बदायूँ क्लब चुनाव,सभी के नामांकन पत्र सही,दिन भर रही गहमा गहमी, कल नाम वापिसी का है आखिरी दिन
कल नामांकन के आखिरी दिन हुआ था लो बोल्टेज ड्रामा नामाकंन के आखिरी समय में मनीष सिंघल ने जनसम्पर्क सचिव के पद पर किया नामांकन
बदायूँ क्लब- कल चुनाव नामांकन के आखिरी दिन 6 नामांकन हुए,नामांकन की निर्धारित तिथि 3 जनवरी से 5 जनवरी के दौरान कुल 18 नामांकन हुए, कल नामांकन के आखिरी समय में एक लो बोल्टेज ड्रामा देखा गया जिसकी चर्चा देर सायं तक शहर में होती दिखी,
घटना के चश्मदीद के अनुसार बदायूँ क्लब की चुनाव प्रक्रिया के अंतर्गत नामांकन के आखिरी दिन नामाकंन के आखिरी समय में मनीष सिंघल जनसम्पर्क सचिव के पद नामांकन कराने पहुंचे, नामांकन से पूर्व उस पद पर पहले ही नामांकन करा चुके क्लब के एक बरिष्ठ सदस्य ने उन्हें रोककर खेला इमोशनल कार्ड,पुराने सम्बन्धों व उम्र का दिया वास्ता, जिसे देखकर उपस्थित सदस्यों ने वरिष्ठ सदस्य के इस कृत्य को चुनाव प्रक्रिया में अनावश्यक दबाब का लगाया आरोप चुनाव अधिकारी से की शिकायत,चुनाव अधिकारी ने हस्तक्षेप करते हुए सभी को चुनाव लड़ने का हक है कहकर नामांकन में वाधा न डालने की दी सलाह जिसके बाद वरिष्ठ सदस्य को उनके पुत्र ने ऐसा न करने दी सलाह,उसके बाद मनीष सिंघल ने नामांकन पत्र दाखिल किया।
क्लब के वरिष्ठ सदस्य के पुत्र ने जबाब मे विरोध करने वाले सदस्यों के खिलाफ अपना व अपने सहयोगी का नामांकन पत्र दाखिल कर अपनी भड़ास निकाली, इस पद पर वरिष्ठ सदस्य की निर्वरोध चुने जाने की उम्मीदों को लगा है तगड़ा झटका,
जिलाधिकारी ने बदायूँ क्लब में चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न कराने का आदेश दिया है जिसमें 17 जनवरी को चुनाव की तिथि निर्धारित की गई है इससे पहले 3 जनवरी से पांच जनवरी तक तीन दिन का समय नामांकन दाख़िल करने का निर्धारित किया गया था 6 तारीख तक नामांकन पत्र की जांच 7 तारीख को नाम वापिसी की मोहलत दी गई है।
आज नामांकन पत्रों की जांच की गई, कल 7 जनवरी को नाम वापिसी का दिन है कल सांय तीन बजे के बाद स्थिति साफ हो पाएगी किन किन पदों पर लड़ाई होगी व कितने प्रत्याशी निर्वरोध चुने जाते हैं। 17 तारीख को मतदान का दिन निर्धारित है व मतगणना उसी दिन सांय 4 बजे की जाएगी।
स्वदेश केसरी ने कल की घटना को लेकर जब चश्मदीदों से सम्पर्क किया तो सभी ने सम्बन्धों का हवाला देकर न्यूज में न देने की सलाह दी,लेकिन वरिष्ठ सदस्य के पुत्र की उत्तेजना पूर्ण व्यवहार की निंदा करते नजर आए,क्लब सदस्य ने यहां तक कहा जब बरिष्ठ सदस्य अपने पुराने सम्बन्धों व उम्र का हवाला देकर निवेदन कर रहे थे उस समय मैंने एक बार को नामांकन न करने का फैसला कर लिया था लेकिन उनके पुत्र द्वारा अशोभनीय व अमर्यादित व्यवहार के कारण न चाहते हुए नामांकन करना पड़ा।
