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बाहर से तू खामोश रहे और भीतर-भीतर रोये- तेरा दर्द न जाने कोय….एक दर्द भरी दास्तां जिसे पढ़कर आप रो पड़ोगें…!

मैं जाऊं तो जाऊं कहाँ ?
खेत मे जाने पर लोग कभी लाठियों से कभी बलल्मों से मुझे घायल कर देते हैं उनको नहीं लगता कि में भी एक जीव हूँ मेरे अन्दर भी प्राण हैं मुझे भी उसी ईस्वर ने बनाया है जिसने तुम्हें बनाया है ,एक लाठी,बल्लम से मुझे कितना दर्द होता है, जब तुम्हें कभी जीवन मे गहरी मार पड़ी हो या गहरी चोट लगी होगी तब तुम्हें जो एहसास हुआ होगा सोचो उतना ही दर्द और उससे कहीं ज्यादा पीड़ा हमे रोज़ झेलने पड़ती है।कुछ लोग हमारे पैरों पर इतनी जोर से वार करते हैं जिससे हमारी हड्डी टूट जाती है।मारने वाले यह नहीं सोचते कि हमारा इलाज कराने वाले कोई नहीं हमें कितना दर्द होता है आपकी परेशानी आपके दुःख दर्द में आपके साथ आपका परिवार है दवाइयां है उन्हें देने वाले हैं पर हमारे दर्द को समझने वाला कोई नहीं।

हम केवल अपना पेट भरने के लिये खाना ढूंढते हैं हमें भी भूख लगती है हमें भी प्यास लगती है। हमें भी आपकी तरह ईस्वर ने ही बनाया है हमें भी तो आपकी तरह जीने का हक़ है पृथ्वी पर किसी का कोई भी स्थायी अस्तित्व नहीं है,एक न एक दिन सभी को जाना है।आप लोगों ने घरों से तो बहुत पहले ही हमें निकाल दिया अब गलियों में भी नहीं बैठने देते चलते चलते हम थक जाते हैं क्या हमें आराम करने का हक नहीं है।इंसान गर्मी से व्याकुल होता है तो क्या हमें तेज धूप से व्याकुलता नहीं होती है हमारा भी गला सूखता है हमें भी प्यास लगती है,बहुत दूर दूर तक पानी नहीं मिलता पानी की तलाश ओर गर्मी की तपिश हमें गहरे नालों में गिरा देती है।नालो का जहरीला (तरह तरह के केमिकल युक्त) पानी पीना हमारी मजबूरी है,जिससे हम भी बीमार होते हैं,पर हम किसी को आपकी तरह अपनी जुबान से बता नहीं सकते।इसके कारण हम तड़प तड़प कर जान दे देते हैं। आपके द्वारा फेंके गए कचरों में हम अपने लिए खाना तलाशते हैं लेकिन आपके द्वारा उन कचरों में फेंका गया कांच ,सुई,कीलें,सेफ्टी पिन,आलपिन, स्टेपलर की पिनों जैसे तमाम नुकीले आइटम,खाने से हमारे मुंह मे गले मे घाव हो जाते हैं खाने के साथ यह सब पेट मे पहुंच कर बहुत घाव कर देते हैं पर हमारे दुख और दर्द कोई नहीं समझता।

ईस्वर ने सबसे समझदार योनि मनुष्य योनि बनाई,जिसको ज्ञान दिया जुबान दी और उससे उम्मीद की यह योनि पृथ्वी पर अपने साथ साथ सभी जीव जंतुओं पशुओं, और प्रकृति का भी ध्यान रखेगी लेकिन अब ईस्वर को भी देखकर अपनी गलती का एहसास होता होगा कि मनुष्य मतलबी हो गया।आप सभी सोचो,हज़ारों सालों से मैने किसान के साथ मेहनत करके उसके कंधे से कंधा मिलाकर आपके जीवन के भरण पोषण में आपकी पीढ़ियों का साथ दिया आज जब खुद की उन्नति हो गई मशीनी युग आ गया हमारा विकल्प ट्रेक्टर आदि ने ले लिया तो हमें मरने के लिये सड़कों पर छोड़ दिया, हमारे पूर्वजों को अगर मनुष्य ने पाला तो हमने भी इंसान का साथ दिया ,हमारा दूध दही पनीर घी माखन छाछ सब से मनुष्य का पेट कल भी भरता और आजके इस आधुनिक युग मे भी तभी वह हिष्ट पुष्ट भी रहता है यहां तक कि हमारा मल मूत्र भी मानव जीवन के काम आता है यह पूजा पाठ हो या कुछ असाध्य विमारियों में आज भी उपयोगी है।

