कैथल:आज के दौर मे बहुत साल पहले गाये गये एक गीत की एक एक पंक्ति “देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान”हरियाणा के कैथल से रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है. जहां करोड़पति भाई-बहनों के दो छोटे भाई-बहन जानवरों से भी बदतर हालत में जिंदगी जीने को मजबूर हैं.इस दर्दनाक दास्तां में एक तरफ ऐसा भाई भी है जिसने बुजुर्ग बीमार बहन की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी, जिसके बाद हालात और बुरे हो गए. दोनों के पास खाने तक के पैसे नहीं हैं.
कुछ ही दिनों में रक्षाबंधन जैसा त्योहार है, जो भाई-बहन के पवित्र प्यार का प्रतीक है. ये रिश्ता अटूट होता है. कैथल से भाई-बहनों की ऐसी कहानी सामने आई है, जो इस रिश्ते के दोनों पहलुओं को बयां कर रही है. एक तरफ एक भाई ने अपनी बीमार बुजुर्ग बहन की देखभाल के नौकरी छोड़ दी, वहीं दूसरी तरफ उसी के करोड़पति भाई-बहनों ने आज तक उनकी सुध नहीं ली.
यह कहानी कैथल में रहने वाले विजय और कृष्णा की. इन दोनों के छह भाई और तीन बहनें हैं, जो करोड़पति हैं. लेकिन विजय और कृष्णा एक खंडहर हो चुकी हवेली में जानवरों से भी बदतर जिंदगी बिता रहे हैं. महिला इतनी बुजुर्ग और बीमार है कि जब पूजा नाम की एक महिला ने इनकी सुध ली तो उसके शरीर पर कीड़े चल रहे थे. खंडहर में तब्दील हो चुकी हवेली गंदगी से भरी पड़ी थी. खाने के लिए कुछ नहीं था.
मदद के लिए आगे लोग
विजय और कृष्णा की दयनीय हालत देखकर हर कोई दंग है. पूजा ने इन दोनों की हालत को बयां करने वाला एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला था, जिसे देखने के बाद हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों से मदद के लिए लोग कैथल पहुंचे और इन भाई-बहन को बड़ा सहारा मिला.
बहन के लिए छोड़ी नौकरी
विजय कुछ साल पहले तक मारुति कंपनी में नौकरी करते थे, लेकिन जब बहन की तबीयत बिगड़ी तो देखभाल के लिए नौकरी छोड़नी पड़ी. कुछ वक्त बाद विजय के घुटने भी जवाब दे गए. वह बमुश्किल चलते हैं. गुरुद्वारे से खाना लेकर अपना और अपनी बहन का पेट भर रहे थे. करोड़पति भाई-बहनों ने आज तक इन दोनों की सुध नहीं ली. सिर्फ इसलिए कि ये दोनों गरीब हैं. लेकिन, अब समाज के लोगों ने इंसानियत दिखाई है. लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं. घर की साफ-सफाई कर इन दोनों के लिए खाने-पीने और दवा का प्रबंध किया है. पैसे जुटाकर इनके लिए घर बना रहे हैं.
मजदूर नहीं ले रहे मजदूरी
हैरानी की बात ये है कि इनके तीन भाई कैथल में ही रहते हैं. बावजूद कभी बुजुर्ग बहन और बेबस भाई पर उनको दया नहीं आई. दोनों को मरने के लिए छोड़ दिया. तीज-त्योहार, शादी-ब्याह तक में नहीं बुलाया. भले इस मतलबी दुनिया में इनके अपनों ने साथ नहीं दिया, लेकिन अब समाज के लोग इनके साथ खड़े हैं. सभी मिलकर विजय और बुजुर्ग बहन कृष्णा के लिए घर बना रहे हैं. मजदूरों की दरियादिली देखिए उन्होंने इनकी मदद करते हुये मजदूरी तक लेने से इनकार कर दिया.वहीं एक कोख से जन्मे खून के रिश्तों ने दिखा दिया कि बाप बड़ा न भईया सबसे बड़ा रुपइया,