बदायूँ क्लब का चुनाव बड़ा दिलचस्प होता जा रहा है,विदित हो कि बदायूँ क्लब यूँ तो सांस्कृतिक ,साहित्यक,व कला के कार्यक्रमों के लिये जाना जाता है जनपद में ऐसे तो बहुत से मंचों पर यह कार्यक्रम होते हैं लेकिन बदायूँ क्लब का मंच सांस्कृतिक साहित्यक व कला प्रेमियों व कलाकारों का सबसे बड़ा मंच माना जाने लगा है,बिर्टिश राज्य के समय 1907 में इसकी स्थापना हुई थी

















































बर्ष 1907- अंग्रेजी शासन में स्थापित एलन क्लब जिसका स्वतन्त्रता उपरान्त के बाद बदायूँ क्लब बदायूँ के नाम में परिवर्तित हुआ।क्लब के अनेक अच्छे व बुरे इतिहास रहे हैं।जिसकी चर्चा स्वदेश केसरी आने वाले समय मे करेगा।स्वदेश केसरी ने वर्तमान परिवेश को दृष्टिगत रखते हुए वर्तमान क्लब सचिव पर जो परिवार वाद के आरोप लगाए गए हैं स्वदेश केसरी केवल उसी दौर- स्व. उर्मिलेश शंखधार से लेकर उनके पुत्र अक्षत अशेष के कार्यकाल की पड़ताल करने निकला,उस पड़ताल का पूरा ‘सार’ अपने पाठकों के सामने रख रहा है।बाकी क्लब का पूरा इतिहास आने वाले समय मे स्वदेश केसरी आपके सामने रखेगा।
बर्ष 1998 में सचिव पद पर राष्ट्रीय कवि रहे स्व. डॉ. उर्मिलेश शंखधार के आसीन होने के उपरान्त बदायूँ क्लब ने आशातीत उपब्धिइयां अर्जित की। बदायूँ क्लब में पहली बार जिले के तमाम सामाजिक,साहित्यिकारों, बुद्धिजीवियों व कलाकारों को अपना अपनी कला का प्रदर्शन करने का एक श्रेष्ठ मंच मिला इस बदायूँ महोत्सव ने क्लब का नाम जनपद स्तर से राष्ट्रीय स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया।इसी दौर में क्लब की पहचान अंग्रेजी क्लब कल्चर से बदल कर सांस्कृतिक केन्द्र के रुप परिवर्तित हुयी। अब बदायूँ क्लब में राष्ट्रीय स्तर के कवियों, शायरों, कलाकारों,व देश के गणमान्य नागरिकों और राजनैतिक हस्तियों जैसे महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधान परिषद अध्यक्ष जैसी तमाम हस्तियों की उपस्थिति ने क्लब के नाम मे चार चांद लगाने के साथ इसके गौरव को बढ़ाने का काम किया।
क्लब के सांस्कृतिक सामाजिक साहित्यिक कार्यों को देखकर जिले के बरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सपोर्ट करना शुरू कर दिया।शहर के लोगों में इस क्लब की सदस्यता लेने का आकर्षण पैदा हुआ,तत्कालीन सचिव उर्मिलेश ने इस क्लब की गरिमा अनन्तकाल तक बनी रहे उसके लिये क्लब के अध्यक्ष जोकि बदायूँ के जिलाधिकारी होते हैं कभी इस क्लब के सदस्यों को चयन को लेकर लापरवाही नहीं कि व इसके लिये ऐसे कड़े मानक निर्धारित किये जिससे क्लब के वर्तमान स्वरूप पर कोई आंच न आये,क्लब ने समय समय पर बदली राजनीतिक सत्ता के छुटभैया नेताओं के सदस्य बनने के लिये दबाबों को किनारे कर क्लब की प्रतिष्ठा को महत्व दिया,राजनीतिक दलों के बरिष्ठ नेताओं ने क्लब में कभी राजनीति दखल नहीं दिया।इसका एक कारण यह भी रहा कि क्लब ने समय समय पर अपने कार्यक्रमों में सत्ताधारी पार्टी को बिना दलगत भावना के साथ, बढ़चढ़कर सम्मान देने का कार्य किया।