भारत में मनुष्यों की आवादी 140 करोड़ है जबकि हमारी संख्या बहुत कम बची है।हम जितने भी हैं उनको कम से कम चैन से रहने दो,
आप सभी भारत वासियों और केंद्र व राज्यों की सरकारों से हमारी अपील है जहाँ पूरे भारत के लोग जहां तमाम दान करते हो, सरकार अपनों के कर्जे माफ करती हो,वहीं हम पर एक एहसान कर दो कि उनमें से कुछ अंश रूपी सब लोग चंदा करके हमें ऐसे जंगलों में छोड़ दो जहां हमें पेट भरने के लिये ईस्वर का दिया हुआ चारा मिल जाये और प्रकृति का दिया हुआ पानी मिल जाये।इससे आपको भी हमसे निजात मिल जायेगी और हमारा भी कल्याण हो जाएगा।

क्या आप सभी हमारी यह मदद कर पाओगे,इसको भी गौ दान समझ कर करदो,आपके द्वारा साल भर किसी भी धार्मिक कार्यों में दिए जाने वाले चंदे (कांवर, गणेश पूजन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी,या उनके दर्शनों पर होने वाले खर्च,मकर संक्रांति,होली,दीपावली, नवरात्रि में होने वाले भंडारों,तमाम सामाजिक संगठनों, जातिगत संगठनों के आयोजन, राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे जैसे तमाम तरह के सहयोग में से केवल किसी एक मे से एक बार रोक कर हमारे जंगल भेजने का प्रबंध कर दो हम जिंदगी भर आपका एहसान नहीं भूलेंगे।
हम आपकी भी परेशानी समझते हैं आप खुद बड़ी मुश्किल में जी रहे हैं हम आप पर बोझ नहीं बनना चाहते। हमें ऐसे जंगल का पता नहीं मालूम जहां हम आपको बिना तंग किये रह सकते हों हम आपके खेतों को जंगल समझ लेते हैं आपके जीवन यापन की फसलों को अपना चारा समझ लेते हैं और हमारी इसी न समझी के चलते हमे आपके लाठी डंडे,कंटीले तारों बल्लम जैसी नुकीले अस्त्र,शस्त्र से मार व चोट सहनी पड़ती है,हमारी हड्डियां टूट जाती हैं,हमारे घाव सड़ जाते हैं हमारी आंखों की रोशनी चली जाती है। यह आप भी जानते हो कि हर जगह हमारा इलाज कराने वाले पशु प्रेमी नहीं होते है, जो हमे घायल अवस्था मे हमे कोई दवा कराएं हमें भोजन पानी दे दें।आपने हमारी गलती पर हमें सजा देकर अपना नुकसान तो बचा लिया पर आपके कारण हम कब तक कितने दिनों दर्द से तड़पेंगे आपको नहीं पता,

