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मुख्यमंत्री कार्यालय का फोन न उठाने पर शासन ने 25 डीएम व चार कमिश्नर से जवाब तलब किया है। वाराणसी, प्रयागराज,अयोध्या और बरेली के मंडलायुक्त से जवाब तलब

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तमाम निर्देश के बावजूद फोन न उठाने के मामले में बड़े अधिकारी इससे बेपरवाह बने हुए हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय से गए फोन को उठाने की जहमत भी उन्होंने नहीं की. इसमें कई मंडलायुक्त, डीएम व एसपी-एसएसपपी शामिल हैं. इस बाबत शासन ने 25 डीएम व 4 कमिश्नर से फोन न उठाने पर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है.

मिली जानकारी के मुताबिक, सीएम योगी को पिछले कई दिनों से ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि जिलाधिकारी और कमिश्‍नर सरकारी फोन पर आने वाले कॉल रिसीव नहीं करते हैं.सीएम के निर्देश के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल के निर्देश पर अधिकारियों की टीम ने कुछ जिलों में रैंडम चेकिंग की। सभी जिलों के DM और आयुक्त को फोन किया गया लेकिन ज्यादातर जिलों के जिलाधिकारी और कमिश्नर ने फोन नहीं उठाया. फोन किया तो आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, कानपुर नगर, रायबरेली, कन्नौज, औरया, कुशीनगर, जालौन में किसी भी अधिकारी ने फोन नहीं उठाया। डीएम, कमिश्नर व एसपी व एसएसपी के सीयूीजी नंबर पर काल किया गया था। वहीं कुछ ने फोन रिसीव किया तो कुछ ने कॉल बैक कर फोन करने का कारण जाना तो कुछ के पीआरओ ने फोन उठाया. शाम तक रिपोर्ट आ गई.।फोन न उठाने के बाद इस संबंध में नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस दी है.

इन जिलाधिकारियों से मांगा गया स्पष्टीकरण

रैंडम चेकिंग के बाद एक रिपोर्ट तैयार की गई। रविवार देर शाम तक रिपोर्ट आई तो इसके आधार पर गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बदायूं, अलीगढ़, कन्नौज, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, फिरोजाबाद, हापुड़, अमरोहा, पीलीभीत, बलरामपुर, गोंडा, जालौन, कुशीनगर, औरया, कानपुर देहात, कानपुर झांसी, मऊ, आजमगढ़ के डीएम से जवाब तलब किया गया। उनसे पूछा गया कि सीयूजी ने फोन कयों नहीं उठाया। यही सवाल वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या व बरेली के डीएम से भी पूछा गया है। सभी को तीन दिन में जवाब देने को कहा गया है।

पहली बार नहीं हुआ मामला

यह पहली बार नहीं है कि फोन न उठाने पर डीएम व कमिश्नर से जवाब तलब किया गया हो। पिछले वर्ष सात अगस्त को सीएम कार्यालय से जिलों के इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर पर स्थापित नंबरों पर फोन किए गया था लेकिन वह क्रियाशील नहीं पाए गए थे। इस पर पर्यवेक्षणीय शिथिलता के आरोप में 21 जिलों के डीएम से स्पष्टीकरण मांगा था। इसमें लखनऊ, कानपुर, वाराणसी जैसे बड़े बड़े जिलों के डीएम भी शामिल थे।

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