दुर्भाग्यवश 2005 में डॉ. उर्मिलेश का निधन हो गया। उनके निधन के उपरान्त कार्यवाहक सचिव के रुप में कवि डॉ. मौहदत्त साथी एवं शायर चन्द्र प्रकाश दीक्षित ने क्लब का संक्षिप्त कार्यभार संभाला। इस बीच क्लब के सदस्यों के बीच आपसी खींचतान भी प्रारम्भ हो गई जहां से क्लब में चुनाव की स्थिति उत्पन्न हुई, बर्ष 2006 में हुये चुनाव में क्लब के वरिष्ठ सदस्य एवं व्यवसायी पोशाकी लाल रस्तोगी ने विजय हासिल की।पोशाकी लाल रस्तोगी 2009 तक क्लब के सचिव रहे और उनके बाद बर्ष 2009 के चुनाव में शहर के व्यवसायी एवं क्लब के वरिष्ठ सदस्य ब्रजभूषण लाल सिंघल ने जीत दर्ज की। पोशाकी लाल रस्तोगी एवं ब्रजभूषण लाल सिंघल क्लब के वरिष्ठ सदस्य थे किन्तु अधिक आयु होने के कारण एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में अरुचि होने के कारण क्लब सांस्कृतिक वैभव को खो दिया था, उधर बदायूँ महोत्सव का आयोजन भी नहीं हो पाया।
2009 के चुनाव में ब्रजभूषण लाल सिंघल के साथ सहसचिव के रुप में निर्विरोध चुने गये डॉ. उर्मिलेश के पुत्र डॉ. अक्षत अषेश ने सांस्कृतिक प्रेमियों की चाहत को समझते हुये तत्कालीन जिलाधिकारी/(अध्यक्ष बदायूँ क्लब), श्री अमित गुप्ता से बदायूँ महोत्सव का आयोजन-डॉ. उर्मिलेष जन-चेतना समिति के तत्वावधान में कराने की अनुमति मांगी। जिलाधिकारी अमित गुप्ता ने बदायूँ क्लब के वरिष्ठ सदस्यों एवं डॉ. उर्मिलेष जनचेतना समिति के सदस्यों के साथ संयुक्त बैठक उपरान्त बदायूँ महोत्सव के आयोजन को डॉ. उर्मिलेष जन-चेतना समिति को अनुमति दी थी।
इसतरह नवम्बर 2010 में पुनःबदायूँ महोत्सव का प्रारम्भ हुआ,क्लब के बदायूँ महोत्सव के पुराने गौरब के चलते 2010 के बदायूँ महोत्सव का उदघाटन तत्कालनी प्रमुख सचिव संस्कृति श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने किया। तीन दिन चले इस महोत्सव के सफलता पूर्वक सम्पन्न होने से लोगों को बदायूँ क्लब के गौरव की वापिसी की उम्मीद जाग गयीं।और इसी आयोजन से क्लब के बरिष्ठ सदस्यों की निगाह में नये सचिव के रुप में डॉ. अक्षत अशेष का चेहरा सामने आया और उसी के फल स्वरूप 2011 में हुये चुनाव में डॉ. अक्षत अशेष ने अपने उस समय के प्रतिद्वन्दी श्री विपिन कुमार अग्रवाल से बहुत ज्यादा मत पाकर क्लब के सचिव चुने गये।31 साल के युवा के पद संभालने पर क्लब सदस्यों, नागरिकों, प्रशासन आदि के सामने अनेक प्रश्नचिन्ह थे,लेकिन अक्षत ने अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए अपने क्लब के सभी वरिष्ठों सदस्यों व उर्मिलेश जी के समय के सामाजिक सहयोगियों का सहयोग लेते हुये पहले ही सफल कार्यक्रम में अपनी कार्यशैली का लोहा मनवा लिया,