इस खेत वाले उस खेत तक उस खेत वाले इस खेत तक हमे लाठी लेकर दिन रात दौड़ाते रहते हैं,हम जाएं तो जाएं कहाँ,??
हम आपकी जुबान में आपको अपना दर्द बता नहीं सकते पर आपको हमारी भावनाओं को समझना होगा,हमारे दर्द को समझना होगा। हमारे लिए गौशाला मत बनाओ बहां के हालात आपको भी पता हैं 100 में से 98 प्रतिशत में हमारी सेवा नहीं शोषण ही होता है,लोग हमारे नाम पर दान ले लेकर अपना पालन पोषण कर रहे हैं, बड़े बड़े रेस्टोरेंट, दुकानों,शो रूमों पर हमारे दानपात्र के स्टेचू रखकर लाखों रुपया इकट्ठा करते हैं लोग भूषा भी दान करते हैं पर कहाँ जाता है हमें भी नही पता,2 प्रतिशत गौशाला में कुछ गौ वंश का सही से जीवन यापन हो रहा है।बाकी लाखों की संख्या में सड़कों पर मारी मारी घूम रही हैं हमारे कारण बहुत सी रोड दुर्घटनाएं होती हैं जिसके कारण बहुत से आपके ओर हमारे परिवार उजड़ जाते हैं,इसके लिये जिम्मेदार हमीं को ठहराया जाता है।अपने घर के आसपास अपने खेतों के आसपास जब हमें आप सब रहने नहीं दोगे तो सड़क के अलावा हम कहाँ सोयें कहाँ आराम करें,फिर दुर्घटना के लिये हम जिम्मेदार कियूं ?

अफसोस कल तक अधिकतर घरों में पहली रोटी गाय की व आखिरी रोटी कुत्ते की बनाते थे , मेरी रोटी तो ज्यादातर घरों में बंद हो गई और मेरी जगह भी घर के बाहर और कुत्ते की जगह घर के अंदर हो गई। धन्यवाद है इस पीढ़ी का पहले कुत्ते गली मोहल्लों में विचरण करते थे अब मैं कुत्ते की जगह गली गली मारी/मारा फिरता हूँ इसी कारण कुछ लोग मुझे मारकर अपना व्यवसाय चला रहे हैं, मेरी खाल,हड्डी,मांस सबका व्यापार कर रहे हैं तो कुछ मुझे बचाने के नाम पर सत्ता में बने रहने के लिये वोट पा रहे हैं।

मेरी व्यथा है जिसे कोई नही सुनता..
समस्त मानव जाति से अपील है कि,फ़र्ज़ी गौ माता सेवा छोड़कर,हमारे कल्याण के लिये कोई ठोस कदम उठाएं कोई हमारे लिये भी भारत में कोई हमारा भागीरथ बन जाये।जिससे हमें रोज़ रोज़ यातनाएं न सहनी पड़े।हमारी भावनाओं को समझ कर हम पर रहम करो दया करो निर्दयी मत बनो।

इसीलिए इस समस्या का स्थायी समाधान यही हो सकता है कि हमें आप अपनी आवादी से बहुत दूर किसी जंगल मे छुड़बा दें जहां हमें पूरे बर्ष हमारे पेट भरने का चारा और पीने का पानी मिल जाये वहां हमें छुड़बा दीजिए। इसके लिये चाहें आप सभी अपने सामाजिक संगठनों से या शासन प्रशासन में बैठे व्यक्ति किसी सरकारी योजनाओं के पैसे से हमारी यह मदद कर दें, जिससे हम और आप दोनों चैन से जी सकें,वरना न चाहते हुए भी आप हम पर जाने अनजाने इस तरह यूं ही अत्याचार करते रहेंगे और हम सब पेट भरने के चलते आपका नुकसान कर करते हुए आपके यह अत्याचार सहते हुए आपको बद्दुआएं देते रहेंगे।इस कारण दोनों का जीवन नर्क बना रहेगा।आप सभी से तो हम अपनी मदद की उम्मीद कर सकते हैं पर आपकी आने वाली पीढ़ी से उम्मीद नहीं कर सकते इस लिये आप सभी अपने सामने ही हमारा कल्याण कर जाओ,वरना इस भारत से हमारा अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा।

हमें जो मनुष्य गौ माता मानते हैं वह मेरी भावनाओं को इस मैसेज को पढ़कर जिस लायक भी हो, किसान हो ,व्यापारी हो,धार्मिक हो,राजनेता,अभिनेता, खिलाड़ी,सरकारी सेवा में हो, जिस क्षेत्र में भी हो मेरी मदद के लिये कोई कारगर उपाय बनाओ भी और हमारी मदद भी करो।
केवल मेसेज को पढ़कर लाइक ओर शेयर ही मत करो सब मिलकर कुछ करो,
🙏🙏🙏😞😞🐄🐄

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