प्रयागराज | इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल राजीव भारती ने न्यायिक अधिकारियों के वार्षिक तबादलों की सूची जारी की है। इस सूची में प्रदेशभर से 582 न्यायिक अधिकारियों का तबादला किया गया है, जिनमें 236 अपर जिला जज, 207 सिविल जज सीनियर डिवीजन और 139 सिविल जज जूनियर डिवीजन स्तर के अधिकारी शामिल हैं।

बदायूं से 7 न्यायिक अधिकारियों का तबादला
हाईकोर्ट के इस फैसले का असर बदायूं पर भी पड़ा है, जहां से कुल 7 न्यायिक अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है:
- अपर जिला जज दीपक यादव को अयोध्या भेजा गया है।
- अपर जिला जज परशुराम को बाराबंकी और योगेश कुमार को प्रयागराज स्थानांतरित किया गया है।
- एसीजेएम-द्वितीय लीलू को इटावा भेजा गया है।
- सिविल जज सीनियर डिवीजन अमित कुमार सिंह को भदोही और रिचा शर्मा को हरदोई भेजा गया है।
- सिविल जज जूनियर डिवीजन दिव्य प्रताप सिंह का तबादला सहसवान से मुजफ्फरनगर किया गया है।
बदायूं में हुईं नई न्यायिक नियुक्तियां
बदायूं में स्थानांतरित हुए न्यायिक अधिकारियों की जगह नए अधिकारियों की नियुक्ति की गई है:
- अपर जिला जज के रूप में
- दिनेश तिवारी को आगरा से
- ऋषि कुमार और नूपुर को अलीगढ़ से
- विकास सिंह को गोरखपुर से
- फराहा को हरदोई से
- सुरेंद्र पाल सिंह को कानपुर से
- राजवीर सिंह को मऊ से
- स्नेह लता सिंह को प्रतापगढ़ से
- नीरज गर्ग को इटावा से बदायूं भेजा गया है।
- सिविल जज सीनियर डिवीजन के रूप में
- अनुराग यादव और कल्पना यादव को झांसी से
- नवेद मुजफ्फर को अयोध्या से
- पुष्पेंद्र चौधरी को महोबा से
- जयती चंद्रा को सिंधौली सीतापुर से
- सत्या चौधरी को गोला गोरखपुर से
- हरेंद्र सिंह को मोहम्मदाबाद गाज़ीपुर से बदायूं में नियुक्त किया गया है।
प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुआ न्यायिक फेरबदल
रविवार को जारी इस स्थानांतरण सूची में पूरे प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों को इधर-उधर किया गया है। हाईकोर्ट ने यह तबादला सूची वार्षिक नीति के तहत जारी की है। हालांकि, अभी तक इस बात की आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है कि इन न्यायिक अधिकारियों को कब तक अपनी नई तैनाती स्थलों पर योगदान देना होगा।
प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी सहित कई जिलों में हुए बड़े बदलाव
इस तबादले की सूची में प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, आगरा, कानपुर जैसे बड़े शहरों के अलावा बदायूं, अयोध्या, मुजफ्फरनगर, बाराबंकी, गोरखपुर, हरदोई, भदोही और मऊ जैसे जिलों के न्यायिक अधिकारियों को भी इधर-उधर किया गया है।
हाईकोर्ट के इस फैसले को न्यायिक प्रक्रिया को सुचारू और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से लिया गया कदम माना जा रहा है।