क्लब में अंग्रेजी शासन काल में स्थापित एक मात्र भवन था, जिसको उर्मिलेश जी अपने प्रयासों से व क्लब के सदस्यों के सहयोग से रखरखाब करते रहते थे,अक्षत के प्रयासों से पहली बार क्लब सदस्यों के सहयोग से बड़े सभागार का निर्माण हुआ, जिसमें सदस्यों ने बढ़ चढ़ कर सहयोग किया। क्रम यही नहीं रुका, क्लब जीर्णक्षीण हो रहे भवन को नया लुक प्रदान किया गया, दीवालों से लेकर फर्श, बाथरुम, सभाकक्ष, कार्यालय,विद्युत लाइन, सबका पुनुर्रुद्धार हुआ। वर्ष 2012 में सपा शासनकाल में अक्षत अषेश ने तत्कालीन सांसद श्री धर्मेन्द्र यादव से सहयोग मांगा, क्लब में मुख्य प्रांगण में बड़े प्लेटफार्म का निर्माण स्व,बनवारी सिंह यादव की, एम.एल.सी. निधि से हुआ, तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश मथुरिया के सहयोग से एवं जिलाधिकारी श्री चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी के सहयोग से क्लब में मुख्य द्वारा से मंच तक इण्टरलॉकिंग रोड एवं भव्य सांस्कृतिक मंच का निर्माण हुआ।वर्ष 2016 में तत्कालीन दर्जा राज्य मंत्री श्री आबिद रज़ा के सहयोग से नगरपालिका ने, बदायूँ क्लब के मुख्य द्वार एवं बाउण्ड्रीबॉल का निर्माण कराया, क्लब में कार्यक्रमों के दौरान निर्वाध विधुत व्यवस्था हेतु 40 के.वी.ए. का जनरेटर, ए.सी. सभागार,
खेलने के लिये
टेबिल टेनिस, कैरम, शतरंज, कैरम के साथ विभिन्न अवसरों पर आउटडोर खेल जैसे क्रिकेट, बैडमिन्टन व वॉलीबाल आदि आयोजित हुये।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बात करें तो लम्बी फेहरिस्त है,
बदायूं महोत्सव जैसा बड़ा आयोजन हो, या दीपावली उत्सव मेला हो, होली हास्य समारोह हो, या शिक्षक दिवस, हिन्दी सेवी सम्मान समारोह, कला प्रतियोगितायें या विभिन्न सामाजिक कार्य जैसे अनेक बार हुये रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण कार्यक्रम, गरीब व पीड़ित लोगों के लिए वस्त्र वितरण, सामूहित विवाह समारोह में आवश्यक उपहार स्वरूप वस्तुओं का वितरण हो आज सभी मे क्लब की अग्रणी भूमिका व योगदान देखने को मिला है।
अक्षत के कार्यकाल में देश के श्रेष्ठ कवि व शायर जैसे श्री गोपाल दास नीरज, डॉ.कुमार विश्वास, डॉ. सुनील जोगी, श्री राहत इन्दौरी, श्री वसीम बरेलवी, श्री नवाज देबवन्दी, श्री गुलजार देहलवी, डॉ. विश्णु सक्सेना आदि अनेक बार अपनी उपस्थिति से क्लब का गौरब बढ़ा चुके हैं, कलाकारों में विश्व प्रसिद्ध पंजाबी सिंगर शदलेर मेंहदी, जसमीत जस्सी, अशोक मस्ती, राजस्थानी फोक नृतिका गुलाबो देवी, निष्ठा अग्रवाल, हास्य कलाकार प्रताप फौजदार,सुनील पाल भी बदायूँ क्लब के आयोजनों में आ चुके हैं ।
अक्षत अशेष ने अपने पिता के पद्चिन्हों पर चलते हुये जिले के शान रहे तमाम साहित्यकारों, शायरों एवं कलाकारों जैसे फानी बदाऊँनी शकील बदायूँनी,डॉ. ब्रजेन्द्र अवस्थी, भूपराम शर्मा भूप, काका देवेश, डॉ. मौहदत्त साथी, संगीत के नामचीन कलाकारों की स्मृति में अनेक आयोजन जैसे संगीत संध्या, काव्य संध्या का आयोजन कराया और उनके नाम से बदायूँ महोत्सव में प्रतिष्ठत पुरस्कार भी दिए गए।तमाम कवियों व कलाकारों को आमंत्रित कर उनको सम्मानित भी किया गया।
