- अध्यादेश में व्यवस्था,मकान मालिक मनमाने तरीके से नहीं बढ़ा सकेगा किराया.आवासीय पर पांच फ़ीसदी और गैर आवासीय पर सात फ़ीसदी सालाना किराया बढ़ाया जा सकेगा.
- यूपी में 48 वर्ष पुराने उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराया तथा बेदखली विनियमन) अधिनियम-1972 की जगह उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021लागू
लखनऊ. प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने बताया कि राज्यपाल की मंजूरी मिलने के साथ ही सोमवार से प्रदेश में संबंधित अध्यादेश लागू हो गया है. गौरतलब है कि गत शुक्रवार को योगी कैबिनेट ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी.उत्तर प्रदेश में मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद को कम करने के लिए योगी सरकार ने बड़ी कवायद की है. सरकार ने 48 साल पुराने कानून की जगह उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021 (Uttar Pradesh Tenancy Regulation Ordinance-2021) को पिछले दिनों पेश किया.
क्या है किराएदारी कानून
इस अध्यादेश के माध्यम से यूपी सरकार ने कई बड़े सुधार किए गए हैं. इसमें मकान मालिक और किराएदारों के लिए कई बंदिशें भी लगाई गई हैं. जिनमें मनमाने तरीके से किराया बढ़ाने पर अंकुश के लिए सालाना वृद्धि दर का प्रतिशत तय किया है. मकान मालिक को ये अधिकार भी दिया गया है कि वह निश्चित समय सीमा में किराया न मिले तो किरायेदार को हटा भी सकता है. वहीं अब प्रदेश में किराए का मकान लेने के लिए अनुबंध करना अनिवार्य होगा.
उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021 यूपी में 48 वर्ष पुराने उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराया तथा बेदखली विनियमन) अधिनियम-1972 की जगह लागू किया गया है. अध्यादेश के तहत लिखित करार (अनुबंध) के बिना अब भवन को किराए पर नहीं दिया जा सकेगा. करार के लिए भवन स्वामी और किरायेदार को अपने बारे में जानकारी देने के साथ ही भवन की स्थिति का भी विस्तृत ब्योरा तय प्रारूप पर देना होगा. इसमें दोनों की जिम्मेदारियों का भी उल्लेख होगा.
एग्रीमेंट के 2 महीने के भीतर मकान मालिक और किराएदार दोनों को सयुंक्त रूप से इसकी जानकारी ट्रिब्युनल को देनी होगी. इसके लिए डिजिटल प्लेटफार्म की व्यवस्था की जा रही है. हालांकि अगर एग्रीमेंट एक साल से कम का है तो सूचना देना अनिवार्य नहीं है.
60 दिन में होगा विवाद का फैसला
किरायेदारी के विवाद निपटाने के लिए रेंट अथॅारिटी एवं रेंट ट्रिब्युनल की गठन की व्यवस्था की गई है. एडीएम स्तर के जहां किराया प्राधिकारी होंगे, वहीं जिला न्यायाधीश खुद या अपर जिला न्यायाधीश किराया अधिकरण की अध्यक्षता करेंगे. अधिकतम 60 दिनों में मामले निस्तारित किए जाएंगे.
अध्यादेश में प्रमुख व्यवस्था
- आवासीय भवन पर 5 फीसदी और गैर आवासीय पर 7 फीसदी सालान किराया बढ़ाया जा सकता है.
- किराएदार को भी जगह की देखभाल करनी होगी.
- दो महीने तक किराया न मिलने पर मकान मालिक किराएदार को हटा सकेंगे
- मकान मालिक से बिना पूछे किराएदार कोई तोड़फोड़ मकान में नहीं करा सकेगा.
- पहले से रह रहे किराएदारों के साथ अनुबांध के लिए 3 महीने का समय
- किराया बढ़ने के विवाद पर रेंट ट्रिब्युनल संशोधित किराया और किराएदार द्वारा देय अन्य शुल्क का निर्धारित कर सकेंगे.
- सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर मकान मालिक दो महीने से ज्यादा का एडवांस नही ले सकेंगे.
- गैर आवासीय परिसरों के लिए 6 महीने का एडवांस लिया जा सकेगा.
- समय पर देना होगा किराया
- मकान मालिक को देनी होगी किराए की रसीद
- किराएदारी अनुबंध पत्र की मूल प्रति का एक-एक सेट दोनों के पास रहेगा
- अनुबंध अवधि में मकान मालिक किराएदार को नहीं कर सकता बेदखल
- मकान मालिक को जरूरी सेवाएं देनी होंगीं
इन पर लागू नहीं होगा अध्यादेश
केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के उपक्रम, कंपनी, विश्वविद्यालय या कोई संस्थान, सेवा अनुबंध के रूप में अपने कर्मचारियों को मकान देना, धार्मिक संस्थान, लोक न्याय अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड ट्रस्ट, वक्फ संपत्ति.