48 घंटे में दो बार फॉल्ट से अंधेरे में डूबा नगर, भीषण गर्मी में बेकाबू होता आक्रोश, लोग बोले- अब तो क्रांति ही रास्ता
बिल्सी (बदायूं)। बिल्सी नगर की जनता का सब्र अब जवाब देने लगा है। चाहे हल्का हवा का झोंका हो या तेज आंधी और बारिश—बिल्सी की विद्युत आपूर्ति ठप्प होनी तय मानी जाती है। बीते 48 घंटे में दो बार उझानी-बिल्सी मुख्य लाइन में फॉल्ट आ गया, जिससे पूरे नगर में अंधेरा छा गया। लोग दिन में गर्मी और रात में मच्छरों के बीच बेचैनी से जागने को मजबूर हैं। मगर न तो बिजली विभाग को फर्क पड़ता है, न स्थानीय प्रशासन को और न ही चुने गए जनप्रतिनिधियों को।
रात 8 बजे से ब्रेकडाउन, व्यवस्था ध्वस्त
शुक्रवार रात करीब 8 बजे आई आंधी से उझानी-बिल्सी मुख्य लाइन पर पेड़ की टहनियां गिर गईं, जिससे लाइन तुरंत ब्रेकडाउन में चली गई। हालत यह रही कि रातभर बिजली गुल रही और सुबह होते-होते लोकल लाइन में भी फॉल्ट हो गया। नतीजा, पूरा नगर दिनभर बिजली के लिए तरसता रहा।
दिनचर्या ठप, गर्मी से बेहाल लोग
बिल्सी में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है। मगर विद्युत आपूर्ति इतनी चरमराई हुई है कि उपभोक्ताओं को दिनभर में बमुश्किल 4 से 6 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। इन्वर्टर, बैटरी और समरसेबल मोटर सब फेल हो चुके हैं। पानी तक भरना मुश्किल हो गया है। लोग सुबह से ही बाल्टी लेकर नलों के चक्कर काटते हैं।
वैकल्पिक साधनों से सिर्फ संपन्न वर्ग को राहत
संपन्न परिवारों ने सौर ऊर्जा प्लांट और जनरेटर जैसी वैकल्पिक व्यवस्थाएं कर ली हैं, लेकिन मध्यम और गरीब वर्ग के लोग गर्मी और अंधेरे में बेहाल हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित है, बुजुर्ग और बीमारों की हालत बिगड़ रही है। मगर बिजली विभाग और जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ फॉल्ट हुआ है कार्य चल रहा है कहकर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।
बरसों से लंबित मांग पर नहीं कोई कार्रवाई
बिल्सी उपकेंद्र की नगर क्षेत्र की आपूर्ति उझानी ट्रांसमिशन से होती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र की सप्लाई औलईया-हैदरपुर ट्रांसमिशन से चलती है। नगरवासियों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि नगर की आपूर्ति भी औलईया ट्रांसमिशन से जोड़ी जाए ताकि स्थिरता मिले, मगर हर बार केवल आश्वासन ही मिला है।
जनता में उबाल, आंदोलन की चेतावनी
अब नगरवासियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। जगह-जगह इस विषय पर चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो नगरवासी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।