स्वदेश केसरी ने बदायूँ क्लब का रिकॉर्ड देखकर जाना कि अब तक अक्षत के उपरोक्त कार्यकाल में तमाम आयोजनों व अवसरों पर विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, साहित्यि, कला, संगीत, चिकित्सा, पर्यावरण, संगीत आदि में 500 से अधिक महानुभावों को सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही जिले की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था के रुप में क्लब ने बदायूँ की अनेक युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जिसके कारण बहुत से बच्चे लाभांवित हुये। कोरोना काल में भी क्लब की गतिविधियां निरन्तर रुप से चलती रहीं ऑनलाइन वीडियो प्रतियोगिता ने बच्चों को घर बैठे अवसर दिया, पहली बार जनपद स्तरीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता, हिन्दी सेवियों के सम्मान के साथ अनेक कार्यक्रम आयोजन हुये। अभी हाल ही में क्लब के समस्त सभागार एवं कक्षों को पुनर्रुद्धार एवं प्रांगण में नये पार्क का निर्माण कार्य भी हो चुका है।
स्वदेश केसरी के पाठकों को बताना चाहूंगा कि क्लब के वरिष्ठ सदस्यों ने स्वदेश केसरी को बताया है कि बदायूँ क्लब में जितने भी निर्माण कार्य होते हैं उसमें दानदाता सदस्य स्वंय अपने स्तर से गुणवत्ता के आधार पर अपने संसाधनों से निर्माण कराते हैं और जनप्रतिनिधि अपनी नोडल एजेंसी से कराते हैं, जिसमें सचिव का कोई रोल नहीं होता है।पिछले कुछ समय से देखा गया है कि कुछ लोग डॉ. अक्षत अशेष की कार्य शैली पर प्रशन उठा रहे हैं, जिन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान बीच में बाधा डालने का प्रयास किया था।जब स्वदेश केसरी उन लोगों के वारे में पड़ताल की तो पता चला कि यह लोग बदायूँ क्लब के सदस्य नहीं हैं और सदस्यता लेने के लिये सचिव पर तरह तरह के दवाव बनाने के आरोप लगा रहे हैं।इन्हीं लोगों को बैसे विरोध से पूर्व बदायूँ क्लब के कुछ कार्यक्रमों में अक्षत अशेष की सहयोगी की भूमिका में भी देखा गया था।इसमें से ज्यादातर किसी न किसी राजनीतिक पार्टी के सिपेसेहलार की भूमिका में रहकर बदायूँ क्लब की तर्ज पर कई कार्यक्रम भी करा चुके हैं।कई बरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि इनके कृत्यों को देखकर प्रतीत होता है कि इनका सपना बदायूँ क्लब के सचिव बनने का है।
स्वदेश केसरी को क्लब के कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने अनऔपचारिक वार्ता में जानकारी दी कि विरोध करने वाले समूह ने उनसे बदायूँ क्लब में सचिव पद का चुनाव लड़ने का आग्रह किया ऐसा करने पर सभी तरह के सहयोग का वायदा भी किया गया।पर काफी प्रयासों के बाद भी सचिव पद के लिये किसी प्रत्याशी को तैयार नहीं कर पाने के बाद से चुनाव के बाद क्लब में अपनी एंट्री के सपने, बंद होते नज़र आ रहे हैं ।
17 तारीख को तय हो जाएगा कि क्लब का नया सचिव कौन होगा,और क्लब के भविष्य भी इसी पर टिका हुआ है कि आने वाला समय में क्लब अपनी वर्तमान स्वरूप में आगे बढ़कर राष्ट्रीय स्तर पर छवि बनाएगा या क्लब का कोई नया सचिव इसको अपनी व्यवसायिक या राजनीति के लाभ में इस्तेमाल कर इसकी वर्तमान गरिमा को पहले की तरह क्लब संस्कृति की तरफ मोड़ देगा।क्लब का भविष्य क्लब के सदस्यों को तय करना है।
