होम राज्य उत्तर प्रदेश अहंकारी प्राणियों को प्रभु की भक्ति भी नहीं मिलती-कथा व्यास जितेंद्रदास विश्वामित्र

अहंकारी प्राणियों को प्रभु की भक्ति भी नहीं मिलती-कथा व्यास जितेंद्रदास विश्वामित्र

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव रायपुर बुजुर्ग के काली मंदिर के निकट चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन आज शनिवार को कथावाचक जितेंद्रदास विश्वामित्र ने कहा कि परमात्मा श्रीकृष्ण आनंद के सागर हैं। भगवान अवतरित होते हैं, तो सारे बंधन टूट जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण जिस समय अवतरित हुए उस समय कारागार के सभी पहरेदार सो गए। मां देवकी और वासुदेव जी की बेडिय़ां और हथकड़ी टूट गईं। हर तरफ उत्साह का अपूर्व वातावरण था। भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म रक्षा के लिए इस संसार में अवतार लिया। कथा में श्रीकृष्ण जन्म होते ही भक्त खुशी से झूम उठे।

श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग का सुनाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने संसार के सभी प्राणियों को असुरों के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया। श्रीकृष्ण आनंद के सागर हैं। वे भक्त वत्सल हैं। उन्होंने कहा कि इस संसार में जो भी अंहकार करते हैं, उनका पतन निश्चित होता है। अहंकारी प्राणियों को प्रभु की भक्ति भी नहीं मिलती। कंस को बहुत ही अहंकार था और भगवान के जन्म के बाद से ही वह बहुत भयभीत हो गया।

इस मौके पर धर्मेंद्र तोमर, अरुण कुमार सिंह, जयवीर सिंह, राहुल कुमार, विक्की सिंह, वंदना सिंह, प्रिंयका कुमारी, सरोज देवी, संध्या आदि मौजूद रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here