शर्मा की इस भूमिका को लेकर काफ़ी बेचैनी भी है क्योंकि यदि उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाता है तो वो शायद एकमात्र व्यक्ति हों जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इतनी आसान और स्वाभाविक पहुँच हो.