हिंदू कोड बिल से महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने में बाबा साहब की ऐतिहासिक भूमिका

बदायूं। जिला बार एसोसिएशन के ऑडिटोरियम में भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती समारोह बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश ने बाबा साहब के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने हिंदू कोड बिल पारित कराकर देश की महिलाओं को बराबरी का सम्मान दिलाया, जिससे वे समाज के मुख्यधारा में सशक्त रूप से शामिल हो सकीं और नए भारत के निर्माण में बराबरी से भागीदार बनीं।
राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश ने कहा कि बाबा साहब ने संविधान में मौलिक अधिकारों को जोड़कर यह सुनिश्चित किया कि इन अधिकारों के विपरीत कोई भी नियम या कानून न बन सके। यह उनकी दूरदृष्टि का ही परिणाम था कि कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों को उनके अधिकार दिलाने के लिए विशेष संवैधानिक प्रावधान किए गए, जिससे एक मजबूत और समावेशी भारत की नींव रखी जा सकी।
संविधान और सामाजिक न्याय की दिशा में अंबेडकर का योगदान अविस्मरणीय
उन्होंने आगे कहा कि आजादी के बाद भारत कैसा हो, इस पर गहन चिंतन करने वाले डॉ. अंबेडकर ने कभी भी सामाजिक समानता के मुद्दे पर समझौता नहीं किया। हिंदू कोड बिल को लागू कराने के लिए उन्होंने कड़ा रुख अपनाया और अपने विचारों से कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने संविधान में उन वर्गों के लिए विशेष अधिकार सुनिश्चित किए जो सामाजिक रूप से कमजोर थे, ताकि वे भी राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
राज्य सूचना आयुक्त का भव्य स्वागत
इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन गुप्ता सहित दर्जनों अधिवक्ताओं ने राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश का भव्य स्वागत किया। समारोह में बड़ी संख्या में अधिवक्ता, बुद्धिजीवी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
समारोह के दौरान अधिवक्ताओं एवं उपस्थित जनसमुदाय ने बाबा साहब के विचारों पर चर्चा की और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इस अवसर पर वक्ताओं ने अंबेडकर के सामाजिक सुधार, दलित उत्थान, महिला सशक्तिकरण और कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए किए गए संघर्षों को याद किया और उनके योगदान को नमन किया।