बेंगलुरू । कर्नाटक में पिछले कुछ दिनों से सीएम पद को लेकर चल रहे विवाद पर अंतत: मंगलवार को विराम लग गया। बीजेपी विधायक दल की बैठक में बसवराज बोम्मई को विधायक दल का नेता चुना गया और लिंगायत समुदाय से आने वाले बोम्मई बुधवार को कर्नाटक मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। बसवराज बोम्बई येदियुप्पा कैबिनेट में गृह मंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं। आपको बता दें सालों बाद कर्नाटक की जनता को सीएम के रूप में बोम्बई के रूप में नया चेहरा देखने को मिल रहा है। इससे पहले कर्नाटक में भाजपा की सरकार में येदियुरप्पा ने ही मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कल सुबह 11 बजे बसवराज बोम्मई राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उन्हें राज्य के गवर्नर थावरचंद गहलोत पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। गौरतलब है कि येदियुरप्पा ने अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने के दिन सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया था। बसवराज बोम्मई को पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के करीबी विश्वासपात्र के रूप में देखा जाता है।
इससे पहले मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहे बसवराज बोम्मई ने शाम 7.30 बजे विधायक दल की बैठक से पहले कुमारा क्रूपा गेस्ट हाउस में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, किशन रेड्डी और अरुण सिंह से मुलाकात की थी। जिसके बाद उनके नाम को लेकर कयास और तेज हो गए थे। इसके साथ ही वे येदियुरप्पा की पहली पसंद माने जाता है। उत्तर कर्नाटक से आने वाले बसवराज को लिंगायत समुदाय से भी समर्थन हासिल था। वे भी लिंगायत समुदाय से आते हैं।

बोम्मई बीएस येदियुरप्पा के करीबी माने जाते हैं और ‘जनता परिवार’ से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता एसआर बोम्मई ने भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। विधायक दल की बैठक से पहले पर्यवेक्षकों ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री येदियुरप्पा से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की थी। इससे पहले दिन में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक प्रभारी अरूण सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील के साथ येदियुरप्पा से मुलाकात की थी।
22 में से महज तीन मुख्यमंत्री ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए
कर्नाटक राजनीति की सबसे रोचक बात ये है कि कर्नाटक में इससे पहले विभिन्न पार्टियों की सरकार में बनाए गए 22 नेताओं में से महज तीन मुख्यमंत्री ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके। कार्यवाहक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने चार अलग-अलग कार्यकाल में 10,901 दिन तक ये कुर्सी संभाली। कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में 9 बार ऐसे मौके आए जब मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल का एक वर्ष भी पूरा नहीं कर पाए।