बदायूँ क्लब को लेकर वर्तमान में लगाये जा रहे आरोप प्रत्यारोपों पर स्वदेश केसरी ने क्लब के पूर्व सचिवों से लेकर आजतक के सचिवों के कार्यकाल में हुए कार्यक्रमों का लेखा जोखा क्लब के बरिष्ठ सदस्यों से जानकारी के आधार व क्लब में मौजूद रिकॉर्ड के आधार पर तैयार किया है।जिसको स्वदेश केसरी अपने पाठकों से शेयर कर रहा है।वर्तमान आरोपों पर स्वदेश केसरी ने शहर के सभ्रान्त नागरिकों से बदायूँ क्लब की वर्तमान राजनीति व सचिव पर लगे आरोपों पर सवाल किए जिसमें ज्यादातर लोगों ने क्लब की सम्पति पर किसी बड़े भू माफिया की नजर होना बताया उनका कहना है कि कुछ लोग पर्दे के पीछे से इस क्लब पर अपना कब्जा करके इसको व्यवसायिक स्थल के रूप में प्रयोग करना चाहते हैं,वहीं कुछ लोगों का इशारा क्लब के वरिष्ठ सदस्य की ओर था, नाम न खोलने की शर्त पर बताया कि उक्त क्लब सदस्य ने इस क्लब का बर्षो तक अपने गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया लेकिन पूर्व जिलाधिकारी से उक्त सदस्य की किसी बात को लेकर हुई अनबन के उपरांत जिलाधिकारी ने वर्तमान सचिव को कह कर क्लब की जगह से सामान हटवा दिया,तभी से क्लब में अपने चहेते लोगों के माध्यम से पर्दे के पीछे रहकर विरोध करवा रहे हैं,
एक बहुत ही बरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर स्वदेश केसरी से कुछ सवाल किये जिसे स्वदेश केसरी उन्हीं के शब्दों में अपने पाठकों के सामने रख रहा है।
1.क्लब के सचिव पर आरोप लगाने वाले लोग क्या क्लब के सदस्य हैं विरोध जताने वाले बाहरी लोगों का क्लब या क्लब के संचालन में किस कारण से विशेष रूचि है,
2.सचिव पर लगाये गये आरोप जो उनके व्यक्तिगत जीवन से सम्बन्धित हैं, उनका क्लब से या क्लब के संविधान से क्या सम्बन्ध,
3.अगर वर्तमान सचिव गलत हैं तो उनके साथ चुनी गई कार्यकारिणी सदस्य या अध्यक्ष/उपाध्यक्ष या अन्य निर्वाचित सभी पद भी बराबर के दोषी है।क्या किसी सदस्य या पदाधिकारी ने क्लब में कुछ गलत चल रहा है की आवाज उठाई,
4.पर्दे के पीछे कौन है जो इन सबके पीछे अपनी सियासत की गोटियां बिछा कर क्लब से अपने हित साधने की कोशिश कर रहा है, कौन है जो क्लब की प्राइम लोकेशन की बेशकीमती सम्पत्ति पर निगाहें लगाये हुये हैं और उसके व्यावसायिक प्रयोग की भावना को अपने पक्ष में करना चाह रहा है,
स्वदेश केसरी अपने पाठकों से अपील करता है कि इस खबर से सम्बंधित,उनकी कोई भिन्न राय या जानकारी है तो हमसे शेयर कर सकते हैं हम आपके नामों को उजागर नहीं करंगे। स्वदेश केसरी की मेल आईडी जो हमारी वेवसाइट पर उपलब्ध है के माध्यम से भेज सकते हैं अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने शोशल मीडिया प्लेटफार्म से इसको लाइक शेयर अवश्य करें।