दिल्ली। क्या देश के युवाओं के भविष्य के साथ सरकारें खिलबाड़ कर रही है या फिर सरकरी तंत्र में भृष्टाचार इतना मजबूत हो गया है जिसके चलते भारत का आने वाला युवा जो इसी भारत का भविष्य भी है वह कड़ी मेहनत से पढ़ने के बाद भी अपने अच्छे भविष्य की कल्पना नहीं कर पायेगा। आज भारत मे यही हाल हो गया है सरकारी तंत्र का जिसपर आज का युवा भरोसा नहीं कर पा रहा है, इसका मूल कारण भारत मे तमाम संबैधानिक संस्थाएं अपना विश्वास खोती जा रही हैं, आज देश मे यह हालात हो गए हैं कि केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार कोई भी परीक्षा ईमानदारी से कराने में सक्षम नहीं बची है,और इसका प्रमुख कारण है इन संस्थाओं में बढ़ता राजनीतिक हस्तक्षेप,
नीट की परीक्षा के परिणाम के बाद देश मे फिर से यह सवाल खड़ा हो गया है, अभी हमारे देश मे 1 लाख नौ हजार 170 MBBS की सीट थीं जिनमे सरकारी कॉलेजों की 56905 निजी कालेजों में 52765 सीटें हैं। इन सीटों को NEET एग्जाम के द्वारा भरा जाना होता है, और इसबार इस एग्जाम को कराने की जिम्मेदारी NTA नामक संस्था को दी गई, जिसने गत 5 मई को यह परीक्षा देश के 571 शहरों के विभिन्न सेंटरों में जिनकी संख्या थी 4750 जिसमें 23 लाख 81 हजार बच्चों ने नीट का एग्जाम देने के लिये रजिस्ट्रेशन कराया था जिसमे 23 लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी। इस परीक्षा सम्पन्न होने के बाद नतीजे आने वाले थे 14 जून को लेकिन रिजल्ट में जल्दबाजी करते हुए नतीजे 4 जून को जारी कर दिए गए , वह भी उस दिन जब देश की 2024 लोकसभा के नतीजे आ रहे थे। 10 दिन पहले,नतीज़े भी ऐसे आये जिसमें 67 छात्रों के 720 में से 720 अंक सेंट परसेंट रिजल्ट, जब स्वदेश केसरी ने इस रिजल्ट की तुलना पिछले बर्षों से मिलाते हुए पड़ताल की तो देखा 2023 में केवल 2 छात्र को फूल मार्क्स मिले,2022 में यह संख्या 3 छात्रों की थी, 2021 में 2 छात्र 2020 में 1 छात्र, अब 2024 में यह चमत्कार कैसे हो गया कि जिसमे 67 छात्रों ने 100 प्रतिशत अंक ले आये।देश शिक्षा व्यवस्था इतनी अच्छी हो गई कि अचानक इतने छात्रों ने कमाल कर दिया जिसमें कुछ छात्र को 718 , 719 अंक भी आ गए, बस इन्हीं नम्बरों से धांधली की बू आ गई , जब सवाल उठे तो आनन फानन में NTA ने सुप्रीम कोर्ट की आड़ लेते हुए ऐसा जबाब दिया जिसके बाद विवाद की छानबीन होती चली गईं जिससे ढेर सारी परतें उठती जा रही हैं, छात्र इसको लेकर सड़कों पर उतर गए हैं पूरे मामले की लीपापोती के लिये कोर्ट का भी सहारा लिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के फैसलों से बच्चों में असंतोष व अविश्वास का माहौल है, जिसके कारण बच्चों के मन में संबैधानिक संस्थाओं के प्रति जनाक्रोश बढ़ रहा है,जो चिंता का विषय है,
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बच्चों को और उलझा दिया जिससे बच्चे परेशान हैं सबसे बड़ी बात है कि अभीतक कोर्ट ने इस परीक्षा की गहनता से जांच में रुचि नहीं दिखाई जिससे बच्चों को संदेह है कि यह सब सरकार को व उसकी नोडल एजेंसी NTA को बचाने वाला फैसला है जबकि इस केस में रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं जिन्हें कोर्ट संज्ञान नहीं लेकर काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है।
इस परीक्षा में।धांधली का कनेक्शन गुजरात के गोधरा से निकल कर सामने आया है जिसमे 26 बच्चे चिन्हित किये गए जो भारत के बिभन्न राज्यों जिसमे कोई कर्नाटका,कोई झारखंड से कोई उड़ीसा से इम्तिहान दे रहे हैं गोधरा में,जिसका NTA को पता नहीं लगता ओर कोर्ट भी इसका संज्ञान नहीं लेता।बताया जा रहा है यहां करोड़ों का लेनदेन की भी खबरें आ रही हैं।यही कहानी पटना में भी जहां 3 व्यक्ति के खिलाफ FIR हुई है, हरियाना का झझर जहां पर 2 पेपर बांटे गए हरदयाल स्कूल में, यहां पर MNOP सीरीज का पर्चा बंटा जो पूरे देश मे कहीं और नहीं बांटा गया, इस सेंटर पर परीक्षा देने वाले 6 छात्र टॉप रेंक वाले हैं 2 छात्र को 2ND रेंक, पटना बिहार में पेपर लीक के आरोप पर NTA इससे इनकार कर रहा है, सवाईमाधोपुर राजस्थान में हिन्दी मीडियम के छात्रों को अंग्रेजी मीडियम का पेपर दिया गया जिसे लेकर छात्र सेंटर से बाहर चले गए।
इस पेपर का रिजल्ट अब जो भी रहे चाहे कोर्ट का फैसला प्रभावित करे या NTA का प्रभावित करे अगर इन परिणामस्वरूप कुछ बच्चे अंदर से टूटते हैं या कोई गलत कदम उठा लेते हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा कोई फर्क नहीं पड़ेगा पर जो बच्चे अभी बारहवीं की परीक्षा देकर अपने भविष्य बनाने के लिये पहली बार कोई परीक्षा देकर उसके परिणाम की हालत से नए भारत के सिस्टम को देखकर डर जरूर गये हैं, उन बच्चों के पेरेंट्स जो कल तक खुशियां मना रहे थे एक झटके से सदमे में दिखाई दे रहे हैं, बच्चे अपने अभिभावकों के साथ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रकट कर रहे हैं तो सरकारी तंत्र ने भी पुलिस को आगे कर लाठियां भी तैयार कर उनकी आवाज़ दवाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं , मीडिया के कुछ चैनल्स सरकार व उसकी नोडल एजेंसी का बचाव करते हुए खबर की ओपचारिकता निभाने में लगे है, अब देखना है कि इस केस को भी कितने आसान तरीके से लोकतंत्र के आने वाले भविष्य का गला घोंट कर दवा दिया जायेगा।??