हाइलाइट्स:
- अब तक 24 की मौत आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 337, 338, 427, 409 के तहत मुकदमा दर्ज
- गाजियाबाद में मुरादनगर श्मशान घाट हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों की धरपकड़ तेज
- जूनियर इंजिनियर समेत तीन लोग गिरफ्तार
गाजियाबाद बताया जा रहा है कि श्मशान घाट गैलरी के निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। लोगों ने नगर पालिका और प्रशासन से इसकी शिकायत भी की थी। यही नहीं घटिया सामग्री का आरोप लगाकर पूर्व पालिकाध्यक्ष के पति ने निर्माण कार्य भी रोका था। अक्टूबर माह में पिलर खड़े करके उन पर लेंटर डाला गया। कुछ दिनों पहले ही लेंटर से शटरिंग हटाई गई थी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि गैलरी 50 फीट लंबी और 23 फीट चौड़ी बनाई गई थी। लेंटर डालने के लिए जो पिलर बनाए गए तो उसकी बुनियाद कमजोर थी। इस कारण रविवार सुबह से हो रही बारिश का पानी नींव में चला गया और पिलर गिर गए हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों की धरपकड़ तेज हो गई है। नगर पालिका परिषद की अधिशासी अधिकारी (ईओ) निहारिका सिंह, ठेकेदार अजय त्यागी, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष समेत कई अन्य जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।हादसे में जूनियर इंजिनियर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बता दें कि एक दिन पहले श्मशान घाट की नई छत ढहने से 24 लोगों की दबकर मौत हो गई जबकि हादसे में 17 घायल हैं, जिन्हें इलाज के लिए गाजियाबाद और मोदीनगर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
बेटी की शादी करने की इच्छा रह गई अधूरी
मुरादनगर श्मशान हादसे में लोहिया नगर निवासी सुरेश जुनेजा (60) की भी मौत हो गई। उनके भाई राजेश जुनेजा ने बताया कि भाई सुरेश सत्संगी होने के कारण फल विक्रेता के परिवार से जुड़े हुए थे। सवेरे जब उन्हें अपने सत्संगी भाई के मरने की सूचना मिली तो वह अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए चार अन्य साथियों के साथ गए थे। दोपहर लगभग 2:30 बजे उन्हें हादसे की सूचना मिली, जब हम वहां पहुंचे तो वहां का मंजर देखकर सन्न रह गए। पूछताछ करने पर पता लगा कि उनकी भाई को गंभीर हालत में हॉस्पिटल में भेजा गया है, हॉस्पिटल पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि उनकी मृत्यु हो गई। यह सुनकर मैं अवाक रह गया। वहीं जमीन पर बैठ गया, मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि जो भाई यह कह कर गए थे कि थोड़ी देर में आऊंगा अब वह कभी नहीं लौटेगा। राजीव इस बात को लेकर अत्यधिक दुखी थे कि उनके बड़े भाई सुरेश जुनेजा की अपनी छोटी बेटी की शादी करने की इच्छा अधूरी रह गई। करीब तीन साल पहले बैंक से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी की तो शादी कर दी थी, लेकिन छोटी बेटी पढ़ाई करने के कारण शादी नहीं कर पाए थे। हालांकि अब वह उसकी शादी धूमधाम के साथ करने के लिए बहुत जोर शोर से लगे थे। लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर पाए। इस हादसे के बाद उनकी पत्नी और बेटी की हालत बहुत खराब हो गई है।
आंखों के सामने छा गया अंधेरा
उखलारसी के वीर सिंह बताते हैं कि वह अपने भतीजे राहुल के साथ फल कारोबारी के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे। बारिश तेज होने पर सभी गैलरी में लेंटर के नीचे खड़े हो गए। राहुल ने मुझे भी बारिश से बचने के लिए कहा, लेकिन मैंने इनकार कर दिया। इसी बीच लेंटर गिर गया। लेंटर गिरते देख उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। उन्हें लगा कि मेरे भतीजे को कहीं कुछ हो न जाए। वह थोड़ी दूर पड़ी लोहे की छड़ लेकर पहुंच गए और मलबे को कभी हाथ से तो कभी छड़ से हटाने का प्रयास करते रहे। इस बीच कुछ लोग फरिश्ता बनकर आए और मेरे भतीजे को बाहर निकालकर हॉस्पिटल पहुंचा दिया। जिस समय मैं मलबा हटा रहा था मैं रोता जा रहा था और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। शायद मेरी भगवान सुन ले और मेरा भतीजा अब बच जाए।
लोग मलबे के नीचे दबे कराह रहे थे, देखकर रूह कांप गई
मनोज त्यागी का कहना है कि वह व उनका भाई अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गए थे। लेंटर गिरने की सूचना पर तुंरत ही वहां पहुंच गए। वहां का नजारा हृदय विदारक था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। गनीमत यह रही कि मेरा भाई गैलरी के किनारे था इसलिए पूरी तरह से नहीं दबा और गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसे घायल अवस्था में गाजियाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मनोज त्यागी का कहना है कि उन्होंने इस मौत के मंजर को बड़े ही नजदीक से देखा है और जैसे ही इस हृदय विदारक घटना की याद आती है उनकी रूह कांप उठती है। लेंटर के नीचे दबे लोग कराहते हुए चीख रहे थे। उनकी आवाज अभी भी उनके कानों के अंदर गूंज रही है।
दूसरे की मौत में शामिल होने गया था भाई और खुद भी चला गया
उखलारसी गांव निवासी श्याम सिंह का भाई ओमकार भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गया था और वह बरसात से बचने के लिए गैलरी के लेंटर के नीचे खड़ा हो गया था। लेंटर गिरने से ओमकार की भी दर्दनाक मौत हो गई। वह रोते हुए बताते हैं कि दूसरे की मौत में शामिल होने गया था भाई और खुद भी चला गया
बीस मिनट बाद आया होश तो देखा….
इस घटना में घायल हो गये उधम सिंह (25) ने कहा, ‘मैं पहले 20 मिनट तक बेहोश हो गया था। जब मुझे होश आया तब मैंने देखा कि मेरे दोस्त मुझे मलबे से निकाल रहे हैं। मुझे दर्द हो रहा है लेकिन आशा है कि मैं शीघ्र ठीक हो जाऊंगा।’
खत्म हो गया सबकुछ
इस हादसे में दिल्ली के अरविंद कुमार की भी मौत हो गई। उनके बड़े भाई राकेश कुमार ने कहा, ‘हमारे लिए सब खत्म हो गया। मैंने अपने भाई को उसके मोबाइल पर फोन किया। किसी अन्य ने फोन उठाया और मुझे छत ढह जाने की सूचना दी। मैं घटनास्थल पर पहुंचा। मलबे से उसका शव निकालने में दो घंटे लगे। हमने उसे अस्पताल पहुंचाया लेकिन उसे शीघ्र ही मृत घोषित कर दिया गया
आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 337, 338, 427, 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। सीएम योगी ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है।
बुजुर्ग के अंतिम संस्कार में आए थे
अंतिम संस्कार में रिश्तेदार और आसपास के लगभग 100 लोग घाट पर पहुंचे थे। सुबह से हो रही बारिश की वजह से लोग श्मशान घाट परिसर में बने भवन के अंदर खड़े थे। तभी अचानक जमीन धंसने से दीवार बैठ गई और छत भरभराकर गिर गई। छत ढह जाने से 24 लोगों की मौत हो गई, जबकि 17 अन्य घायल हुए हैं। घटना के शिकार लगभग सभी लोग एक बुजुर्ग के अंतिम संस्कार में पहुंचे थे।
पुलिस ने बताया कि जब छत ढही, तो बारिश से बचने के लिए कई लोग इमारत के नीचे खड़े थे जिसे हाल ही में बनाया गया था। हादसे में जिन लोगों की मौत हुई, वे सभी बुजुर्ग जयराम के रिश्तेदार या पड़ोसी थे, जिनका उस वक्त वहां अंतिम संस्कार हो रहा था।